रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों है जरूरी

निवेश रणनीति की योजना बनाएं और उस पर टिके रहें

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अपनी जरूरत के हिसाब से अपनाएं निवेश की रणनीति

जब कोई एडवाइजर आपसे कहता है कि 'प्रॉफिट बुक कर लें' तो उनके कहने का आशय यह होता है कि इक्विटी से पैसा कैश में लाएं निवेश रणनीति की योजना बनाएं और उस पर टिके रहें ताकि अगर इक्विटी में गिरावट हो तो आप उसके असर से बचे रहें. लिहाजा, टाइमिंग एसेट एलोकेशन का निर्णय है.

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जब कोई एडवाइजर आपसे कहता है कि 'प्रॉफिट बुक कर लें' तो उनके कहने का आशय निवेश रणनीति की योजना बनाएं और उस पर टिके रहें यह होता है कि इक्विटी से पैसा कैश में लाएं ताकि अगर इक्विटी में गिरावट हो तो आप उसके असर से बचे रहें. लिहाजा, टाइमिंग एसेट एलोकेशन का निर्णय है.

वहीं, चयन का मसला यह है कि किसी एसेट क्‍लास में आप क्‍या खरीदेंगे. हो सकता है कि स्‍मॉलकैप गिर रहे हों और ब्‍लू चिप अच्‍छा प्रदर्शन कर रहे हों. टेलीकॉम सेक्‍टर का बुरा हाल हो और टेक स्‍टॉक चमक रहे हों. एचडीएफसी बैंक का शेयर चढ़ रहा है और यस बैंक का गिर रहा है. इक्विटी में आप क्‍या होल्‍ड करते हैं, उससे तय होता है कि कितना पैसा आप बना पाएंगे.

टाइमिंग और सेलेक्टिविटी के लिए ज्ञान, कौशल और नजरिये की जरूरत होती है. इन्‍हें अर्जित करना पड़ता है. वहीं, कुछ लोग आपको आपके पैसे के बारे में सलाह देते हैं और बदले में फीस लेते हैं. तो आपके सामने विकल्‍प क्‍या है?

इन चार विकल्‍पों पर विचार करें. पैसिव टाइमिंग और सेलेक्टिविटी, पैसिव टाइमिंग और एक्टिव सेलेक्टिविटी, एक्टिव टाइमिंग और पैसिव सेलेक्टिविटी, एक्टिव टाइमिंग और एक्टिव सेलेक्टिविटी.

ये सभी विकल्‍प निवेशकों के सामने होते हैं. इनसे जुड़ी लागत, रिस्‍क, रिटर्न और परफॉर्मेंस हिस्‍ट्री अलग-अलग है. आप पूरी तरह पैसिव रहने का रास्‍ता चुन सकते हैं. यानी आपको पता है कि टाइमिंग मसला ट्रिकी है. हालांकि, आप एसेट एलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन के फायदे जानते हैं.

मान लें कि आप अपनी वेल्‍थ का 40 फीसदी हिस्‍सा शेयरों में लगाते हैं. पैसिव टाइमिंग में मार्केट या साइकिलों की चिंता नहीं होती. सेलेक्टिविटी के लिए भी आप पैसिव रास्‍ता पकड़ते हैं. यानी सूचकांकों के आधार पर खरीदारी करते हैं.

आपका रिटर्न मार्केट की तर्ज पर चलेगा. आपको पता होता है कि कोई आपसे ज्‍यादा पैसा बना रहा होगा, लेकिन आप उसके पीछे चलकर पैसा गंवाने का रिस्‍क नहीं लेना चाहते हैं. यह अप्रोच उन लोगों के लिए सही है, जिनके पास निवेश की बारीकियां समझने के लिए समझ और ऊर्जा नहीं है, लेकिन वे अच्‍छा रिटर्न भी चाहते हैं.

इसमें कोई ड्रामा नहीं है. केवल यह समझदारी काफी है कि औसत रिटर्न ही ठीक है और इनवेस्‍टमेंट एक्टिविटी कम रखना अच्‍छा है.

समस्‍या है कि कोई भी आपके सामने इस स्‍ट्रैटेजी की तारीफ नहीं करेगा. दूसरों के पैसे मैनेज कर रोजी-रोटी चलाने वाले लोगों को इस स्‍ट्रैटेजी से पैसा नहीं मिलेगा. पोर्टफोलियो मैनेजर, इनवेस्‍टमेंट एडवाइजर और डिस्‍ट्रीब्‍यूटर इस स्‍ट्रैटेजी पर क्‍यों जोर देंगे?

एक्टिव इनवेस्‍टमेंट मैनेजमेंट इंडस्‍ट्री का आधार ही इस पर टिका है कि टाइमिंग और सेलेक्टिव‍िटी को प्रोफेशनल तरीके से मैनेज करने वाले औसत से ज्‍यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. म्‍यूचुअल फंड इंडस्‍ट्री दिखाती है कि उसके प्रोडक्‍टों पर रिटर्न किस तरह इंडेक्‍स से बेहतर हैं.

इंडेक्‍स से आगे निकलना और ऐसा करने के लिए फीसदी लेना ही एक्टिव फंड मैनेजरों का बिजनेस है. इनवेस्‍टमेंट मैनेजर मुख्‍य रूप से सेलेक्टिविटी पर फोकस करते हैं. वे ऐसे शेयर चुनते हैं, जिनके अच्‍छे प्रदर्शन की संभावना हो और कमजोर प्रदर्शन की आशंका वालों को पोर्टफोलियो से हटा देते हैं.

क्‍या ये बेहतर रिजल्‍ट देते हैं? हां. हर साल उन फंडों की जानकारी आती है, जिन्‍होंने इंडेक्‍स से बेहतर और बदतर प्रदर्शन किया हो. हालांकि, बेहतर प्रदर्शन करने वालों की लिस्‍ट हर साल एक समान नहीं रहती. आमतौर पर निवेशक अच्‍छा प्रदर्शन करने वाले फंड की ओर लपकते हैं.

अगर आप पैसिव टाइमिंग और एक्टिव सेलेक्‍शन की राह पकड़ें तो आप इक्विटी में 40 फीसदी हिस्‍से को चुनिंदा फंडों या शेयरों में लगा सकते हैं. इसमें रिस्‍क है, लेकिन चयन अगर सही साबित हुआ तो बेहतर रिटर्न भी मिलेगा.

आप फंड चुनने के लिए एडवाइजरों की मदद ले सकते हैं. कई डिस्‍ट्रीब्‍यूटर इसके लिए फीस लेते हैं और एसेट एलोकेशन और टाइमिंग आप तय करते हैं. चूंकि वे फंडों की बिक्री से ही कमीशन पाते हैं. लिहाजा, उनकी एक्टिविटी की आलोचना होती है.

अगर आप एक्टिव टाइमिंग और पैसिव सेलेक्‍शन का रास्‍ता पकड़ें तो? यह एडवाइजर का काम है. ऐसे प्रोफेशनलों का, जो आपकी जरूरतें, लक्ष्‍य और पसंद समझे और जिन्‍हें मार्केट साइकिल और मैक्रो-इकनॉमिक्‍स की भी समझ हो.

वे आपके लिए एसेट एलोकेशन मैनेज करेंगे और आपके पैसे की हिफाजत का इंतजाम भी करेंगे. वे कम लागत वाले इंडेक्‍स फंडों का उपयोग करते हुए इस स्‍ट्रैटेजी पर अमल करेंगे. हमारे पास हालांकि यह उपयोगी कैटेगरी नहीं है क्‍योंकि ऐसे प्रोफेशनलों को कोई पेमेंट नहीं करता और न ही यह बताता है कि इस रणनीति का इनवेस्‍टर के लिए कितना महत्‍व है.

अगर आप एक्टिव टाइमिंग और एक्टिव सेलेक्‍शन का रास्‍ता पकड़ें तो इसमें विकल्‍पों की भरमार दिखेगी. कई फंडों के पास ऐसे प्रोडक्‍ट हैं जो टाइमिंग और सेलेक्टिविटी दोनों पहलुओं को ऑफर करते हैं. लेकिन, लोग उन्‍हें ज्‍यादा पेमेंट नहीं करते हैं. जिन एसेट के बारे में सलाह दी जाती है, उनके प्रदर्शन से जुड़ी फीस दिए जाने का चलन शुरू नहीं हो सका है.

तो हमने जिन पहलुओं पर चर्चा की है, उनके आधार पर अपनी राह चुनें. अगर आप पैसा कमाने के लिए समय और ऊर्जा लगाने लायक हों तो पैसिव रास्‍ता पकड़ें. अगर आपके पास भरोसेमंद एडवाइजर हो तो फंड सेलेक्‍शन के लिए उनका सहारा लें.

अगर आप मार्केट में एंट्री-एग्जिट की टाइमिंग तय करना चाहते हैं तो इस राह पर चलें क्‍योंकि पैसा तो आपका ही है. जो भी करें, सोच-समझकर करें और यह ध्‍यान रखें कि नतीजे के लिए कौन जवाबदेह है.

(लेखिका सेंटर फॉर इनवेस्‍टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग की चेयरपर्सन हैं.)

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Smart Investment Tips : Valentine Day पर कपल ऐसे बनाएं निवेश की रणनीति, आसान हो जाएगी जिंदगी

हर साल 14 फरवरी को दुनियाभर में Valentine Day मनाया जाता है.

हर साल 14 फरवरी को दुनियाभर में Valentine Day मनाया जाता है.

इस वैलेंटाइंस डे (Valentines Day) पर आप अपने साथी के साथ भावनात्‍मक प्रेम के साथ वित्‍तीय प्रेम भी साझा कर सकते हैं. बे . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : February 12, 2022, 14:08 IST

नई दिल्‍ली. फरवरी भले ही साल का सबसे छोटा महीना होता है पर बात जब प्रेम और अपनेमन की हो तो यह सबसे बड़ा माना जाता है. इस वैलेंटाइंस डे (Valentine Day) पर आपके पास भावनात्‍मक प्रेम के साथ वित्‍तीय प्रेम साझा करने का भी मौका है.

हम बात कर रहे हैं कपल के फाइनेंशियल प्‍लानिंग (Financial Planning) की. वित्‍तीय प्रेम के जरिये आप एक-दूसरे और परिवार के भविष्‍य को सुरक्षित बना सकते हैं. ट्रेड स्‍मार्ट (Trade Smart) के सीईओ विकास सिंघानिया आपको कुछ ऐसे स्‍मार्ट टिप्‍स बता रहे हैं, जिनका इस्‍तेमाल कर आप जीवन की यात्रा को वित्‍तीय चिंताओं से मुक्‍त बना सकते हैं.

ऐसे सपने संजोयें जो दोनों के लिए कॉमन हो
किसी भी कपल के लिए यह तय करना सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि दोनों ऐसे लक्ष्‍य की तरफ बढ़ें जो कॉमन हों. उन्‍हें अपने आइडियाज एक-दूसरे को बताने होंगे और फिर सपनों को पूरा करने के लिए ठोस योजना पर आना होगा. युवा जोड़ों के पास काफी लग्‍जरी टाइम होता है जिससे उन्‍हें बड़ा सोचने और करने में मिलती है.

खर्चों पर नियंत्रण की रणनीति बनाएं
सपने को कैसे हासिल करें, यह उन खिलाड़ियों पर निर्भर करेगा जो इसे प्राप्‍त करने की दिशा में योगदान देंगे. यदि दोनों पार्टनर्स भविष्‍य में कमाएंगे, तो लक्ष्‍य आसान हो जाता है. बड़ा सपना देखने और इसे हासिल करने का सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है जीवनशैली को मेंटेन रखना. इसके लिए अपने खर्चों पर सुनियोजित तरीके से नियंत्रण रखें.

कर्ज देने वालों से दूर रहना
किसी से कर्ज या उधार तभी लें जब इसे लेने की वास्‍तविक जरूरत हो. ऐसा कहा जाता है कि यदि आप ऐसी चीजों पर खर्च कर सकते हैं, जिनकी जरूरत आपको नहीं है, तो आपको उन चीजों से समझौता करना पड़ सकता है जिनकी जरूरत वास्‍तव में आपको है. कर्ज ऐसी संपत्तियों के लिए लेना चाहिए जिनकी कीमत भविष्‍य में बढ़ने की संभावना है.

परिवार का इंश्‍योरेंस जरूर कराएं
परिवार के मुखिया का बीमा (Insurance) कराना अपने परिवार को सुरक्षित करने के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण है. इससे घर की नियमित आय में होने वाले किसी भी नुकसान के खिलाफ सुरक्षा मिलती है. बच्‍चों के लिए बीमा का इस्‍तेमाल बचत का साधन बन सकता है. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा के लिए महत्‍वपूर्ण है. यह आपात स्थिति में आपकी पूरी बचत को खर्च होने से बचा सकती है.

निवेश और कर बचत की प्‍लानिंग
अपने निवेश की रणनीति इस तरह तैयार करें कि सिस्‍टम में किसी तरह की गड़बड़ न हो. छूट और कटौती का लाभ उठाकर पूरी समझदारी के साथ निवेश करें. इससे न सिर्फ टैक्‍स बचा सकेंगे, बल्कि बेहतर इंस्‍ट्रूमेंट्स में निवेश कर भविष्‍य में बड़ी पूंजी बना सकेंगे. अपनी उम्र के हिसाब से जोखिम उठाकर ज्‍यादा रिटर्न की तैयारी करें.

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Investment Tips for Beginners: स्टॉक मार्केट में निवेश कर बनना चाहते हैं अमीर? तो इन 6 बातों का जरूर रखें ध्यान

Investment Tips: आज के समय में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जिसके चलते अब कोई भी आसानी से स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकता है.

Investment Tips for Beginners: स्टॉक मार्केट में निवेश कर बनना चाहते हैं अमीर? तो इन 6 बातों का जरूर रखें ध्यान

नए निवेशक भी आसानी से स्टॉक मार्केट के बारे में सीख सकते हैं और निवेश कर पैसे कमा सकते हैं.

Investment Tips for Beginners: वे दिन गए जब केवल फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स ही निवेश किया करते थे. आज के समय में हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन और डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं, जिसके चलते अब कोई भी आसानी से स्टॉक मार्केट में निवेश कर सकता है. नए निवेशक भी आसानी से स्टॉक मार्केट के बारे में सीख सकते हैं और निवेश कर पैसे कमा सकते हैं. हालांकि निवेश का कोई शॉर्टकट नहीं है. अगर आप कुछ बेसिक नियमों को ध्यान में रखते हैं और बाजार को समझते हुए निवेश करते हैं तो अच्छा खासा रिटर्न जनरेट कर सकते हैं. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता ही है, ऐसे में यह समझना जरूरी है कि शेयरों में निवेश पर आपको फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी. बाजार की चाल हमेशा ऊपर की ओर नहीं होती है. इसलिए निवेश करते समय धैर्य रखना जरूरी है.

आप अपने फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म के लिए निवेश कर सकते हैं. यहां हमने बताया है कि आपको निवेश से जुड़े फैसले लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

प्लानिंग के साथ करें निवेश

समझने वाली पहली बात यह है कि म्यूचुअल फंड के विपरीत, शेयरों में सीधे निवेश करने से रिस्क ज्यादा होता है. निवेश करने से पहले कैपिटल अमाउंट की योजना बनाना और निर्धारित करना जरूरी है. जरूरी बात यह है कि पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का पहचानना होगा और इसी आधार पर निवेश करना चाहिए. ‘हाई रिस्क, हाई रिटर्न’ फिलॉसफी को आंख मूंदकर फॉलो न करें और आपको अपने इन्वेस्टमेंट के लॉन्ग टर्म प्रभावों पर विचार करना चाहिए.

LIC की जबरदस्‍त रिटर्न देने वाली 3 स्‍कीम, 1 लाख का निवेश बन गया 18.50 लाख, SIP करने वाले भी बने अमीर

यह तय करते समय कि किन शेयरों में निवेश करना है, सभी ट्रेड में अपनी नुकसान उठा लेने की क्षमता को समझें. अगर बाजार में गिरावट आती है तो इससे आपको बायबैक और एग्जिट प्लान तैयार करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, अपने निवेश को डायवर्सिफाई करना भी जरूरी है. अगर आपको किसी स्टॉक में नुकसान हो भी जाता है तो डायवर्सिफिकेशन से संतुलन बना रहता है. अलग-अलग इक्विटी में निवेश करने से लंबी अवधि में अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने में भी मदद मिलती है.

बाजार को समझना है जरूरी

नए निवेशकों को यह समझना चाहिए कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. यहां तक कि अनुभवी निवेशक भी हमेशा बाजार के व्यवहार का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं. यदि एक दिन स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है, तो ऐसा भी हो सकता है कि अगले दिन उसकी कीमत घट जाए. इसलिए, शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना अहम है. अनुभवी निवेशक भी कई बार गलत साबित हो सकते हैं. छोटी अवधि में होने वाले नुकसान पर फोकस करने के बजाय लंबी अवधि के रिटर्न पर ध्यान दें.

लक्ष्य ऐसे बनाएं, जिन्हें हासिल किया जा सके

शौकिया निवेशक अक्सर फौरन हाई रिटर्न की उम्मीद करते हैं. उदाहरण के लिए, हर साल स्टॉक पर 100% से अधिक का रिटर्न कमाने की उम्मीद करना ठीक नहीं है. हालांकि, कुछ निवेश हाई रिटर्न दे सकते हैं. इसलिए आपको हमेशा वास्तविकता को समझते हुए निवेश करना चाहिए. फाइनेंशियल गोल ऐसे होने चाहिए जिन्हें आप हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा, उन स्कीम में निवेश से बचें जो कम समय में हाई रिटर्न का वादा करती हैं. निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च कर लें.

शुरुआत में लीवरेज्ड इंस्ट्रूमेंट्स से बचें

नए निवेशकों को कैश डिवीजन में इक्विटी में निवेश करना शुरू कर देना चाहिए और लीवरेज्ड फाइनेंस से बचना चाहिए. लीवरेज्ड निवेश एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत पैसे उधार लेकर निवेश के मुनाफे को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है. ये लाभ उधार ली गई पूंजी पर निवेश रिटर्न और ब्याज की लागत के बीच के अंतर से प्राप्त होते हैं. इसमें प्रॉफिट की संभावना तो बढ़ जाती है, लेकिन नुकसान की संभावना भी बढ़ जाती है.

जल्दबाजी में फैसले लेने से बचें

फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखने के लिए चीजों को सरल रखना चाहिए. अपने एनालिसिस को जितना हो सके सरल रखें. जैसा कि पहले हमने बताया है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होता ही है. हालांकि, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप कभी भी बाजार के उतार-चढ़ाव को देखकर जल्दबाज़ी में और फौरन फैसले न लें. स्टॉक के प्रदर्शन से घबराने के बजाय, आपको एक व्यापक रणनीति बनानी चाहिए और उस पर टिके रहना चाहिए.

नए निवेशक बनाएं रणनीति

शेयर बाजार में निवेश पर काफी फायदा हो सकता है. हालांकि, आपको कुछ ऐसे नुकसानों से बचना चाहिए जिनका सामना ज्यादातर नए निवेशक पहली बार निवेश करते समय करते हैं. नए लोगों को निवेश के लिए एक रणनीति तैयार करनी चाहिए. यह रणनीति ऐसी होनी चाहिए जिसके तहत बाजार की स्थितियों की परवाह किए बिना अच्छे और बुरे दोनों समय में उस पर कायम रहा जा सके.

(By Anish Singh Thakur. लेखक बूमिंग बुल्स एकेडमी के CEO हैं. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं. Financialexpress.com इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है. कृपया कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)

Retirement Planning क्यों है जरूरी, इसमें क्या-क्या मिलता है और कब करना चाहिए

Retirement Plan: आज के वक्त में रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है. जितनी कम उम्र में इसकी शुरुआत की जाएगी, उतना ही ज्यादा इसका फायदा मिलेगा. अगर उम्र ज्यादा भी है तो घबराने की जरूरत नहीं है, आप रिटायरमेंट प्लानिंग कर सकते हैं.

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों है जरूरी

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों है जरूरी

gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2022,
  • (Updated 03 जून 2022, 4:52 PM IST)

PPF अकाउंट खुलवा सकते हैं

अटल पेंशन योजना भी अच्छा विकल्प

रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर जितनी जल्दी तैयारी शुरू कर दी जाए, उतना ही बेहतर होता है. रिटायरमेंट की रणनीति ऐसी बनानी चाहिए, जिसे लेकर हम फाइनेंशियली कॉन्फिडेंट हों और रिटायरमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए बनाए अपने प्लान पर टिके रह सकें.

रिटायरमेंट प्लानिंग-
अगर आपने अभी तक अपने रिटायरमेंट के लिए प्लान नहीं किया है तो आपको रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. सरकार की ओर से ऐसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जहां निवेश करके बुढ़ापे में अपने लिए अच्छी खासी रकम का इंतजाम कर सकेंगे.

  • पीपीएफ अकाउंट खुलवा सकते हैं
  • अटल पेंशन योजना भी एक बढ़िया विकल्प है
  • बैंक एफडी हमेशा से सेफ निवेश साबित होता रहा है
  • वहीं पोस्ट ऑफिस मंथली इन्वेस्टमेंट स्कीम जैसे ऑप्शन में निवेश कर सकते हैं

म्यूजुअल फंड में निवेश-
आजकल बहुत सारे लोग बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करना सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि इसमें निवेश करने पर आपको कम जोखिम में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिलता है.
म्यूचुअल फंड सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आपके रिटायरमेंट के बाद फंड तैयार करने में मददगार साबित हो सकता है. ये आपको लॉन्ग टर्म में बड़ा फायदा दे सकता है. आप कभी भी SIP बंद कर पैसा निकाल सकते हैं.

जितनी जल्दी प्लानिंग, उतना ज्यादा फायदा-
एक युवा को रिटायरमेंट के बारे में सोचना या बात करना अटपटा लग सकता है. लेकिन सच यही है कि रिटायरमेंट की प्लानिंग और उस पर अमल जितनी जल्दी शुरू करेंगे, रिटायरमेंट के समय आपके पास उतना ही बड़ा कॉर्पस या फंड होगा.
मिसाल के तौर पर अगर कोई शख्स 30 साल की उम्र से हर महीने 10 हजार रुपये सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP में निवेश करे तो 12 फीसदी के औसत सालाना रिटर्न के हिसाब से 60 साल में उसके रिटायरमेंट फंड की वैल्यू 3 करोड़ 24 लाख हो जाएगी. इतना ही निवेश अगर 35 साल की उम्र में शुरू किया, तो 60 साल की उम्र में उसे 1 करोड 79 लाख रुपये ही मिलेंगे. यानी महज पांच साल की देरी रिटायरमेंट फंड की रकम को तकरीबन आधा कर सकती है.

दे हो गई है तो घबराने की जरूरत नहीं-
अगर रिटायरमेंट की प्लानिंग करने में आपसे देर हो गई है. तो घबराने की जरूरत नहीं है. जब जागे, तभी सवेरा वाली कहावत जरूर सुनी होगी आपने. आप अभी से भी अपनी कोशिश शुरू कर सकते हैं. इसमें आपको उतना फायदा भले ही न मिले, जितना बरसों पहले शुरूआत करने निवेश रणनीति की योजना बनाएं और उस पर टिके रहें पर मिल सकता था. लेकिन निराशा में हाथ पर हाथ धरकर बैठने से बेहतर है कि एक सुरक्षित और सुखद रिटायरमेंट के लिए फौरन कदम उठाए जाएं.

निवेश प्लान तैयार करना बेहतर-
लिहाजा जानकारों का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद महीने के खर्च को पूरा करने के लिए एक निवेश प्लान तैयार करना होगा. फंड का कुछ हिस्सा मंथली इनकम प्लान में निवेश करने करें. जानकारों का मानना है कि मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात से निपटने के लिए मेडिकल इंश्योरेंस जरूर लें. साथ ही अपने फंड का कुछ हिस्सा सरकारी योजनाओं में निवेश करें

इन स्कीम में लगाया जा सकता है पैसा-
दरअसल रिटायरमेंट के बाद सबसे बड़ा कन्फ्यूजन होता है कि पीएफ और ग्रेच्युटी से मिला पैसा कहां निवेश करें. जिससे नियमित आय तो मिले ही साथ ही साथ टैक्स का भी बोझ कम पड़े. ज्यादातर लोग रिटायरमेंट के बाद किसी ऐसी स्कीम में पैसा नहीं लगाना चाहते हैं जो बहुत ज्यादा रिस्की हो. सीनियर सिटीजन्स की कोशिश होती है कि वो ऐसी स्कीम में पैसा लगाएं, जिससे बेहतर रिटर्न के साथ पैसा डूबने का खतरा ना हो.

  • सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम
  • पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम
  • प्रधानमंत्री वय वंदना योजना

रिटायरमेंट के बाद महंगाई दर का ध्यान रखना होगा-
अगर माता-पिता का पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानि पीपीएफ अकाउंट है, जो 15 साल की अवधि के पूरा होने पर मैच्योर होने वाला है. तो आप उन्हें 5 साल के ब्लॉक इन पीरियड में निवेश कर उसे जारी रखने का सुझाव दे सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद महंगाई दर को भी ध्यान में रखना होगा. लिहाजा ज्यादा रिटर्न के लिए अगर थोड़ा जोखिम उठाने की सोचते हैं तो म्यूचुअल फंड के डेट, इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम में निवेश किया जा सकता है.

रिटायरमेंट प्लानिंग क्यों जरूरी है-
आज के समय में हम डिजिटल दुनिया की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके आगे हम भावनात्मक रूप से कम और इलेक्ट्रॉनिक तौर पर ज्यादा जुड़े होंगे. हम पश्चिमी संस्कृति को तेजी से अपना रहे हैं. इसलिए आने वाले वक्त में पश्चिम संस्कृति का असर हमारे जीवन पर भी पड़ेगा और रिटायरमेंट के बाद खुद का ध्यान रखने की प्लानिंग भी जरूरी होगी. अगर रिटायरमेंट के बाद आपके बच्चे मदद करते हैं तो ये और अच्छी बात होगी. लेकिन रिटायरमेंट के बाद के लिए खुद की तैयारी होनी जरूरी है. अपने भविष्य को लेकर सकारात्मक होना अच्छी बात है, लेकिन ये अनुमान लगाना भी व्यावहारिक है कि आपके जीवन में आगे कुछ ऐसी बाधाएं आ सकती हैं, जहां आपको पैसों की जरूरत पड़े. ऐसे में आप अपने रिटायरमेंट प्लान पर ध्यान देकर भविष्य की आर्थिक जरूरतों के लिए पहले से तैयार रह सकते हैं.

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