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सौर ऊर्जा कृषि पंप के 7 फायदे

Solar water pump benefits | Crompton Solar water pump benefits | Crompton

खेती की प्रक्रिया बेहद कठिन और जटिल होता है लेकिन कृषि यंत्रों की मदद और तकनीक ने इसे थोड़ा सरल बना दिया है। सिंचाई खेती के लिए लाइफलाइन की तरह होती है। इसके बिना खेती की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में सिंचाई के पंप किसी वरदान से कम नहीं हैं। किसानों के लिए अधिक आर्थिक लागत परेशानी का कारण बनती है लिहाजा सस्ते उपकरण के साथ-साथ ऊर्जा के किफायती स्रोत का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है। पारम्परिक कृषि पंप बिजली या महंगे ईंधन पर चलते हैं जिससे सिंचाई का काम एक लाभ लेने वाला उपकरण तो हो जाता है लेकिन लागत अधिक आने से किसान परेशान होते हैं।

सौर ऊर्जा के उपयोग वाले कृषि पंप से किसानों एक लाभ लेने वाला उपकरण को कई प्रकार की सुविधाएं मिली हैं। लिहाजा सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं। सौर ऊर्जा कृषि पंप के 7 फायदे क्या हैं, यहां जान लेते हैं:

1. बाहरी ऊर्जा की खपत नहीं

सौर ऊर्जा कृषि पंप का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसे लगाने के बाद आपको ऊर्जा के किसी महंगे स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। आपको बस सूर्य की रोशनी और सोलर पैनल की जरूरत होती है जिसके माध्यम से सुदूर इलाकों में भी अपने फसल को पानी पहुंचा सकते हैं। आजकल तकनीक के द्वारा आप रिमोट एरिया में रहते हुए भी इसके पानी के बहाव को ऑपरेट कर सकते हैं। सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से किसान सिंचाई को लेकर अपनी ऊर्जा खपत के मामले में आत्मनिर्भर हो रहे हैं!

2. परिचालन लागत का कम होना

सौर ऊर्जा से चलने वाले कृषि पंप मुफ्त उपलब्ध सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल करता है। लिहाजा इसका परिचालन बेहद ही कम या नगण्य होता है। यह बिजली और डीजल जैसे महंगे ऊर्जा पर निर्भरता को भी काफी हद तक मिटा देता है। इसे चलाने के लिए बार-बार आर्थिक भार उठाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है। सोलर पैनल सूर्य के प्रकाश से चार्ज होते रहता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से उसे चलाकर पानी का उपयोग कर सकते हैं।

3. आसान और विश्वसनीय

सौर ऊर्जा कृषि पंप को ऑपरेट करना आसान होता है क्योंकि इसमें बहुत ही कम उपकरण लगे होते हैं। इसके अलावा पारम्परिक पंप की तरह बिजली कटौती, कम वोल्टेज, आदि जैसी समस्या नहीं होती है। दूरदराज के इलाकों एक लाभ लेने वाला उपकरण में जहां बिजली की आपूर्ति नहीं होती है, वहां भी सौर ऊर्जा कृषि पंप बहुत ही कारगर सिद्ध होता है। लिहाजा विशेष परिस्थिति में भी सोलर पंप किसानों की मदद के लिए फायदेमेंद हो सकता है ।

4. पर्यावरण के अनुकूल

अन्य पम्पों की एक लाभ लेने वाला उपकरण तरह सौर ऊर्जा कृषि पंप ध्वनि और वायु प्रदूषण के कारण नहीं बनते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि यह किसी भी ऐसे ईंधन पर नहीं चलते हैं जो प्रदूषण की वजह बनते हैं। इसके माध्यम से कोई भी हानिकारक पदार्थ मुक्त नहीं होता है जिससे कि पर्यावरण के लिए समस्या पैदा हो सके। पारम्परिक ईंधन जहां पर्यावरण के लिए घातक होते हैं, वहीं सौर ऊर्जा एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर उभरा है।

5. आर्थिक रूप से लाभकारी

सोलर कृषि पंप के इस्तेमाल में कुछ खास खर्च नहीं है और रखरखाव भी नहीं है। ऐसे में किसान अपने उपयोग के बाद बचे हुए सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेच सकते हैं। एक तो यह लागत के हिसाब से किफायती है, वहीं यह कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। कुल मिलाकर सौर ऊर्जा कृषि पंप बहुत ही लाभकारी है।

6. पर्याप्त उत्पादकता

सौर ऊर्जा कृषि पंप जरूरत के समय हमेशा आपके लिए उपलब्ध रहता है। जब अधिक गर्मी पड़ती है तो पानी की ज्यादा जरूरत होती है, ऐसे समय सोलर पैनल भी अधिक चार्ज होता है और आप पानी की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। वहीं बरसात और ठंढ में सोलर एनर्जी कम बनता है तो आप पानी को स्टोर कर रख सकते हैं। आप स्टोरेज टैंक का आकार अगर बड़ा रखते हैं तो कभी मायूस होने की जरूरत नहीं होगी।

7. स्थापना और स्थानांतरण आसान

सौर ऊर्जा कृषि पंप को स्थापित करना आसान होता है। किसी विशेषज्ञ से बात कर आप खुद ही इसे स्थापित कर पाएंगे। किसी भी बाहरी लोगों की कोई मदद की जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही अगर आप इसे मौसम या अपनी जरूरतों को देखते हुए स्थानांतरित करना चाहते हैं तो भी बहुत ही आसानी से ऐसा कर पाएंगे। अगर पंप को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने की जरूरत पड़ती है तो सौर ऊर्जा एक लाभ लेने वाला उपकरण कृषि पंप इसके लिए सही होता है।

इस प्रकार हमने देखा कि सौर ऊर्जा कृषि पंप कई तरह से फायदेमंद साबित होता है। खासकर खेती के लिए इसके उपयोग से किसान पूरी तरह निश्चिन्त हो सकते हैं। सूखे इलाका हो या पानी पंप करना हो, सोलर पैनल के इस्तेमाल से कम पानी वाले कुंओं से भी कृषि का काम किया जा सकता है। सिंचाई लागत कम होने से कृषि धीरे-धीरे छोटे-मंझोले किसानों के लिए भी अधिक मुनाफा देने वाला साबित हो सकता है। बिना किसी अतिरिक्त लागत और बोझ के सिंचाई का काम करना हो तो सौर ऊर्जा पंप एक बेहतरीन विकल्प है। क्रॉम्पटन के साथ आपको सबसे अच्छे कृषि के साथ-साथ आवासीय पंप भी मिलते हैं। पंप पर निर्णय लेने से पहले, सुविधाओं और विश्वसनीयता के संबंध में उचित शोध करें।

किसानों की आय बढ़ाने के कुछ व्यावहारिक उपाय

किसान देश के विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसकी मजबूती पूरे देश को मजबूत करती है। बार-बार चर्चा होती है कि किसानों की संख्या घट रही है, तो फिर कोशिशें भी हो रही हैं कि किसानों की आय को किसी तरह.

किसानों की आय बढ़ाने के कुछ व्यावहारिक उपाय

किसान देश के विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसकी मजबूती पूरे देश को मजबूत करती है। बार-बार चर्चा होती है कि किसानों की संख्या घट रही है, तो फिर कोशिशें भी हो रही हैं कि किसानों की आय को किसी तरह से बढ़ाया जाए। आज किसान दिवस पर किसानों की आय बढ़ाने के कुछ उपायों की चर्चा जरूरी है।
पहला उपाय, छोटे किसानों के लिए सबसे जरूरी है कि वे ज्यादा कीमत वाली फसलों की ओर मुखातिब हों, जैसे सब्जियां, शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी इत्यादि की खेती फायदेमंद साबित हो रही है। सब्जियों की मांग तेजी से बढ़ रही है। मध्य वर्ग विकसित हो रहा है, शहरीकरण हो रहा है, तो मांग बढ़नी ही है। छोटे किसानों को इस मांग की पूर्ति की ओर मुड़ जाना चाहिए।
दूसरा उपाय है, आज किसानों का एकत्रित और संगठित होना बहुत जरूरी है। कई जगह ऐसे किसान संगठन या संस्थाएं बन रही हैं। इसके लिए भारत सरकार की योजना भी है, तो किसानों को अपने आसपास पता करना चाहिए। जहां भी किसान संगठित हो रहे हों, वहां से जल्द से जल्द जुड़ जाना चाहिए। यही भविष्य है। आने वाले चार-पांच साल में अर्थव्यवस्था में जो बदलाव होगा, व्यवस्था संचार के आधार पर चलेगी। 5जी केवल संचार क्षेत्र में ही बदलाव नहीं लाएगा, यह किसानों को भी आपस में और अन्य कृषि संगठनों, बाजार इत्यादि से ज्यादा बेहतर तरीके से जोड़ देगा। संचार का लाभ लेने के लिए भी किसानों को अपने आस-पास बन रहे किसान-व्यापारिक संगठन से जुड़ना पड़ेगा।

तीसरा उपाय है, जल प्रबंधन। अभी ज्यादातर जगह किसानों को अकेले ही जल का इंतजाम करना पड़ता है। अब जल के लिए गांव एक लाभ लेने वाला उपकरण एक लाभ लेने वाला उपकरण भर के किसानों को सामूहिक रूप से योजना बनानी पड़ेगी। मेड़ों के अंदर-अंदर पाइप बिछाकर हर खेत तक सिंचाई का प्रबंध करना होगा। जिस खेत में पानी की जरूरत पड़ेगी, उस खेत के नल को बस खोलने की देर रहेगी। यह जलापूर्ति तंत्र सेंसर आधारित हो जाएगा। किसानों को समझना होगा, जलवायु परिवर्तन की वजह से भी पानी की दिक्कत आने वाली है। गांवों में सौर ऊर्जा आधारित सामूहिक सिंचाई व्यवस्था बनाने की ओर भी बढ़ना पड़ेगा।
चौथा उपाय है मशीनीकरण। अभी भी मशीनीकरण की रफ्तार बहुत धीमी है। ट्रैक्टर पर हमने खुद को रोक रखा है, छोटी मशीनें बहुत सारी हैं। बुआई, गोड़ाई, कटाई इत्यादि के लिए स्मार्ट मशीनों को अपनाना होगा। कोई भी अगर सोच रहा है कि वह तकनीक को रोक लेगा, तो वह कभी कामयाब नहीं होगा। मानव के विकास में तकनीक का विकास शामिल है और तकनीक के विकास में कृषि विकास।

पांचवां उपाय, राज्य सरकारों को भूमि सुधार करने की जरूरत है। चकबंदी हुए दशकों बीत गए, खेत फिर छोटे हो गए हैं, बिखर गए हैं। आज फिर चकबंदी की जरूरत है। देश के अनेक राज्यों में इस वजह से किसानों को समस्या होने लगी है, समाधान सरकारों को जल्द से जल्द करना चाहिए। पट्टा और बटाईदार कानून की भी जरूरत है। ऐसे कानून के न होने से कृषि में जो निवेश होना चाहिए, वह रुका हुआ है। आज आप लंबे समय तक खेती के लिए जमीन लीज पर नहीं ले सकते। पट्टे पर जमीन लेकर बहुत लोग खेती कर रहे हैं। जो जमीन मालिक दिल्ली-मुंबई में बैठा है, वह किसान नहीं है, जो लीज पर लेकर खेती कर रहा है, वह किसान है, इस किसान की चिंता करनी चाहिए। अच्छी नीति आएगी, तो निवेश भी आएगा, साथ ही, आधुनिकीकरण भी तेजी से हो पाएगा।

छठा उपाय, मैंने कई बार किसानों को देखा है, मौसम विभाग से आई सूचना का मजाक उड़ाते। बारिश की आशंका पर फसल ढकने के बारे में सोचना होगा। लोग समझ रहे हैं, ज्यादा तापमान के कारण सरसों में दाना नहीं बैठ रहा है, बाद में पता चलता है कि ज्यादा तापमान की सूचना तो आई थी, पर किसान ने ध्यान नहीं दिया।
सातवां उपाय, अब महिलाएं कृषि में बहुत ज्यादा आ गई हैं, एक लाभ लेने वाला उपकरण उनके अनुरूप मशीनें बनाने की जरूरत है। महिला कृषकों तक पूरी मदद पहुंचनी चाहिए। निस्संदेह, किसानों को देश से अपना यथोचित मांगते रहना चाहिए। आर्थिक आय इतनी तो हो जाए कि किसान अपने परिवार के साथ प्रतिष्ठित जीवन बिता सकें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

सिडबी द्वारा अनुसूचित जाति/ जनजाति के उद्यमियों के लिए नयी ऋण योजना ‘साथ’ की घोषणा

Jalandhar

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Jalandhar, 22 दिसंबर (वार्ता): स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ़ इंडिया (सिडबी) के महाप्रबंधक एवं चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय एक लाभ लेने वाला उपकरण प्रमुख बलबीर सिंह ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला की उपस्थिति में अनुसूचित जाति / जनजाति के उद्यमियों के लिए नयी सुगम सावधि ऋण योजना ‘साथ’ की घोषणा की। योजना की घोषणा के अवसर पर सांपला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए बहुत उदारता से नयी-नयी योजनाएं ला रही है। इसी उद्देश्य से यह ऋण योजना लायी जा रही है।

Jalandhar

प्रधानमंत्री के ध्यान में इन वर्गों के लोगों का कल्याण सर्वोपरि है। इसी मंतव्य के तहत सिडबी की ये ऋण योजना लायी जा रही है, जिसका लाभ उद्यमी अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए निश्चित रूप से ले सकेंगे। सांपला ने कहा कि सिडबी की इस ऋण योजना ‘साथ’ का लाभ देश भर के अनुसूचित जाति / जनजाति के उद्यमी उठा सकेंगे। वह सिडबी प्रबंधन के आभारी हैं कि उन्होंने विशेष तौर पर होशियारपुर जिले और फगवाड़ा (कपूरथला जिला) के उद्यमियों को ये ऋण उपलब्ध करने का उनका आग्रह मान लिया। बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सिवसुब्रमणियन रमण 28 दिसंबर को होशियारपुर में इस योजना के तहत होशियारपुर में एक कार्यक्रम में इन वर्गों के पात्र ऋण आवेदकों को ऋण पत्र प्रदान करेंगे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सांपला होंगे। इस अवसर पर 500 से ज्यादा उद्यमियों के पहुंचने की संभावना है, जो इस ऋण योजना का लाभ उठा सकेंगे। बलबीर सिंह ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति / जनजाति के उद्यमी नयी इकाई की स्थापना अथवा पहले से स्थापित इकाई के विस्तार या आधुनिकीकरण के लिए ऋण ले सकेंगे। पहले से स्थापित और उत्पादन में संलग्न अथवा सेवा क्षेत्र की इन मझौली एवं छोटी इकाइयों की स्थापना, विस्तार अथवा आधुनिकीकरण के लिए या इनकी अन्य पूंजीगत जरूरतें पूरी करने के लिए दिए जाने वाले कर्जे पर ब्याज की दर बहुत सुगम होगी। ऋण लेने वाला उद्यमी 25 लाख रुपए से एक लाभ लेने वाला उपकरण तीन करोड़ रुपए तक कर्ज ले सकेगा, जिसे अधिकतम सात वर्ष की अवधि में चुकाना होगा। ‘साथ’ नामक इस योजना के तहत इन इकाइयों द्वारा भूमि के अधिग्रहण, कार्यालय स्थापना, उपकरण, संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिए ऋण लिया जा सकेगा। इसका उपयोग पुराने ऋण चुकाने में नहीं हो सकेगा।

पात्रता के आधार पर इन इकाइयों के लिए प्रोत्साहन भी दिए जा सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत देश भर में ऋण देने की व्यवस्था है, अपितु सिडबी के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय के तहत होशियारपुर जिले और फगवाड़ा (जिला कपूरथला) के उद्यमियों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। प्राथिमकता एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों की उन इकाइयों के लिए एक लाभ लेने वाला उपकरण दी जाएगी, जिन्होंने भारत सरकार की ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना के तहत धन प्राप्त किया है। उद्यमी का मौजूदा इकाई में परियोजना लागत का न्यूनतम 20 प्रतिशत योगदान होना चाहिए। नयी इकाई के लिए न्यूनतम योगदान लागत का 25 प्रतिशत रखा गया है। ऋण लेने के पात्र जो उद्यमी कोलेट्रल सिक्योरिटी देने में असमर्थ हैं, उन्हें सिडबी सीजीटीएमएसई (क्रेडिट गारन्टी फण्ड फार माइक्रो एंड स्माल इंटरप्राइजेज) के माध्यम से सिक्योरिटी की यह राशि उपलबध कराएगी। इसी तरह सीजीटीएमएसई की प्रोसेसिंग फीस का 50 प्रतिशत भी सिडबी ही देगा।

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