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डॉलर, पाउंड या रूबल में नहीं बल्कि रुपये में खरीदा जाएगा रूसी सामान, ये है मामला

Vostro Account : अब तक पांच से छह बैंकों को रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की सुविधा के लिए वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा करीब 10-11 वोस्ट्रो खाते भी खोले जा चुके हैं.

डॉलर, पाउंड या रूबल में नहीं बल्कि रुपये में खरीदा जाएगा रूसी सामान, ये है मामला

Russian Goods will bought in Indian Rupees : भारत में रूस से आने वाले सामान को अगले सप्ताह से रुपए में खरीदना तय हो जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक (Indian Reserve Bank) द्वारा महीनों पहले लॉन्च की गई नई प्रणाली का परीक्षण पहली बार किया जाएगा. यानि अगले हफ्ते से रूसी सामान को अब डॉलर, पाउंड या रूबल में नहीं बल्कि रुपए में खरीदा जाएगा. इस मामले में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (Federation of Indian Export Organization) के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि निर्यातकों और आयातकों ने खाते खोलने के लिए बैंकों से संपर्क करना शुरू कर दिया है. ईरान के साथ अंतर यह है कि भारत तेल और उर्वरक (ईरान से) आयात नहीं कर रहा है, जैसा कि हम रूस के साथ कर रहे हैं, इसलिए, वोस्ट्रो खाता सूखा है. इसी तरह के प्रतिबंध ईरान पर भी हैं.

रूस और भारत के बीच बढ़ते व्यापार अंतर के बीच ये नई प्रणाली महत्वपूर्ण है. जबकि रूस तेजी से भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, प्रतिबंधों से प्रभावित होकर भारतीय निर्यात घट रहा है, क्योंकि निर्यातक पश्चिमी प्रतिबंधों और एक सुचारू भुगतान की कमी से सावधान हैं. अब तक पांच से छह बैंकों को रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की सुविधा के लिए वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा करीब 10-11 वोस्ट्रो खाते भी खोले जा चुके हैं.

भारत का व्यापार घाटा बढ़ा

भारतीय निर्यातकों को रूस के लिए क्या सच में डॉलर कमाने वाला ऐप है शिपिंग माल की लागत में वृद्धि के आधार पर खर्च करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य द्वारा संचालित सर्बैंक इन ट्रेडों को निपटाने पर 4% प्रीमियम चार्ज कर रहा है, ऐसे समय में रूस के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ गया है. जब रुपए बैंक में जमा होते हैं, तो इसे एक वांछनीय विदेशी मुद्रा में परिवर्तित करना और इसे मेजबान देश – रूस – वापस ले जाना उनकी जिम्मेदारी है. कभी-कभी, यह बदलाव रुपये से डॉलर या डॉलर से रूबल-मुद्रा में उतार-चढ़ाव के कारण महंगा साबित हो सकता है. लेकिन जैसे-जैसे निर्यात बढ़ेगा, उन्हें रूपांतरण जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा.

निर्यात से 10 गुना अधिक है आयात

फीफो के महानिदेशक अजय सहाय का कहना है कि रूस के साथ हमारा आयात निर्यात से 10 गुना अधिक है, लेकिन रूस को अपना निर्यात बढ़ाने की बहुत अच्छी संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब उनके पास बहुत अधिक भारतीय रुपए हैं, तो या तो वे भारत में पूंजी निवेश करना चाहेंगे या वे हमारे निर्यात को बढ़ाएंगे.

रूस को भारत का निर्यात

बता दें कि अप्रैल से सितंबर के बीच, रूस को भारत का निर्यात 1.29 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 3.25 अरब डॉलर था. हालांकि, वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में रूस से आयात पांच गुना बढ़कर 17.23 अरब डॉलर हो गया है. निर्यातकों ने एक भारतीय शिपिंग लाइन के विकास की भी मांग की है, क्योंकि क्या सच में डॉलर कमाने वाला ऐप है भारतीय निर्यातक परिवहन सेवाओं के रूप में 80 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी शिपिंग लाइनों पर निर्भर हैं.

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English News Headline : Now Russian goods will bought in Indian rupees in Next Week.

भारत का रुपया खत्म करेगा डॉलर की बादशाहत! रूस के बाद अब ये पड़ोसी देश भी कर सकता है रुपए में कारोबार

डॉलर की कमी से जूझ रहे श्रीलंका ने भारत के रुपये में कारोबार पर सहमति जताई है। अब सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (Sri Lanka) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के अप्रूवल का इंतजार है।

भारत का रुपया खत्म करेगा डॉलर की बादशाहत! रूस के बाद अब ये पड़ोसी देश भी कर सकता है रुपए में कारोबार

श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की हालत इस समय काफी क्या सच में डॉलर कमाने वाला ऐप है खराब है। लेकिन इस मुश्किल दौर में भारत ने अपने पड़ोसी देश का साथ खूब दिया है। इस निराशा भले माहौल में अच्छी खबर आई है। डॉलर की कमी से जूझ रहे श्रीलंका ने भारत के रुपये में कारोबार पर सहमति जताई है। अब सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (Central Bank of Sri Lanka) को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के अप्रूवल का इंतजार है। आरबीई की हरी झंडी के बाद श्रीलंका, भारतीय रुपये को विदेशी करेंसी के रूप में इस्तेमाल कर पाएगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार श्रीलंका बैंक ने स्पेशल वोस्त्रो रुपये अकाउंट (Special Vostro rupee accounts) खोले हैं। इस अकाउंट्स को ओपन करने के बाद श्रीलंका के लोग फिजिकल फॉर्म में 8,26,823 रुपये रख सकते हैं। इसके अलावा श्रीलंका और भारत के लोग एक दूसरे से व्यापार करने के लिए डॉलर की जगह रुपये का प्रयोग कर सकता है। बता दें, रूस बहुत जल्द रुपये में कारोबार शुरू करने वाला पहला देश बन सकता है।

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इसका फायदा भारतीय रुपये को कैसे होगा?

सामान्य तौर पर जब हम आस-पास के किसी बाजार में दुकान से सामान खरीदते हैं तब रुपये में लेन-देन करते हैं। लेकिन जब विदेशों से सामान की खरीद और बिक्री होती है तो उसके लिए डॉलर का उपयोग करते हैं। जिसका फायदा अमेरिका को होता है। लेकिन जैसे-जैसे अलग-अलग देश रुपये में ट्रेड करने लगेंगे वैसे हमारी निर्भरता कम होने लगेगी। यानी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती मिलनी शुरू हो जाएगी।

ये देश भी रुपये ट्रेड करने का विचार कर रहे हैं .

श्रीलंका और रूस ही नहीं, तजाकिस्तान, क्यूबा, सुडान जैसे देश भी रुपये में कारोबार करने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। रुपये के इंटरनेशनल लोकप्रियता का फायदा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। इससे भारत का व्यापार घाटा कम होगा।

World's Top Currency 2022: दुनिया की सबसे टॉप करेंसी जानते हैं आप? समझें भारतीय रुपये की उनके सामने क्या है वैल्यू

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World's Top Currency 2022: हर देश की अपनी मुद्रा होती है. उसी में उस देश में लेन-देन होता है. लेकिन दुनिया में कुछ ऐसी मुद्राएं हैं जो अपनी खास जगह बनाए हुए हैं. इन मुद्राओं (Top Currency 2022) की वैल्यू दुनिया के बाकी देशों की मुद्राओ के मुकाबले ज्यादा है. हालांकि इन मुद्राओं में भारतीय रुपया (INR) को अभी वह स्थान नहीं मिल सका है. क्या आपने कभी इन मजबूत मुद्राओं पर गौर किया है? आइए हम यहां इन पर चर्चा करते हैं और साथ ही भारतीय करेंसी यानी भारतीय रुपया इनके सामने कहां ठहरता है, इसे भी समझ लेते हैं.

भारत से ज्यादा पड़ोसियों पर डॉलर की चोट, पाकिस्तान समेत इन 5 देशों का क्या होगा?

दरअसल बदलते हालात ने पूरी दुनिया के ऊपर मंदी का जोखिम खड़ा कर दिया है. अमेरिका में महंगाई (US Inflation) 41 सालों के उच्च स्तर पर है. इसे काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है.

डॉलर को मिल रहा सपोर्ट

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 15 जुलाई 2022, 1:11 PM IST)
  • पिछले एक साल में तेजी से गिरा रुपया
  • डॉलर को मिल रहा बदले हालात में सपोर्ट

पिछले एक साल के दौरान भारतीय करेंसी (Indian Currency) के भाव में तेजी से गिरावट आई है. रुपये ने पिछले कुछ दिनों के दौरान लगातार नया रिकॉर्ड लो (Rupee At Record Low) बनाया है. रुपये की यह तेज गिरावट देश में राजनीतिक बयानबाजियां भी बढ़ा रही हैं. विपक्षी दल लगातार इसे लेकर सरकार को निशाना बना रहे है. बीते एक साल के दौरान रुपया डॉलर (USD) के मुकाबले 5 रुपये से ज्यादा गिरा है और पहली बार डॉलर के मुकाबले 80 के भी पार निकलने के करीब है. हालांकि कई अन्य देशों को देखें तो उनकी करेंसी की तुलना में अभी भी डॉलर बेहतर स्थिति में है.

इन कारणों से मजबूत हो रहा डॉलर

दरअसल बदलते हालात ने पूरी दुनिया के ऊपर मंदी का जोखिम खड़ा कर दिया है. अमेरिका में महंगाई (US Inflation) 41 सालों के उच्च स्तर पर है. इसे काबू करने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) तेजी से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. महंगाई के ताजा आंकड़े के बाद अमेरिका में ब्याज दर में एक झटके में एक फीसदी की बढ़ोतरी की आशंका तेज हो गई है. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का फायदा डॉलर को मिल रहा है. मंदी (Recession) के डर से विदेशी निवेशक उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के तौर पर डॉलर खरीद रहे हैं. इस परिघटना ने डॉलर को अप्रत्याशित तरीके से मजबूत किया है. इसी कारण कई दशक बाद पहली बार डॉलर और यूरो (Euro) के भाव लगभग बराबर हो गए हैं, जबकि यूरो डॉलर से महंगी करेंसी हुआ करती थी.

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इतनी गिरी रुपये की वैल्यू

भारत की बात करें तो रुपया साल भर पहले डॉलर के मुकाबले 74.54 के स्तर पर था. अभी यह 79.90 पर जा चुका है और कभी भी 80 के पार निकल सकता है. इस तरह बीते एक साल में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 6.6 फीसदी कमजोर हुआ है. अन्य पड़ोसी देशों को देखें तो पाकिस्तान की करेंसी इस दौरान सबसे ज्यादा खराब परफॉर्म करने वाली सूची में शामिल है. बीते एक साल के दौरान पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू डॉलर के मुकाबले 31.65 फीसदी कम हुई है. साल भर पहले एक डॉलर की वैल्यू 159.10 पाकिस्तानी रुपये के बराबर थी, जो अभी 209.46 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है.

श्रीलंका का सबसे ज्यादा बुरा हाल

एक अन्य पड़ोसी देश नेपाल की करेंसी भी इस दौरान टूटी है. साल भर पहले नेपाली रुपया एक डॉलर के मुकाबले 117.70 पर था. अभी यह डॉलर के मुकाबले 127.66 पर जा चुका है. इस तरह पिछले एक साल में नेपाली करेंसी करीब 8.50 फीसदी कमजोर हुई है. सबसे बुरा हाल श्रीलंका का है. आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक व राजनीतिक संकट से जूझ रहे इस पड़ोसी देश की करेंसी श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू तो इस दौरान करीब 84 फीसदी कम हुई है. साल भर पहले एक डॉलर की वैल्यू 196.55 श्रीलंकाई रुपये के बराबर थी, जो अभी 360.82 श्रीलंकाई रुपये के बराबर हो चुकी है.

नेपाल, अफगानिस्तान की करेंसी गिरी

बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की स्थिति भी ठीक नहीं है. साल भर पहले एक डॉलर का भाव 83.27 बांग्लादेशी टके के बराकर था, अभी यह 93.91 टके के बराबर है. इस तरह टके का भाव डॉलर की तुलना में इस दौरान 12.77 फीसदी गिरा है. राजनीतिक अस्थिरता से हाल ही में गुजरे अफगानिस्तान की करेंसी का भी बुरा हाल है. साल भर पहले डॉलर के मुकाबले क्या सच में डॉलर कमाने वाला ऐप है अफगान अफगानी 79 के लेवल पर था. यह अभी 25.64 फीसदी गिरकर 87.95 पर आ चुका है.

Rupee-Dollar: डॉलर के सामने क्यों 'कांप' रहा है भारतीय रुपया, जानिए आपकी किन जरूरतों पर होगा महंगाई का अटैक

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं क्या सच में डॉलर कमाने वाला ऐप है के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: June 23, 2022 9:12 IST

Rupee- India TV Hindi

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Highlights

  • FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपये में तेज गिरावट
  • डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर
  • कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी

भीषण महंगाई से यदि आपकी कमर झुकने लगी है तो मलहम लगाकर उसे मजबूत कर लीजिए, क्यों महंगाई का असल अटैक तो अब होने वाला है। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया थर थर कांप रहा है, और हर दिन गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के एक नये रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। वित्तीय बाजारों से लगातार विदेशी फंड का आउटफ्लो और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने रुपए पर दबाव बढ़ाया है।

अब आप कहेंगे हम तो दुकान से रुपये में खरीदारी करते हैं तो रुपया हमारी जेब पर कैसे असर डालेगा। तो जनाब, यह जान लीजिए कि हम अपनी जरूरत के कई जरूरी सामान जैसे कच्चा तेल, मोबाइल, लैपटॉप जैसे गेजेट्स, रासायनिक खाद, सोना आदि को विदेेशाों से आयात करते हैं। जिनका पेमेंट डॉलर में होता है। रुपये के गिरने से हमें डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्चने होंगे, इससे नुकसान हमारा ही होगा।

Rupee after Independence

Image Source : INDIATV

क्यों आ रही है रुपये में गिरावट

रुपये में गिरावट में अर्थशास्त्र का मांग और आपूर्ति का नियम लागू होता है। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई बढ़ने से जब किसी देश को अपनी तिजोरी से ज्यादा डॉलर खर्च करने होते हैं, तो डॉलर की मांग आ​पूर्ति से अधिक हो जाती है। ऐसे में रुपया गिरने लगता है। मौजूदा दौर में भारत कच्चे तेल की डेढ़ गुनी कीमत चुका रहा है। उस पर जिन विदेशी संस्थागत निवेशक जिन्हें FII कहते हैं वे भारी मात्रा में पैसा भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। इससे एक ओर जहां शेयर बाजार ढह रहे हें वहीं रुपया भी धराशाई हो रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

रेलिगेयर ब्रोकिंग के जिंस एवं करेंसी विभाग के उपाध्यक्ष, सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘‘घरेलू शेयरों से बेरोकटोक धन निकासी और डॉलर के मजबूत होने के बीच, कुछ समय के लिए 78 अंक के आसपास मंडराने के बाद, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘फेडरज रिजर्व के आक्रामक रुख और भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की आक्रामक बिक्री के कारण रुपया कमजोर होकर 78.30 से नीचे चला गया।’’

आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद

रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।

पेट्रोल डीजल सहित दूसरे आयातित प्रोडक्ट होंगे महंगे

डॉलर के मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है।

मोबाइल लैपटॉप की कीमतों पर असर

भारत अधिकतर मोबाइल और अन्य गैजेट का आयात चीन और अन्य पूर्वी एशिया के शहरों से होता है। विदेश से आयात के लिए अधिकतर कारोबार डॉलर में होता है। विदेशों से आयात होने के कारण अब इनकी कीमतें बढ़नी तय मानी जा रही है। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है। ऐसे में मेड इन इंडिया का दावा करने वाले गैजेट पर भी महंगे आयात की मार पड़ेगी।

विदेश में पढ़ना महंगा

इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

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