Algo trading

एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है?

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एल्गो ट्रेडिंग क्या है?

एल्गो ट्रेडिंग को एल्गोरिथम ट्रेडिंग भी कहा जाता है, जो टाइम, प्राइस और क्वांटिटी जैसे वेरीअबल के लिए ऑटमैटिड प्रे-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग इंस्ट्रक्शन का इस्तेमाल करके ऑर्डर एक्सेक्यूट करते हैं।

एल्गोरिथम ट्रेडिंग (ऑटोमेटेड ट्रेडिंग, ब्लैक-बॉक्स ट्रेडिंग, या केवल एल्गो ट्रेडिंग) मे एक कंप्यूटर प्रोग्राम बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल करके ट्रेडिंग के लिए जब आर्डर को प्लेस किया जाता है तब यह पहले से सेट किये गए इंस्ट्रक्शन का पालन करता है ताकि प्रॉफिट को उस स्पीड और फ्रीक्वेंसी से जेनेरेट कर सकें जो एक इंसान के लिए संभव न हो।

आप इसमें अपना खुद का एल्गोरिदम बना सकते हैं और इसे खरीदने या बेचने के सिग्नल को जेनेरेट करने के लिए इसे डेप्लॉय कर सकते हैं, लेकिन ऑर्डर प्लेस करते समय आपको खुद भी इसमें आने की ज़रूरत होती है क्योंकि रिटेल ट्रेडर्स को पुरे ऑटोमेशन की परमिशन नहीं होती है।

जो ट्रेडर्स इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कोडिंग और तकनीकी शब्दजाल नहीं समझ में आतें हैं, वह Streak by Zerodha का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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Algorithmic Trading Kya Hai? | जानिए Algo Trading क्या होता है और इसके फायदें क्या है?

Algo Trading in Hindi: मानवीय त्रुटियों से बचने और व्यापार करते समय लाभ की क्षमता बढ़ाने के लिए एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) का इस्तेमाल होता है। यहां जाने कि Algo Trading Kya Hai? (What is Algo Trading in Hindi) और Algo Trading के फायदें (Benefits of Algo Trading in Hindi) क्या है?

Algo Trading in Hindi: जब आप अपना फोन अनलॉक करते हैं और कोई एप्लिकेशन खोलते हैं, तो यह एल्गोरिदम (Algorithms) के आधार पर कार्य करता है। आप क्या करते हैं, आप क्या देखते हैं और आपकी प्राथमिकताओं से मेल खाने के लिए एप्लिकेशन को कैसे कस्टमाइज किया जाता है, इसका कारण एल्गोरिदम ही है। आज के दौर में लगभग हर सेक्टर लॉजिकल कोड को अपना आधार बना रहा है।

भारतीय वित्तीय बाजार के लिए भी एल्गोरिदम (Algorithm) नए नहीं हैं क्योंकि इनका उपयोग वर्चुअल ट्रांजेक्शन सिस्टम में ट्रेडिंग ट्रांसपेरेंसी या गड़बड़ियों को कम करने के लिए किया जाता है। एल्गोरिदम का उपयोग डिपॉजिटरी या स्टॉकब्रोकर तक सीमित नहीं है। निवेशक सक्रिय रूप से मानवीय त्रुटियों से बचने और व्यापार करते समय लाभ की क्षमता बढ़ाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया को एल्गोरिथम ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) कहा जाता है। आइये और विस्तार से जाने कि Algo Trading Kya Hai? (What is Algo Trading in Hindi) और Algo Trading के फायदें (Benefits of Algo Trading in Hindi) क्या है?

Algo Trading Kya Hai? | What is Algo Trading in Hindi | एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है?

Algorithmic Trading in Hindi: एल्गोरिथम ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) वित्तीय बाजार में उच्च गति से ट्रेडिंग ऑर्डर करने के लिए पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग इंस्ट्रक्शन का उपयोग करने की प्रक्रिया है। इन्वेस्टर और ट्रेडर ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं और इसे टाइम, वॉल्यूम और प्राइस के आधार पर ट्रेडिंग निर्देश देते हैं। एक बार जब सेट निर्देश बाजार में चालू हो जाते हैं, तो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर निवेशक द्वारा निर्धारित आर्डर को प्रोसेस करता है। आम तौर पर एल्गोरिथम एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? ट्रेडिंग (Algorithmic Trading) का उपयोग म्यूचुअल फंड, हेज फंड, बीमा कंपनियों, बैंकों आदि द्वारा बड़ी संख्या में उच्च मात्रा में ट्रेडों को करने के लिए किया जाता है, जो मनुष्यों के लिए असंभव हैं।

Algo Trading मानवीय भावनाओं और ट्रेडिंग एरर के प्रभाव के बिना सीमित समय में अधिक ट्रेडों की अनुमति देता है।

एल्गो ट्रेडिंग की रणनीतियां | Strategies of Algo Trading

एल्गोरिथम ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक कई रणनीतियों का उपयोग करते हैं।

Index Fund Rebalancing

इंडेक्स फंड अंडरलाइंग एसेट के मौजूदा बाजार मूल्य से मेल खाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को लगातार रीबैलेंस करते हैं। इस तरह, वे एल्गो ट्रेडर्स के लिए अपेक्षित ट्रेडों को भुनाने और 20-80 आधार अंकों के अंतर से लाभ कमाने के अवसर पैदा करते हैं। इंडेक्स फंड रीबैलेंसिंग द्वारा ट्रिगर किए गए ये ट्रेड प्रमुख रूप से एल्गोरिथम ट्रेडिंग के उपयोग के माध्यम से किए जाते हैं।

Trend Following

एल्गो ट्रेडर्स के बीच इस प्रकार का Algorithmic Trading सबसे आम है। इस प्रक्रिया में वे एल्गोरिथम ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के लिए निर्देशों का एक सेट तैयार करने के लिए मूविंग एवरेज, प्राइस मूवमेंट, चैनल ब्रेकआउट आदि का उपयोग करते हैं। एक बार सेट ट्रेंड हासिल हो जाने के बाद, सॉफ्टवेयर निवेशक के लिए ऑर्डर प्रॉसेस करता है।

आर्बिट्रेज तब होता है जब आप एक बाजार से कम कीमत वाला स्टॉक खरीदते हैं और उसे एक साथ दूसरे बाजार में बेचते हैं जहां स्टॉक की कीमत अधिक होती है, जिससे कीमत के अंतर से लाभ होता है। निवेशक ऐसे शेयरों की पहचान करने के लिए डेटा का लाभ उठाते हैं जो अलग-अलग कीमतों के साथ व्यापार कर रहे हैं और फिर दोनों बाजारों में ऑर्डर खरीदने और बेचने के लिए Algo Trading का उपयोग करते हैं।

Mathematical Model

निवेशक एक ही अंडरलाइंग एसेट के स्टॉक और डेरिवेटिव पर एक साथ व्यापार करने के लिए Mathematical Model का उपयोग करते हैं। एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? चूंकि यह ट्रांजेक्शन का एक जटिल सेट हो सकता है, इसलिए वे ऐसे एसेट की पहचान करने के लिए एल्गोरिथम ट्रेडिंग का उपयोग करते हैं और मूल्य में उतार-चढ़ाव के आधार पर विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के बीच ऑर्डर प्रोसेस करते हैं।

Mean Reversion

यह रणनीति एक एसेट के टेम्पररी हाई और लो को बढ़ावा देती है, और यदि आवश्यक समय दिया जाता है, तो एसेट की कीमत हमेशा औसत मूल्य (औसत मूल्य) पर वापस आ जाएगी। निवेशक एसेट की वैल्यू लिमिट को परिभाषित करने के लिए Algo Trading का उपयोग करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यदि वे लिमिट के अंदर या बाहर एसेट को आटोमेटिक रूप से खरीदते/बेचते हैं।

Volume Weighted Average Price

निवेशकों का लक्ष्य अपने ऑर्डर को Volume Weighted Average Price के जितना संभव हो सके प्रोसेस करना है। एल्गोरिथम ट्रेडिंग निवेशकों को बड़े ऑर्डर वॉल्यूम को हाई स्पीड से छोटे टुकड़ों में तोड़ने और क्लोजिंग प्राइस गोल को प्राप्त करने की अनुमति देता है।

Time Weighted Average Price

इस प्रकार की रणनीति बड़े ऑर्डर वॉल्यूम को गतिशील रूप से छोटे भागों में विभाजित करती है। हालांकि, निवेशक एल्गोरिथम ट्रेडिंग के माध्यम से रणनीति को प्रोसेस करने के लिए स्टार्ट और एंड टाइम के बीच विभाजित टाइम स्लॉट का उपयोग करते हैं। इसका उद्देश्य स्टार्ट और एंड टाइम के बीच एवरेज प्राइस के जितना संभव हो सके एक ऑर्डर प्रोसेस करके बाजार के प्रभाव को कम करना है।

एल्गो ट्रेडिंग के फायदें | Benefits of Algo Trading in Hindi

  • वे हाई स्पीड पर एक व्यापार या हाई वॉल्यूम के आर्डर प्रोसेस कर सकते हैं।
  • रखे गए आर्डर बिना किसी मानवीय त्रुटि के आटोमेटिक रूप एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? और अत्यधिक सटीक होते है।
  • वे महत्वपूर्ण मूल्य परिवर्तन से बच सकते हैं क्योंकि ऑर्डर सेकंड के भीतर होते हैं।
  • यह लेनदेन की लागत को कम करने की अनुमति देता है।
  • निवेशक विभिन्न बाजारों में अलग-अलग कीमत वाले शेयरों की पहचान कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
  • एसेट के मार्केट वैल्यू को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किए बिना बड़ी संख्या में ऑर्डर करने के लिए बड़े वित्तीय घराने Algo Trading का उपयोग कर सकते हैं।

Algo Trading एक निवेशक के लिए यह सुनिश्चित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है कि वे ट्रेडिंग करते समय शारीरिक या भावनात्मक त्रुटियां नहीं करते हैं और संभावित मुनाफे से चूक जाते हैं। हालांकि, Algorithmic Trading प्रकृति में अत्यधिक तकनीकी है और इसके लिए वित्तीय बाजार, डेटा एनालिसिस और कंप्यूटर प्रोग्राम से संबंधित अत्यधिक ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, Algorithmic Trading पिछले एसेट परफॉरमेंस, लाइव मार्केट फीड और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक पहुंच की मांग करती है।

Explainer : क्‍या है अल्‍गो ट्रेडिंग और सेबी के किस नियम से ब्रोकर्स में मचा हड़कंप, क्‍या इस ट्रेडिंग से मिलता है तय रिटर्न?

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर ब्रोकर्स के लिए नियम बना दिए हैं.

सेबी ने हाल में ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर नियम बनाया है. देश एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? में तेजी से बढ़ रही इस ट्रेडिंग को लेकर अभी तक कोई रेगुले . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 07, 2022, 15:15 IST

हाइलाइट्स

पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.
स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है.
इसमें जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

नई दिल्‍ली. अग्‍लो ट्रेडिंग जिसका पूरा नाम अल्गोरिदम ट्रेडिंग (Algorithm Trading) है, यह वैसे तो भारत में नया कॉन्‍सेप्‍ट है लेकिन इसका इस्‍तेमाल साल 2008 से ही होता रहा है.

अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर अभी तक ब्रोकर तय रिटर्न का दावा करते थे, लेकिन पिछले सप्‍ताह बाजार नियामक सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं और इसके बाद से ट्रेडिंग की इस नई विधा पर बहस भी शुरू हो गई है. इस बहस को हवा तब मिली जब जिरोधा के फाउंडर निखिल कामत ने अल्‍गो ट्रेडिंग के तय रिटर्न वाले दावे पर सवाल उठाए. उन्‍होंने कहा, अभी तक इसे लेकर काफी भ्रम फैलाया जा चुका है.

कैसे होती है अल्‍गो ट्रेडिंग
अल्‍गो ट्रेडिंग में स्‍टॉक की खरीद-फरोख्‍त पूरी तरह कंप्‍यूटर के जरिये की जाती है. इसमें स्‍टॉक चुनने के लिए जिस गणना का उपयोग होता है, वह भी एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? कंप्‍यूटर द्वारा ही किया जाता है. इसीलिए इसका नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्‍ड ट्रेडिंग भी है. इसके लिए कंप्‍यूटर में पहले से ही अलग-अलग पैरामीटर्स के हिसाब से गणनाएं फीड की जाती हैं. साथ ही स्‍टॉक को खरीदना या बेचना है उसका निर्देश, शेयर बाजार का पैटर्न और सभी नियम व शर्ते भी पहले से फीड कर दी जाती हैं. जैसे ही आप बटन दबाते हैं, कंप्‍यूटर ट्रेडिंग शुरू कर देता है.

इस सिस्‍टम का लिंक स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है, लिहाजा बाजार की पल-पल की अपडेट भी मिलती रहती है. इसकी मदद से ट्रेडिंग का समय काफी बच जाता है और ब्रोकर को भी सही स्‍टॉक चुनने में मदद मिलती है. यही कारण है कि अभी तक ब्रोकर यह दावा करते थे कि अल्‍गो ट्रेडिंग के जरिये तय रिटर्न मिलना आसान है. उनका तर्क था कि यह सिस्‍टम किसी स्‍टॉक की भविष्‍य की संभावनाओं और पुराने प्रदर्शन का सही व सटीक आकलन कर सकता है.

क्‍यों पड़ी सेबी की निगाह
बाजार नियामक सेबी ने दिसंबर, 2021 में ही कहा था कि वह जल्‍द ही अल्‍गो ट्रेडिंग को लेकर कुछ नियम बनाने वाला है. सेबी के दखल देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अभी भारतीय शेयर बाजार में होने वाली करीब 50 फीसदी ट्रेडिंग इसी विधा के जरिये की जाती है. इससे पहले तक यह ट्रेडिंग पूरी तरह नियंत्रण से बाहर थी, लेकिन अब सेबी ने इसे लेकर कुछ नियम बना दिए हैं.

क्‍या है सेबी का नया नियम
बाजार नियामक ने पिछले सप्‍ताह एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो भी ब्रोकर अल्‍गो ट्रेडिंग की सेवाएं देते हैं, वे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में स्‍टॉक के पुराने प्रदर्शन या भविष्‍य की संभावनाओं की जानकारी अपने उत्‍पाद के साथ नहीं दे सकेंगे. यह कदम ब्रोकर्स के उन दावों के बाद उठाया गया है, जिसमें अल्‍गो ट्रेडिंग की मदद से निवेशकों को तय और ऊंचे रिटर्न का झांसा दिया जाता था.

सेबी ने अपने सर्कुलर में यह भी कहा है कि अगर कोई ब्रोकर या उससे जुड़ी फर्म ने अपनी वेबसाइट या अन्‍य किसी माध्‍यम से किए गए प्रचार-प्रसार में अल्‍गो ट्रेडिंग से जुड़े इन कयासों का उल्‍लेख किया है तो सर्कुलर जारी होने के 7 दिन के भीतर उसे हटा दिया जाना चाहिए. निवेशकों के हितों एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? को देखते हुए ब्रोकर भविष्‍य में ऐसा कोई प्रलोभन नहीं दे सकेंगे.

क्‍या सच में फायदेमंद है अल्‍गो ट्रेडिंग
भारतीय शेयर बाजार में अल्‍गो ट्रेडिंग का इस्‍तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब तो आधे से ज्‍यादा ब्रोकर इसी का इस्‍तेमाल करते हैं. ऐसे में यह तो तय है कि अल्‍गो ट्रेडिंग कुछ फायदेमंद है, लेकिन इसका सही उपयोग तभी किया जा सकता है, जबकि ब्रोकर को कुछ सटीक जानकारियां मिल सकें. इसमें स्‍टॉक की हिस्‍ट्री, उसके आंकड़ों का वेरिफिकेशन और रिस्‍क मैनेजमेंट की गणना सबसे जरूरी है.

क्‍यों बढ़ रहा इसका चलन
1-हिस्‍ट्री की सही समीक्षा : सबसे जरूरी है कि किसी स्‍टॉक के पिछले प्रदर्शन की सही समीक्षा और उसके बाजार पैटर्न को समझकर ही उसके भविष्‍य में प्रदर्शन का आकलन लगाना चाहिए, जो कंप्‍यूटर बेहतर तरीके से करता है.
2-गलतियों की कम गुंजाइश : अल्‍गो ट्रेडिंग का पूरा काम कंप्‍यूटर के जरिये होता है. ऐसे में ह्यूमन एरर जैसी चीजों की आशंका शून्‍य हो जाती है. साथ ही यह रियल टाइम के प्रदर्शन के आधार पर भी स्‍टॉक का चुनाव कर सकता है.
3-भावनात्‍मक प्रभाव में कमी : अल्‍गो ट्रेडिंग में किसी स्‍टॉक का चुनाव करते समय मानवीय भावनाएं आती हैं, क्‍योंकि इसकी गणना और चुनाव पूरी तरह से मशीन के हाथ में होता है.
4-ज्‍यादा रणनीति का सृजन : कंप्‍यूटर एल्‍गोरिद्म के जरिये एक ही समय में सैकड़ों रणनीति बनाई जा सकती है. इससे आपका जोखिम प्रबंधन मजबूत होता है और निवेश पर ज्‍यादा रिटर्न कमाने के कई रास्‍ते खुलते हैं.
5-एरर फ्री ट्रेडिंग : अल्‍गो ट्रेडिंग पूरी तरह मशीन पर आधारित होने के नाते इसके जरिये गलत ट्रेडिंग या मानवीय गलतियों की आशंका भी खत्‍म हो जाती है. यही कारण है कि खुदरा निवेशकों में भी अब अल्‍गो ट्रेडिंग का चलन बढ़ रहा है.

इसके नुकसान भी हैं
-अल्‍गो ट्रेडिंग में बिजली की खपत ज्‍यादा होती है और पावर बैकअप न होने पर कंप्‍यूटर क्रैश भी हो सकता है. इससे गलत ऑर्डर, डुप्लिकेट ऑर्डर या फिर लापता ऑर्डर भी हो सकते हैं.
-ट्रेडिंग के लिए बनाई जा रही रणनीति और उसकी वास्‍तविक रणनीति के बीच अंतर हो सकता है. कई बार कंप्‍यूटर में खराबी की वजह से भी ऐसी स्थिति आ सकती है.
-कंप्‍यूटर आपको कई रणनीति और रिटर्न का कैलकुलेशन और रास्‍ता बताएगा, जो आपका नुकसान भी करा सकता है, क्‍योंकि बाजार की वास्‍तविक स्थितियां मशीनी रणनीति से अलग हो सकती हैं.

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Algo trading meaning in hindi ?Algo trading क्या है?


Algo trading kya hoti hai ?

Algo trading kya hoti hai ? एल्गोरिथम ट्रेडिंग / Algo trading के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं । एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? एल्गोरिथम ट्रेडिंग(Algo trading) का उपयोग ऑर्डर खरीदने और बेचने दोनों में किया जाता है। एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग भविष्य की कीमतों, ट्रैंड और मुवमेंट की भविष्यवाणी करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।

एक एल्गोरिथम एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में लिखा जाएगा जो एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रेडों को क्रियान्वयन करता है। कार्यक्रम में उच्च संभावना वाले ट्रेडों की पहचान करने के साथ-साथ लाभ लक्ष्य निर्धारित करने और ट्रेडिंग जोखिम प्रबंधन प्रदान करने के लिए नियम निर्धारित होंगे।

Algo trading क्या है?

Algo trading kya hoti hai ? -यानी एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग है वहां पर वह कंप्यूटर आपके इस फार्मूले को आपका आदेश मानता है और उसके हिसाब से ट्रेड करता है जब आप उसे कहते हैं।

इस लेवल के नीचे कितनी क्वांटिटी सेल कर दीजिए वह सेल कर देता है आप उसे किस लेवल के ऊपर कितनी क्वांटिटी ले लीजिए वह ले लेता है आप उसको कहते हैं यह मेरा तो आपके स्टाफ का पालन करता है यानी कि आप जोड़ सकते हैं अपने ट्रेड से आप मुझको एक फार्मूले के रूप में लिख देते हैं और उसको कंप्यूटर में डाल देते हैं

कंप्यूटर आप की जगह ट्रेड करता है और आप एकदम से फ्री हो जाते हैं तो दोस्तों सुनने में तो यह बहुत आसान लगता है कि यह तो बहुत ही अच्छी चीज है कि हम 1 फार्मूला लिखकर कंप्यूटर में डाल दें तो हमारी जगह कंप्यूटर काम करेगा और हम ट्रेडिंग से फ्री हो सकते हैं

लेकिन यह इतना एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? आसान नहीं है क्योंकि इसके अंदर एक तो आपको काफी हाई एंड प्रोग्राम लिखने होते हैं इसके अलावा आपको उस ब्रोकर के साथ काम करना होता है जिसके पास में nse की परमिशन है एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? कि वह एल्गोरिदम ट्रेडिंग कर सकते हैं।

Algo trading फायदे क्या क्या है | Benefits of algo trading .

Algo trading kya hoti hai

Algo trading

इसके फायदे क्या क्या है तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें इमोशनलेस एल्गोरिथम ट्रेडिंग क्या है? ट्रेडिंग होती है यानी कंप्यूटर को नहीं पता कि मार्केट कहां जा रही है स्टॉक कैसे जाएगा उसमें ग्रीड और फियर नहीं है हम लोग लालच के कारण ले लेते हैं और फिर के कारण बेच देते हैं ।

लेकिन कंप्यूटर के अंदर तो ना लालच होता है ना डर होता है उसका जब तक सर्टन लेवल नहीं कटेगा उसका जब तक सेंटर लेवल ऊपर तक नहीं कटेगा ना तो वह बेचेगा और ना वो खरीदेगा उसमें इमोशंस नहीं होते उसको नहीं पता कौन सी सरकार बन रही है उसको नहीं पता यूएस में क्या हो रहा है उसको नहीं बताया क्या हो रहा है।

आप बहुत ही high-frequency ट्रेड कर सकते हैं यानी कि आप हर 2 मिनट में 3 मिनट में 5 मिनट में 1 घंटे में आप किसी भी टाइम फ्रेम में चाहे ट्रेड डाल सकते हैं और उसको काट सकते हैं जबकि ह्यूमन अगर चाहता है कि वह इतने छोटे टाइम फ्रेम में इतने ज्यादा सौदों को ले और इतने ज्यादा सौदों को बेचे तो उसके लिए बहुत बड़ी प्रॉब्लम है तो जो भी लोग बहुत बड़ी क्वांटिटी में काम करते हैं।

या बहुत ज्यादा सौदों करते हैं उन लोगों के लिए एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग बहुत ही अच्छी रहती है और हमारे इंडिया में भी और बाहर भी आजकल इसकी बहुत ज्यादा शुरुआत हो चुकी।

Algo trading नुकसान क्या क्या है | Disadvantages of algorithmic trading.

इसके नुकसान क्या क्या है इसके नुकसान यह है कि इसमें कोई मार्केट को ऊपर की तरफ जा रही हो या नीचे की तरफ जा रहे हो तभी आपको ज्यादा पैसा कमा कर दे सकता है वरना साइड भेज मार्केट मैं हमेशा दिक्कत आएगी

जब मार्केट साइड वेज में होती है एक रेंज में बनी होती है तब उसके बार-बार स्टॉप लोस्स हिट होते हैं आपने अगर एक ऐसा फार्मूला लिखा हुआ है कि इस के नीचे बाय कर लीजिए उसके ऊपर सेल कर दीजिए तो वह उस रेंज में बार-बार ऊपर नीचे जाएगा और बार-बार आपके स्टॉपलॉस हिट होंगे एल्गोरिथमिक ट्रेडिंग साइड वेज मार्केट में बिल्कुल यूज़ लेस है और इसका कोई भी इस्तेमाल नहीं है

इसीलिए जो लोग एल्गो ट्रेडिंग करते हैं वह जब जाकर नेट में देखते हैं तो उनको भी बहुत ज्यादा प्रॉफिट नहीं आया होता क्योंकि ट्रेड के अंदर जो प्रॉफिट आता है उस साइड वेज मार्केट में सारा चला जाता है और आप उसको यह भी नहीं कह सकते क्या साइड वेज मार्केट में ट्रैड मत कीजिए क्योंकि वह कोई इंसान नहीं है

इसीलिए देखने में आता है कि एल्गो ट्रेडिंग ज्यादा तर HNI कैटेगरी के लोग या बहुत बड़े-बड़े इस्टीट्यूशन्स या FII करते हैं क्योंकि इसके लिए बहुत बड़े सिस्टम चाहिए और उसके लिए आपको जो फार्मूला लिखना होगा वह भी काफी हद तक एक्यूरेट होना चाहिए क्योंकि अगर आपने हल्का-फुल्का भी कुछ छोड़ दिया उसमें आप को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है

इस फार्मूले को आपको पिछले कई सालों में जाकर चेक करना पड़ता है कि अगर यह पिछले 8 साल में 5 साल में मैंने इससे काम किया होता तो मेरे हाथ में क्या आता ।बहुत सारे प्रॉब्लम है जिनके कारण एल्गो ट्रेडिंग हर आदमी नहीं कर सकता और रिटेल इन्वेस्टर के लिए तो सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि उसका

उसका ट्रेड बहुत ही छोटे छोटे साइज का होता है और उसकी टोटल इन्वेस्टमेंट भी बहुत ज्यादा नहीं होती है।

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