2007 में, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के चालू होने के बाद भारत में सोना खरीदना और अपने पास रखना सुगमता के चरम पर पहुंच गया। सोने के लेन-देन के डिजिटल हो जाने से निवेश लचीला, गुणवत्ता का भरोसा और संग्रहन तनाव-मुक्त हो गया।
भारत की स्वर्ण नीतियों पर एक नजर
भारत की सोना सम्बन्धी नीतियों और नियमों में समय के साथ कई बदलाव आए हैं। आज एक विकासशील और पारदर्शी रवैये पर अधिक जोर है। फरवरी 2018 में वित्त मंत्री ने केन्द्रीय बजट के अपने भाषण में कहा कि सरकार सोने के व्यापार को एक परिसम्पत्ति के रूप में विकसित करने के लिए एक समग्र नीति तैयार करेगी। इसका अर्थ है कि शेयरों, बोंडों, संपत्ति और उपभोक्ता वस्तुओं की तरह सोने में किए गए निवेशों को भी एक छत्र के नीचे ले आया जाएगा।
भारत स्वर्ण मुद्रा जारी किए जाने या हॉलमार्किंग नियामकों को लागू किए जाने का प्रस्ताव जैसी हाल की घटनाओं से भारत में सोने की खरीद-फरोख्त के लिए भरोसेमंद मापदंड बनाने में मदद मिलेगी। चलिए, आजादी के बाद से भारत की स्वर्ण नीतियों में आने वाले बदलावों पर एक नजर डालते हैं।
प्रतिबंधों का चरण (1947 - 1962)
इस अवधि में सोने की आपूर्ति और इसके घरेलू मूल्य पर नियंत्रण रखने और साथ ही तस्करी पर लगाम लगाने वाली नीतियां बनाने पर जोर दिया गया।
डॉलर के मुकाबले अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, क्या USD के मुकाबले 80 के स्तर पर पहुंच जाएगा INR?
Published: July 12, 2022 9:34 AM IST
Dollar Vs Rupee: इक्विटी बाजारों में कमजोरी के बीच सोमवार को क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया आज 79.57 के नए ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया. यहां तक कि क्रूड ऑयल की कमजोरी भी रुपये को गिरने से नहीं रोक पाई.
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जानकारों के मुताबिक, व्यापार घाटा बढ़ने, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और उच्च वैश्विक ऊर्जा कीमतों से रुपये में गिरावट आ रही है. आगे यह उम्मीद की जा रही है कि इस सप्ताह रुपये में अस्थिरता बनी रहेगी और यह 79.80-80.05 के स्तर तक जा सकता है.
बढ़ेगी रुपये की स्वीकार्यता
आरबीआई ने यह एक अच्छा कदम उठाया है. इससे अपतटीय केंद्रों में रुपये को वैश्विक स्तर पर अधिक व्यापार योग्य बनाया जा सकेगा. मुझे लगता है कि एनडीएफ की मात्रा और बढ़ेगी. यह रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वाली मुद्रा बनाने की दिशा में एक कदम है. आरबीआई के इस कदम से रुपये की स्वीकार्यता बढ़ेगी. यह लंबी अवधि में डॉलर के उपयोग को भी कमजोर करेगा. इन्हें डॉलर की भागीदारी के बिना सीधे कारोबार किया जा सकता है. इसे और अधिक व्यापार योग्य, स्वीकार्य बनाना. विदेशी खरीदार भारतीय बैंक में वोस्ट्रो खाता खोल सकते हैं और वे भारतीय निर्यातकों को भारतीय रुपये में भुगतान कर सकते हैं. एफएक्स जोखिम विदेशी खरीदार को हस्तांतरित हो जाता है क्योंकि रुपये की राशि तय हो जाती है.
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FEMA का पूरा नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) विदेशी मुद्रा से संबंधित पहलुओं को क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? विनियमित करने के लिए भारत की संसद का एक अधिनियम है। FEMA क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? भारत में बाहरी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करता है।
फेरा की स्थापना कब हुई?
इसे सुनेंरोकेंभारत में विदेशी मुद्रा नियंत्रण भारत रक्षा कानून (DIR) के अंतर्गत अस्थाई तौर पर 3 सितंबर 1939 को शुरू हुआ था। विदेशी मुद्रा नियंत्रण के लिए सांविधिक शक्तियाँ विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA), 1947 से प्राप्त हुईं, जिन्हें बाद में और अधिक व्यापक विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA), 1973 से प्रतिस्थापित किया गया।
विदेशी विनिमय पर नियंत्रण कौन रखता है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय रिजर्व बैंक विदेशी विनिमय पर नियंत्रण रखता है। इस प्रणाली के तहत, सरकार न केवल विनिमय दर को कम करती है बल्कि संपूर्ण विदेशी मुद्रा लेनदेन पर पूर्ण नियंत्रण रखती है।
विदेशी पूंजी को नियंत्रित करने के लिए कौन सा कानून लागू किया गया था?
इसे सुनेंरोकेंअधिनियम १९७३ इसका उद्देश्य भारतीय कंपनियों द्वारा देश के बाहर तथा भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा व्यापार के संचालन के कुछ पहलुओं को नियंत्रित करना भी है। यह एक आपराधिक विधान था, जिसका अर्थ था कि इसके उल्लंघन के परिणामस्वरूप कारावास तथा भारी अर्थ दंड के भुगतान की सजा दी जाएगी।
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 भारत में निवासी किसी व्यक्ति के स्वामित्वाधीन या नियंत्रित भारत के बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों तथा अभिकरणों पर प्रयोज्य है।
फेमा और फेरा में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी निवेशक, अक्सर FERA और FEMA शब्द सुनते हैं, जब वे भारत के साथ सौदा करते हैं। जैसा कि उनके नाम में निर्दिष्ट है, फेरा मुद्राओं के नियमन पर जोर देता है, जबकि फेमा विदेशी मुद्रा अर्थात विदेशी मुद्रा का प्रबंधन करता है।
फैमा क्या है यह फेरा से किस प्रकार भिन्न है?
इसे सुनेंरोकेंFEMA क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? Vs FERA in Hindi दोनों कानूनों में मुख्य अंतर की बात करें तो जहाँ FERA विदेशी मुद्रा के संरक्षण पर बल देता था वहीं FEMA का मुख्य उद्देश्य देश में विदेशी मुद्रा का विकास करना है।
1999 के अधिनियम को क्या कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंआर्थिक सुधारों तथा उदारीकृत परिदृश्य के प्रकाश में फेरा को एक नए अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, इसी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 कहा जाता है।
भारत में विदेशी विनिमय का नियंत्रक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा रिज़र्व प्रबंधन भारतीय रिज़र्व बैंक देश के विदेशी मुद्रा रिज़र्व का अभिरक्षक है और इनके निवेश-प्रबंधन के दायित्व उसमें निहित हैं।
फेरा के स्थान पर कौन सा नया कानून लाया गया?
इसे सुनेंरोकेंआर्थिक उदारीकरण और देश में विदेशी मुद्रा की स्थिति में सुधार के आलोक में अधिनियम (FERA) में परिवर्तन करने की मांग बढ़ रही थी। इस प्रकार 1999 में, 1973 के FERA को बदलने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) नामक एक नया अधिनियम पारित किया गया था।
भारत के विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 2000 के उद्देश्य और विशेषताएं क्या है?
इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (1999), 1 क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? जून 2000 से लागू हुआ। विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) का उद्देश्य विदेशी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना तथा भारत में विदेशी मुद्रा बाज़ार के व्यवस्थित विकास और अनुरक्षण को बढ़ाना है।
क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? कानूनी है?
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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा-ख़ासा है, लेकिन बीते क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? कुछ सप्ताह से इसमें धीरे-धीरे गिरावट आती जा रही है. 9 अप्रैल को ख़त्म हुए हफ्ते में भारत के रिज़र्व बैंक के मुद्रा भंडार में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई और यह गिरकर 606 अरब डॉलर का रह गया.
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
कोरोना महामारी के बाद वैश्विक उत्पादन के धीरे-धीरे सामान्य होने की कोशिशों को बढ़ रही खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति का क्या भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार करना कानूनी है? तगड़ा झटका लगा है. खाद्य और ऊर्जा मुद्रास्फीति को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख ने विश्व अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट और साक्षात खतरा करार दिया है.
यूक्रेन संघर्ष से हुए नुकसान का पूरा आकलन किया जाना अभी बाकी है. सच यह है कि भारत समेत ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष के समाधान से ऊर्जा और खाद्य कीमतों में नरमी आने की उम्मीद के आसरे बैठी हैं.
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