Stock Split- स्टॉक स्प्ल्टि
क्या होता है स्टॉक स्प्ल्टि?
स्टॉक स्प्ल्टि (Stock Split) तब होता है जब कोई कंपनी अपने स्टॉक की तरलता बढ़ाने के लिए स्टॉक के वर्तमान शेयरों को विविध नए शेयरों में विभाजित कर देती है। हालांकि बकाया शेयरों की संख्या विशिष्ट मल्टीपल के द्वारा बढ़ जाती है, शेयरों का कुल डॉलर मूल्य स्प्ल्टि से पहले की मात्रा की तुलना में समान बना रहता है क्योंकि स्प्ल्टि कोई वास्तविक वैल्यू नहीं जोड़ता। स्प्ल्टि रेशिओ का सबसे समान रूप 1 के लिए 2 या 1 के लिए 3 है (कभी कभार इसे 2:1 या 3:1 के रूप में वर्णित किया जाता है) जिसका अर्थ यह है कि स्टॉकहोल्डर के पास स्प्ल्टि होने के बाद क्रमशः स्प्ल्टि से पहले ओन्ड प्रत्येक शेयर के लिए दो या तीन शेयर होंगे।
मुख्य बातें
- स्टॉक स्प्ल्टि तब होता है जब कंपनी स्टॉक की तरलता बढ़ाने के लिए स्टॉक के वर्तमान शेयरों को विविध नए शेयरों में विभाजित कर देती है।
- हालांकि बकाया शेयरों की संख्या विशिष्ट मल्टीपल के द्वारा बढ़ जाती है, शेयरों का कुल डॉलर मूल्य स्प्ल्टि से पहले की मात्रा की तुलना में समान बना रहता है क्योंकि स्प्ल्टि से कोई वास्तविक वैल्यू नहीं पैदा होती।
- स्प्ल्टि रेशिओ का सबसे समान रूप 1 के लिए 2 या 1 के लिए 3 है जिसका अर्थ यह है कि स्टॉकहोल्डर के पास स्प्ल्टि होने के बाद क्रमशः स्प्ल्टि से पहले ओन्ड प्रत्येक शेयर के लिए दो या तीन शेयर होंगे।
- रिवर्स स्टॉक स्प्ल्टि प्रभावी रूप से अपोजिट ट्रांजेक्शन होते हैं, जहां कंपनी मल्टीप्लाई करने की जगह इसके अनुरूप मार्केट प्राइस को बढ़ाते हुए स्टॉकहोल्डर के स्वामित्व वाले शेयरों को विभाजित करती है।
स्टॉक स्प्ल्टि किस प्रकार काम करता है?
स्टॉक स्प्ल्टि कारपोरेट एक्शन होता है जिसमें कंपनी वर्तमान शेयरों को विविध शेयरों में विभाजित करती है। कंपनियां अपने शेयरों को स्प्ल्टि करना पसंद करती हैं, जिससे कि वे स्टॉक की ट्रेडिंग कीमत को अधिकांश निवेशकों द्वारा आरामदायक समझे जाने वाले रेंज तक नीचे ले आएं और शेयरों की तरलता बढ़ाएं। जब किसी स्टॉक को स्प्ल्टि किया जाता है तो शेयरों की कीमतें मार्केट में स्वाभाविक रूप से समायोजित हो जाती हैं।
मनी नॉलेज: क्या है स्टॉक स्प्लिट? यह कंपनी और शेयरधारकों को कैसे प्रभावित करता है? स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?
स्टॉक स्प्लिट का मतलब है शेयर विभाजन। स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है। आमतौर पर किसी कंपनी के शेयर जब बहुत महंगे हो जाते हैं, तब छोटे निवेशक उन शेयरों में निवेश नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों की ओर छोटे निवेशकों को आकर्षित करने और बाजार में मांग बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट का भी सहारा लेती है।
शेयरधारकों पर क्या असर होता है
यदि कोई कंपनी अपने शेयरों को दो हिस्से में विभाजित करती है, तो शेयरधारकों को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर दिया जाता है। इससे शेयरधारक के पास पहले से मौजूद शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है। निवेश के वैल्यू पर इससे कोई असर नहीं होता, क्योंकि दो हर एक शेयरों को दो शेयरों में स्प्लिट करने से हर एक शेयर का वैल्यू आधा हो जाता है।
कंपनी पर क्या असर होता है
शेयर स्प्लिट से कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन इससे कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन पर कोई असर नहीं होता है। स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर अधिक लिक्विड हो जाते हैं। कई बार लोग स्टॉक स्प्लिट को बोनस शेयर को एक ही समझ बैठते हैं। लेकिन ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
छोटे निवेशकों के लिए निवेश करना हो जाता है आसान
स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की कीमत घट जाती है। इससे छोटे निवेशकों के लिए उस कंपनी के शेयरों में निवेश करना आसान हो जाता है। कीमत कम होने से उन शेयरों की मांग अचानक बढ़ जाती है। इसलिए स्प्लिट के बाद कुछ समय के लिए उन शेयरों में उछाल देखा जाता है।
Bonus Issue VS Stock Split: स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर क्या है? कंपनियां क्यों करती हैं ऐसा? आम निवेशकों पर क्या होता है इसका असर
Bonus Issue VS Stock Split: स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है- शेयरों का विभाजन. आसान शब्दों में इसका मतलब है किसी भी शेयर को दो या दो से ज्यादा हिस्सों में तोड़ देना.
कंपनियां कई बार अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती है. वहीं, कई बार उन्हें एक्स्ट्रा शेयर भी दिया जाता है.
Bonus Issue VS Stock Split: कंपनियां अपने शेयरधारकों को खुश करने के लिए कई अलग-अलग तरीके अपनाती है. इसके तहत, कंपनियां कई बार अपने शेयरधारकों को डिविडेंड देती है. वहीं, कई बार उन्हें एक्स्ट्रा शेयर भी दिया जाता है. स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने वाले निवेशक अक्सर स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) और बोनस शेयर (Bonus Share) के बारे में सुनते होंगे, लेकिन कई लोगों को इसका मतलब नहीं पता होता है. क्या है इनका मतलब और कंपनियां क्यों करती हैं इन शब्दों का इस्तेमाल. आइए समझते हैं.
क्या है स्टॉक स्प्लिट
स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है- शेयरों का विभाजन. आसान शब्दों में इसका मतलब है किसी भी शेयर को दो या दो से ज्यादा हिस्सों में तोड़ देना. कंपनी इसमें नया शेयर जारी नहीं करती है बल्कि इसमें मौजूदा शेयरों को ही डिवाइड या स्प्लिट कर दिया जाता है. मान लीजिए, कोई कंपनी 1:2 रेश्यो में स्टॉक स्प्लिट का एलान करती है. इसका मतलब है कि अगर आपके पास उस कंपनी का एक शेयर है तो यह दो शेयर बन जाएगा. वहीं, 100 शेयरों की संख्या स्प्लिट के बाद 200 हो जाएगी.
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कंपनियां क्यों करती हैं स्टॉक स्प्लिट
अब सवाल यह है कि कंपनी ऐसा क्यों करती है? जानकारों की मानें तो जब किसी कंपनी का शेयर काफी ज्यादा हो जाता है तो छोटे निवेशक इसमें पैसा लगाने से कतराते हैं. छोटे निवेशकों के लिए इसमें निवेश को आसान बनाने के लिए ही कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है. इसके अलावा, स्टॉक स्पलीट क्या है? कई बार मार्केट में डिमांड बढ़ाने के लिए भी स्टॉक स्प्लिट किया जाता है.
क्या है बोनस शेयर
बोनस इश्यू तब होता है जब मौजूदा शेयरधारकों को निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं. मान लीजिए कि कोई कंपनी 4:1 के रेश्यो में बोनस इश्यू का एलान करती है तो इसका मतलब है कि अगर किसी शेयरहोल्डर के पास 1 शेयर हो तो उसे इसके बदले 4 शेयर मिलेंगे. इसका मतलब है कि अगर किसी निवेशक के पास 10 शेयर हैं तो उसे बोनस शेयर के रूप में कुल 40 शेयर मिल जाएंगे.
बोनस इश्यू VS स्टॉक स्प्लिट: शेयर की कीमत
बोनस इश्यू- बोनस इश्यू में शेयर की कीमत जारी किए गए शेयरों की संख्या के अनुसार एडजस्ट हो जाती है. मान लीजिए किसी कंपनी ने 4:1 रेश्यो में बोनस इश्यू का एलान किया है. अब इसे उदाहरण के समझते हैं.
- बोनस इश्यू से पहले स्टॉक की कीमत- 100 रुपये
- बोनस इश्यू से पहले कुल शेयर संख्या- 100 शेयर
- बोनस जारी होने के बाद शेयरों की संख्या हो जाएगी- 400 शेयर
- वहीं, बोनस इश्यू के बाद स्टॉक की कीमत हो जाएगी- 25 रुपये
स्टॉक स्प्लिट- स्टॉक स्प्लिट में शेयर की कीमत अनुपात में आधी हो जाती है.
- मान लीजिए, स्टॉक स्प्लिट रेश्यो- 1:2
- स्टॉक स्प्लिट से पहले स्टॉक की कीमत- 100 रुपये
- स्टॉक स्प्लिट से पहले कुल शेयर संख्या- 100 शेयर
- स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर संख्या- 200 शेयर
- स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत- 50 रुपये
बोनस इश्यू VS स्टॉक स्प्लिट: क्या स्टॉक स्पलीट क्या है? है अंतर और निवेशकों के लिए क्या है इसके मायने
स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर दोनों में ही शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और स्टॉक स्पलीट क्या है? मार्केट वैल्यू कम हो जाती है. हालांकि, केवल स्टॉक स्प्लिट में ही फेस वैल्यू कम हो जाती है, जबकि बोनस इश्यू में यह नहीं होता. स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू में यही मुख्य अंतर है. कंपनियां इन दोनों तरीकों से अपने शेयरहोल्डर्स को इनाम देती है. बोनस इश्यू और स्टॉक स्प्लिट दोनों में ही शेयरहोल्डर्स को अतिरिक्त राशि देने की जरूरत नहीं होती. स्टॉक स्प्लिट में पहले से उपलब्ध शेयर स्प्लिट हो जाती है. इसका मतलब है कि आपके पास उपलब्ध शेयरों की संख्या बढ़ जाती है. वहीं, शेयरों की कीमत कम हो जाती है. हालांकि, आपके द्वारा निवेश किए गए पैसे पर स्टॉक स्प्लिट के चलते कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
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Stock Split क्या होता है? कंपनी और शेयरधारकों के लिए कैसे फायदेमंद? स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?
Stock Split: अगर किसी कंपनी के शेयर की वैल्यूएशन ज्यादा हो गई है तो शेयर को दो हिस्से में तोड़ा जाता है.
Stock Split: शेयर स्टॉक स्पलीट क्या है? बाजार में कई तरह के शब्दों या टर्म्स का इस्तेमाल होता है. ट्रेडिंग के दौरान इन शब्दों से निवेशकों का भी वास्ता पड़ता है. डिविडेंड, शेयर बायबैक, स्टॉक स्प्लिट जैसे शब्द अक्सर सुनने को मिलते हैं. हाल ही में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी Amazon ने अपने स्टॉक स्प्लिट का ऐलान किया है. लेकिन, आखिर ये स्टॉक स्प्लिट होता क्या है? निवेशकों के लिए क्यों इतना खास है ये शब्द. कंपनियां क्यों और किस लिए करती हैं इसका इस्तेमाल? ऐसे तमाम सवाल आपके जहन में भी आते होंगे. आज हम आपको बताएंगे ये स्टॉक स्प्लिट क्या है और क्यों किया जाता है.
क्या होता है स्टॉक स्प्लिट का मतलब?
स्टॉक स्प्लिट का मतलब शेयर विभाजन होता है. आसान शब्दों में कहें तो किसी भी एक शेयर को तोड़कर दो या उससे ज्यादा बना देना. स्टॉक स्प्लिट के जरिए कंपनियां अपने शेयरों को एक से ज्यादा शेयरों में विभाजित करती हैं. लेकिन, क्यों किया जाता है? बाजार के जानकारों का मानना है कि आमतौर पर जब किसी कंपनी का शेयर काफी महंगा होता है तो छोटे निवेशक उसमें निवेश करने से कतराते हैं. ऐसे में इन छोटे निवेशकों को अपनी तरफ खींचने के लिए कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है. कई बार मार्केट में डिमांड बढ़ाने के लिए भी कंपनियां स्टॉक स्प्लिट करती हैं.
क्या होता है शेयरधारकों को फायदा?
अगर किसी कंपनी के शेयर की वैल्यूएशन ज्यादा हो गई है तो शेयर को दो हिस्से में तोड़ा जाता है. अगर कोई कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है, तो शेयरधारकों को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर दिया जाता है. इससे शेयरधारक के पास पहले से मौजूद स्टॉक स्पलीट क्या है? स्टॉक स्पलीट क्या है? शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है. मान लीजिए किसी शेयरधारक के पास एक कंपनी के 400 शेयर हैं और कंपनी स्टॉक स्प्लिट लाकर 1 शेयर को 2 में तोड़ देती है तो शेयरधारक के पास अब कंपनी के 800 शेयर हो जाएंगे. हालांकि, उसकी निवेश की वैल्यू पर इससे कोई असर नहीं होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि, स्टॉक स्प्लिट करने से हर एक शेयर की वैल्यू आधी हो जाती है.
कंपनी पर क्या पड़ता है असर?
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयरों में लिक्विडिटी आती है. छोटे निवेशकों का रुझान शेयर की तरफ बढ़ता है. कीमत कम होने से भी शेयरों में तेजी की संभावना बढ़ जाती है. शॉर्ट टर्म के लिए कंपनी के शेयरों में उछाल देखने को मिलता है. बाजार में कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है. हालांकि, इससे कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन (Market Cap) पर कोई असर नहीं पड़ता.
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क्यों आती है शेयरों में तेजी?
स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयरों की कीमत घट जाती है. बाजार में शेयर का आकर्षण बढ़ता है. माना जाता है कि कंपनी ने वैल्यूएशन के लिहाज से शेयर को काफी सस्ता कर दिया है. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए भी उसमें निवेश करना आसान होता है. ऐसी स्थिति में डिमांड बढ़ने पर शेयर की कीमतों में फिर से उछाल आता है. कुछ दिन या हफ्तों के लिए उस शेयर में रैली देखने को मिल सकती है.
क्या होता है Stock Split? यह कंपनी और शेयरहोल्डर्स के लिए कैसे है फायदेमंद? क्यों किया जाता है स्टॉक स्प्लिट?
Stock Market Investment स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजन करती है। आमतौर पर जब किसी कंपनी के शेयर बहुत महंगे हो जाते हैं तब छोटे इन्वेस्टर उन शेयरों में इन्वेस्ट नहीं कर पाते हैं। आप भी इनके बारे में जान लें।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। स्टॉक मार्केट (Stock Market) में कई तरह के टर्म्स का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेडिंग के दौरान इन्वेस्टर का सामना अक्सर कुछ शब्दों से होता है। डिविडेंड, शेयर बायबैक, स्टॉक स्प्लिट जैसे शब्द अक्सर सुनने को मिलते हैं। स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) के बारे में आपने जरूर सुना होगा। आखिर ये स्टॉक स्प्लिट क्या है? इन्वेस्टर के लिए क्यों है ये इतना महत्वपूर्ण? कंपनियां क्यों और किसलिए करती हैं इसका इस्तेमाल? ऐसे कई सवाल आपके मन में भी आते होंगे।
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क्या होता है स्टॉक स्प्लिट?
स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) का मतलब होता है शेयर विभाजन। स्टॉक स्प्लिट के तहत कंपनी अपने शेयरों को विभाजन करती है। आमतौर पर जब किसी कंपनी के शेयर बहुत महंगे हो जाते हैं, तब छोटे इन्वेस्टर उन शेयरों में इन्वेस्ट नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कंपनी अपने शेयरों की ओर छोटे इन्वेस्टर को आकर्षित करने और मार्केट में मांग बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट का भी सहारा लेती है।
क्या होता है शेयरहोल्डर को फायदा?
जब कोई कंपनी अपने शेयरों को दो हिस्से में विभाजन करती है, तो शेयरहोल्डर को उसके पास मौजूद हर एक शेयर के लिए एक अतिरिक्त शेयर दिया जाता है। इससे स्टॉक होल्डर के पास पहले से मौजूद शेयरों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो जाती है। इन्वेस्ट के वैल्यू पर इससे कोई असर नहीं होता है, क्योंकि दो हर एक शेयरों को दो शेयरों में स्प्लिट करने से हर एक शेयर का वैल्यू आधा हो जाता है।
कंपनी पर क्या असर होता है
बता दें कि शेयर स्प्लिट से कंपनी के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन इससे कंपनी के मार्केट कैपिटलाइजेशन पर कोई असर नहीं पड़ता है। वहीं, स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के शेयर अधिक लिक्विडेट हो जाते हैं। कई बार लोग स्टॉक स्प्लिट को बोनस शेयर को एक ही समझ बैठते हैं। हालांकि, ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं।
छोटे निवेशकों के लिए निवेश करने से फायदा
स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की प्राइस कम हो जाती है। इससे छोटे इन्वेस्टर के लिए उस कंपनी के शेयरों में इन्वेस्ट करना आसान हो जाता है। प्राइस कम होने से उन शेयरों की मांग अचानक बढ़ जाती है। इसलिए स्प्लिट के बाद कुछ समय के लिए उन शेयरों में उछाल भी देखा जाता है।
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