ग्राफ सिद्धांत (Graph Theory) का इतिहास :
History of Graph Theory in Hindi – ग्राफ सिद्धांत के इतिहास का पता 1735 में लगाया जा सकता है, जब स्विस गणितज्ञ लियोनहार्ड यूलर ने कोनिग्सबर्ग ब्रिज समस्या (Königsberg bridge problem) को हल किया था। ग्राफ का अध्ययन, जिसे ग्राफ सिद्धांत के रूप में भी जाना जाता है, गणित, इंजीनियरिंग, भौतिक, सामाजिक, जैविक और कंप्यूटर विज्ञान, भाषा विज्ञान और कई अन्य विषयों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक ग्राफ का उपयोग असतत वस्तुओं और उनके बीच संबंध से जुड़ी लगभग किसी भी भौतिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जा सकता है।
एक ग्राफ बिंदुओं का एक संग्रह है जिसे नोड्स या वर्टिसिस (nodes or vertices) के रूप में जाना जाता है जो किनारों (edges) के रूप में ज्ञात लाइनों के नेटवर्क द्वारा एक साथ जुड़े होते हैं। क्योंकि ग्राफ सिद्धांत को अनुप्रयुक्त गणित (applied mathematics) की एक शाखा माना जाता है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ग्राफ सिद्धांत को स्वतंत्र रूप से कई बार खोजा गया है।
ग्राफ सिद्धांत का आविष्कार किसने किया :
1736 में, यूलर (1707-1782) ने एक पेपर प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने कोनिग्सबर्ग ब्रिज समस्या (Königsberg bridge problem) को हल किया, जिसने ग्राफ सिद्धांत को जन्म दिया। क्योंकि यह माना जाता है कि ग्राफ सिद्धांत 1736 में कोनिग्सबर्ग ब्रिज समस्या के यूलर बार के साथ ग्राफ बार के साथ ग्राफ के समाधान के प्रकाशन के साथ शुरू हुआ था, यूलर को “ग्राफ थ्योरी के पिता” के रूप में जाना जाने लगा।
अगले 100 वर्षों तक इस क्षेत्र में और कुछ नहीं किया गया।
- फिर, 1847 में, जी आर किरचॉफ (1824-1887) ने अपने अनुप्रयोगों के लिए इलेक्ट्रिक नेटवर्क में tree theory विकसित किया। इलेक्ट्रिक नेटवर्क में किरचॉफ के शोध ने ग्राफ में trees से संबंधित मूलभूत अवधारणाओं और प्रमेयों का विकास किया।
- 10 साल बाद, ए. केली (1821-1895) ने उन trees के बारे में सोचा जो कार्बनिक रासायनिक आइसोमर्स की गिनती से उत्पन्न हुए और संतृप्त हाइड्रोकार्बन CnH2n+2 के आइसोमर्स की गणना करने की कोशिश करते हुए trees की खोज की।
- ग्राफ सिद्धांत में दो अन्य मील के पत्थर किरचॉफ और केली के समय के आसपास स्थापित किए गए थे।
- जिसमें से एक, चार रंगों का अनुमान (four-color conjecture) है,
- और, दूसरा हैमिल्टन द्वारा आविष्कार की गई एक पहेली है।
- चार रंगों का अनुमान (Four-color conjecture) :
Four-color conjecture के अनुसार, किसी भी एटलस (किसी समतल पर एक नक्शा) को रंगने के लिए चार रंग पर्याप्त होते हैं ताकि समान सीमाओं (common borders) वाले देशों में अलग-अलग रंग हों।
पहली बार 1840 में, ए.एफ. मोबियस (बार के साथ ग्राफ 1790-1868) ने अपने व्याख्यान में चार-रंग की समस्या (four-color problem) को प्रस्तुत किया था।
करीब 10 साल बाद, ए. डी मॉर्गन (1806-1871) ने लंदन में अपने साथी गणितज्ञों के साथ इस समस्या पर चर्चा की। डी मॉर्गन का पत्र चार-रंग की समस्या का पहला प्रमाणित संदर्भ है।
1879 में, केली ने इस समस्या को “first volume of the Proceedings of the Royal Geographic Society” में प्रकाशित किया, और इसे प्रकाशित करने के बाद यह समस्या अच्छी तरह से ज्ञात हो गई। इसके बाद, प्रसिद्ध चार-रंग अनुमान प्रमुखता में आए और तब से लोकप्रिय बना हुआ है।
आज तक अब भी, चार-रंग का अनुमान (four-color problem) ग्राफ सिद्धांत में अब तक की सबसे प्रसिद्ध अनसुलझी समस्या है, जिसने क्षेत्र में भारी मात्रा में शोध को प्रेरित बार के साथ ग्राफ किया है।
- हैमिल्टन द्वारा आविष्कार की गई पहेली (Puzzle invented by Hamilton) :
1859 में, सर डब्ल्यू. आर. हैमिल्टन (1805-1865) ने ग्राफ के लिए एक पहेली (puzzle) दृष्टिकोण का आविष्कार किया और इसे डबलिन में एक गेम निर्माता को 25 गिनी में बेच दिया।
पहेली (puzzle) एक लकड़ी के नियमित डोडेकाहेड्रॉन (एक पॉलीहेड्रॉन, जिसमें 12 faces हैं जिनमें सभी face regular pentagons हैं, और 20 corners और 30 edges हैं। प्रत्येक corner पर 3 edges मिलते हैं ) से बना था। Corners पर 20 महत्वपूर्ण शहरों के नाम अंकित थे। पहेली (puzzle) का लक्ष्य डोडेकाहेड्रॉन के किनारों (edges) के साथ एक मार्ग खोजना था, जो 20 शहरों में से प्रत्येक से ठीक एक बार गुजरता था।
यद्यपि इस विशेष समस्या का समाधान प्राप्त करना सरल है, कोई भी अभी तक किसी भी ग्राफ में इस तरह के पथ (हैमिल्टनियन सर्किट के रूप में जाना जाता है) के अस्तित्व के लिए एक आवश्यक और पर्याप्त स्थिति नहीं खोज सका है।
इस उपयोगी अवधि के बाद, आधी सदी सापेक्ष निष्क्रियता की थी।
- फिर, 1920 के दशक के बार के साथ ग्राफ दौरान , ग्राफ में रुचि का पुनरुत्थान शुरू हुआ। डी. कोनिग इस समयावधि के अग्रदूतों में से एक थे। उन्होंने अन्य गणितज्ञों के साथ-साथ अपने स्वयं के कार्यों को व्यवस्थित किया और 1936 में इस विषय पर पहली पुस्तक प्रकाशित की।
- पिछले 30 वर्षों में ग्राफ सिद्धांत में गहन गतिविधि देखी गई है – शुद्ध और अनुप्रयुक्त (pure and applied) दोनों। इस क्षेत्र में काफी मात्रा में शोध कार्य किया गया है और किया जा रहा है। पिछले एक दशक के दौरान हजारों पत्र प्रकाशित हुए हैं और एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी गई हैं।
- इक्कीसवीं सदी में, पहले से ही ग्राफ सिद्धांत की बहुत सारी पुनः खोज हो चुकी हैं।
(Source – Various books from the college library)
Tags: graph theory discrete mathematics in hindi, graph theory history in hindi
देश में लगातार बढ़ रहा Corona का ग्राफ, एक बार फिर नए मामले 20 हजार के पार, 44 लोगों की मौत
नई दिल्लीः देश में Corona के नए मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. Corona का ग्राफ अब निचे नहीं आ रहा है. बता दें कि Corona के मामले अब रोजाना 20 हजार का आंकड़ा पार रहे हैं जिसको देख स्वास्थ्य खेमे में चिंता बढ़ती जा रही है. कुछ समय पहले मामले निचले स्तर पर आ गए थे और माना जा रहा था कि जल्द हिंदुस्तान को Corona से मुक्ति मिल जाएगी लेकिन एक बार फिर देश में मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटे में Corona के 20,408 नए मामले सामने आए हैं.
- संक्रमित 44 मरीजों की जान चली गई
- मौतों के आंकड़ों में राज्यों का हिसाब
संक्रमित 44 मरीजों की जान चली गई
मिली जानकारी के अनुसार देश में पिछले 24 घंटों में Corona संक्रमित 44 मरीजों की जान चली गई है. वहीं, कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 1 लाख 43 हजार 384 हो गई है. Corona के नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 4,40,00,138 हो गई है, वहीं कोरोना वायरस से मरने वाले कुल लोगों की संख्या बढ़कर 5,26,312 हो गई है. पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 604 की कमी आई. वहीं, दैनिक संक्रमण दर 5.05 प्रतिशत, जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर 4.92 फीसदी दर्ज की गई. Corona Update
मौतों के आंकड़ों में राज्यों का हिसाब
PTI के मुताबिक महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के 6-6, हरियाणा और कर्नाटक से 4-4, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश से 3-3, बिहार, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर और मध्य प्रदेश से 2-2और चंडीगढ़, दिल्ली, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, ओडिशा और सिक्किम से 1-1मरीज़ की Corona से मौत हुई है. कुल 5,26,312 मरीज़ों की संक्रमण से मौत हुई हैं, जिनमें महाराष्ट्र से 1,48,097 मरीज़, केरल से 70,451 मरीज़, कर्नाटक से 40,143 मरीज़, तमिलनाडु से 38,032 मरीज़, दिल्ली से 26,308 मरीज़, उत्तर प्रदेश से 23,565 मरीज़, और पश्चिम बंगाल से 21,352 मरीज़ शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर: तापमान में गिरावट के साथ ही घुसपैठ का ग्राफ बढ़ने लगा
जम्मू-कश्मीर: तापमान में गिरावट के साथ ही घुसपैठ का ग्राफ बढ़ने लगा
Highlights पाकिस्तान की कोशिश बर्फ के गिरने से पहले अधिक से अधिक आतंकियों को इस ओर धकेलने की है इस साल सुरक्षाबलों ने 25 आतंकवादियों को 15 के करीब घुसपैठ की कोशिशों के दौरान मार गिराया गया
जम्मू: सेनाधिकारियों ने इसे माना है कि तापमान में गिरावट के साथ ही सीमा पार से होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ का ग्राफ बढ़ने लगा है। एलओसी पर आतंकियों को रोकने की कवायद और कोशिशों में कामयाबी के लिए सेना को जीतोड़ मेहनत करनी पड़ रही है।
तापमान में गिरावट के साथ ही घुसपैठ के ग्राफ के बढ़ने के कारणों को स्पष्ट करते हुए सेनाधिकारी कहते थे कि पाकिस्तान की बार के साथ ग्राफ कोशिश बर्फ के गिरने से पहले अधिक से अधिक आतंकियों को इस ओर धकेलने की है। सेनाधिकारी ने कहा, ‘ऐसे में एलओसी पर माहौल गर्म हो जाता है। लेकिन इस बार सुखद बात यह है कि पाकिस्तानी सेना के साथ चल रहे सीजफायर के कारण भारतीय सैनिकों को मात्र एक ही मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है।’
सेनाधिकारी इस साल के आंकड़े देते हुए कहते हैं कि 25 आतंकवादियों को 15 के करीब घुसपैठ की कोशिशों के दौरान मार गिराया गया। इतना जरूर था कि सेनाधिकारी उन्हीं आंकड़ों को देने में सक्षम हैं जिनमें उन्होंने आतंकियों को मार गिराने में सफलता हासिल की थी जबकि घुसपैठ में कामयाब होने वालों की बात पर वे चुप्पी तो साध ही लेते थे कोई आंकड़ा बताने में भी आनाकानी करते थे। हालांकि दबे स्वर में इसे अक्सर स्वीकार किया जाता था कि जितने आतंकी घुसपैठ के दौरान मारे जाते हैं उनसे कई बार के साथ ग्राफ गुणा अधिक घुसने में कामयाब रहते हैं।
इसका स्पष्ट कारण यही था कि घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकियों द्वारा अब ध्यान बंटाने वाली रणनीति अपनाई जा रही है। एक दल अगर थोड़ी सी गोलीबारी कर छुप जाता है तो दूसरा मुकाबले की कोशिश में जुट जाता है और तीसरा दल घुसने के प्रयास करने लगता है। यही पहले भी हुआ करता था। तब पाक सेना कवरिंग फायर का सहारा लेते हुए आतंकियों को धकेलती थी।
नतीजतन स्थिति यह है कि एलओसी पर आतंकियों को रोकने की खातिर लगाए गए तमाम तामझाम के बावजूद सेना परेशान इसलिए है क्योंकि आतंकियों द्वारा अक्सर तारबंदी की धज्जियां उड़ाकर घुसपैठ करने में कथित तौर पर कामयाबी हासिल की जा रही है और सेना के तारबंदी के प्रति बार के साथ ग्राफ किए जाने वाले दावे धूल चाट रहे हैं।
ऐसे में तापमान में आती गिरावट सेना की मुश्किलों का ग्राफ इसलिए बढ़ा रही है क्योंकि गुरेज और पुंछ के इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के बावजूद आतंकी हैं कि घुसे ही चले आते हैं। उन पर रोक कैसे लगाई जाए के सवाल से जूझ रही सेना को एक ही रास्ता नजर आता है और वह यह है कि एक बार फिर सीमा पार आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर इसरायल की तरह हमला बोल दिया जाए।
राहुल गांधी ने ग्राफ से बताया- लॉकडाउन से कोरोना पर नहीं लग पा रही लगाम
कोरोना लॉकडाउन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हम बार बार एक ही काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पा रहे हैं.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 13 जून 2020,
- (अपडेटेड 13 जून 2020, 11:19 AM IST)
- देश में कोरोना संक्रमितों बार के साथ ग्राफ की संख्या 3,08,993 हुई
- राहुल ने ग्राफ से बताया नहीं थम रहे कोरोना केस
देश में कोरोना मरीजों की संख्या तीन लाख के पार हो चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3,08,993 हो गई है. जबकि 8884 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. इनमें से 145779 एक्टिव केस हैं. जबकि 154330 लोग ठीक होकर घर वापस जा चुके हैं.
इस बीच, कोरोना लॉकडाउन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हम बार-बार एक ही काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ हासिल नहीं कर बार के साथ ग्राफ पा रहे हैं.
राहुल गांधी ने लॉकडाउन के बावजूद कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को लेकर चार ग्राफ ट्वीट किए जिसमें यह दर्शाया गया है कि देश में बार-बार लॉकडाउन लगाया जा रहा है, लेकिन कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है बल्कि कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
राहुल गांधी ने इन ग्राफ्स के साथ अज्ञात के नाम से एक कोट भी शेयर किया है जिसमें लिखा है कि पागलपन बार-बार एक ही काम कर रहा है और विभिन्न परिणामों की उम्मीद कर रहा है. राहुल गांधी ने जो ग्राफ शेयर किए हैं, उसमें बताया गया है कि जब पहली बार लॉकडाउन लागू किया गया तो देश में कोरोना के 9 हजार केस थे.
दूसरे लॉकडाउन में कोरोना मामलों की संख्या बढ़कर 28 हजार पहुंच गई. उसी तरह तीसरी बार जब देश में लॉकडाउन लागू किया जा रहा था तब देश में कोरोना मरीजों की संख्या 45 हजार थी. वहीं जब चौथा लॉकडाउन लागू किया गया तो मरीजों की संख्या बढ़कर 82500 हो चुकी थी.
”Insanity is doing the same thing over and over again and expecting different results.” - Anonymous pic.twitter.com/tdkS3dK8qm
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 13, 2020
भारत एक गलत रेस जीतने के रास्ते पर
राहुल गांधी ने शुक्रवार को भी कहा था, "भारत एक गलत रेस जीतने के रास्ते पर है. अहंकार और अक्षमता के घातक मिश्रण के परिणामस्वरूप, एक भयावह त्रासदी." अपने इस ट्वीट में राहुल गांधी ने एक 20 सेकंड का वीडियो भी लगाया था. जिसमें कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की लिस्टिंग की गई है. वीडियो में साफ दिखता है कि 17 मई के बाद से भारत का स्थान लगातार ऊपर गया है. और अब हम दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की लिस्ट में चौथे स्थान पर हैं.
राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोरोना वायरस संकट और उसके असर को लेकर एक्सपर्ट से बात की. उन्होंने पूर्व अमेरिकी राजनयिक निकोलस बर्न्स से बात की और भारत-अमेरिका के रिश्तों पर खुलकर चर्चा की. इस दौरान राहुल गांधी ने पूछा कि कोरोना वायरस की लड़ाई में ऐसा देखने को नहीं बार के साथ ग्राफ मिला है कि बड़े देश एक साथ आए हों और लड़ाई का बीड़ा उठाया हो.
राहुल गांधी ने पूछा कि क्यों अमेरिका और भारत या फिर अन्य बड़े देश कोरोना वायरस की लड़ाई में साथ नहीं दिखे. इसपर अमेरिकी एक्सपर्ट ने कहा कि ये संकट पूरी तरह से G20 देशों का था, हर किसी को इसपर एक रणनीति के साथ काम करना था. मुख्य तौर पर डोनाल्ड ट्रंप, नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग जैसे नेता एक साथ आ सकते थे.
निकोलस बर्न्स बोले कि शायद इसकी वजह ये है कि डोनाल्ड ट्रंप दुनिया को साथ लेने में विश्वास नहीं करते हैं, वो सिर्फ अमेरिका को आगे रखना चाहते हैं. और शी जिनपिंग सिर्फ उनसे लड़ना चाहते हैं.
नीली पट्टी ग्राफ के साथ एक तीर मुक्त PNG चित्र तथा PSD
यह PNG चित्र रचनात्मक, व्यापार, वित्तीय के बारे में एक आदर्श डिज़ाइन तत्व है। आप नीली पट्टी ग्राफ के साथ एक तीर पीएसडी फ़ाइल भी डाउनलोड कर सकते हैं जो फ़ोटोशॉप में उपलब्ध अधिकांश इमेजिंग विकल्पों के लिए समर्थन के साथ एक छवि संग्रहीत करती है।
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