उधर, अमेरिकी सरकार ने कच्चे तेल की कीमतों को नीचे लाने के लिए अपने रणनीतिक तेल भंडार से पांच करोड़ बैरल तेल जारी करने का आदेश दिया है। अमेरिका अन्य देशों के साथ तालमेल कर कच्चे तेल की कीमतों को नीचे लाने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने कहा कि अमेरिकी सरकार के इस कदम का मकसद गैस और पेट्रोल के दाम नीचे लाना है। इस समय इनकी कीमत 3.40 डॉलर प्रति गैलन पर है जो एक साल पहले की तुलना में दोगुना है। अमेरिका के अलावा भारत, जापान, कोरिया और ब्रिटेन ने भी रणनीतिक भंडार से कच्चा तेल जारी करने की घोषणा की है।
घोषणा के बाद अमेरिकी तेल 1.9% गिरकर 75.30 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर पर आ गया। पिछली बार 2.5% बढ़कर 78.67 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 3.2% की बढ़त के साथ 82.31 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
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बिटकॉइन की कीमतों में भारी गिरावट
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार द्वारा 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीत कालीन सत्र में क्रप्टोकरेंसी पर कानून लाए जाने की खबर के बाद मंगलवार देर रात भारत में बिट कॉइन की कीमतें 17 प्रतिशत तक लुढ़क गई जबकि यू एस डी टी 12 प्रतिशत तक गिर गया। मंगलवार देर रात वजीर एक्स पर एक बिट कॉइन की कीमत 37 लाख 98 हजार रुपए के करीब चल रही थी और यह 46 लाख 35 हजार के अपने उच्चतम स्तर से करीब 18 प्रतिशत तक लुढ़क गया था जबकि यू एस डी टी देर रात क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? 71 रुपए पर कारोबार कर रहा था और यह अपने 80 रुपए के उच्चतम स्तर से करीब 19 प्रतिशत गिर कर 65 रुपए तक पहुंच गया था। भारतीय निवेशकों को डर है कि सरकार इस पर नियंत्रण के लिए यदि कानून लाती है तो कानून में कड़े प्रावधान हो सकते हैं लिहाजा निवेशकों ने मंगलवार देर रात अपनी पोजिशंस स्कवेर आफ करनी शुरू कर दी हैं। बिट कॉइन के साथ साथ अन्य करंसी भी देर रात 25 प्रतिशत तक गिरावट के साथ कारोबार कर रही थी।
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किये जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध है। इस विधेयक में भारतीय क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? रिजर्ब बैंक द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिये एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गई है। इस प्रस्तावित विधेयक में भारत में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की बात कही गई है।
हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी है, ताकि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित प्रौद्योगिकी एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग के संबंध में न तो कोई प्रतिबंध है और न ही कोई नियमन की व्यवस्था है। इस पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी और संकेत दिया था कि इस मुद्दे से निपटने के लिये सख्त विनियमन संबंधी कदम उठाये जायेंगे । हाल के दिनों में काफी संख्या में ऐसे विज्ञापन आ रहे हैं जिसमें क्रिप्टोकरेंसी में निवेश में काफी फायदे का वादा किया गया और इनमें फिल्मी हस्तियों को भी दिखाया गया। ऐसे में निवेशकों को गुमराह करने वाले वादों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी ।
पिछले सप्ताह वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लाकचेन एवं क्रिप्टो आस्ति परिषद (बीएसीसी) के प्रतिनिधियों एवं अन्य लोगों से मुलाकात की थी और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि इसका नियमन किया जाना चाहिए । भारतीय रिजर्ब बैंक ने बार बार क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किये है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस महीने के प्रारंभ में क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति दिये जाने के खिलाफ सख्त विचार व्यक्त किये थे और कहा था कि ये किसी वित्तीय प्रणाली के लिये गंभीर खतरा है।
पांच करोड़ बैरल तेल जारी करेगा अमेरिका
उधर, अमेरिकी सरकार ने कच्चे तेल की कीमतों को नीचे लाने के लिए अपने रणनीतिक तेल भंडार से पांच करोड़ बैरल तेल जारी करने का आदेश दिया है। अमेरिका अन्य देशों के साथ तालमेल कर कच्चे तेल की कीमतों को नीचे लाने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकन ऑटोमोबाइल एसोसिएशन ने कहा कि अमेरिकी सरकार के इस कदम का मकसद गैस और पेट्रोल के दाम नीचे लाना है। इस समय इनकी कीमत 3.40 डॉलर प्रति गैलन पर है जो एक साल पहले की तुलना में दोगुना है। अमेरिका के अलावा भारत, जापान, कोरिया और ब्रिटेन ने भी क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? रणनीतिक भंडार से कच्चा तेल जारी करने की घोषणा की है।
घोषणा के बाद अमेरिकी तेल 1.9% गिरकर 75.30 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर पर आ गया। पिछली बार 2.5% बढ़कर 78.67 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 3.2% की बढ़त के साथ 82.31 डॉलर प्रति बैरल पर रहा।
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी ? जानिए दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी कौनसी है
पिछले कुछ वर्षों से 'क्रिप्टोकरेंसी' (Cryptocurrency) शब्द ने दुनियाभर में गज़ब का हल्ला मचाया हुआ है। दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की वर्चुअल करेंसी है। इस आसान भाषा में समझें — आप रुपए के नोट, सिक्कों को देख सकते हैं और उन्हें छूकर महसूस कर सकते हैं। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी वैसी करेंसी नहीं है। यह एक नेटवर्क पर आधारित डिजिटल असेट का एक रूप है जिसे बड़ी संख्या में कंप्यूटर्स में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है जो ट्रांजेक्शन को वैरिफाई करने के लिए किसी भी बैंक पर निर्भर नहीं है। यह एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम है जो किसी को भी कहीं भी पेमेंट भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। इस पर किसी भी बैंक, या सरकार का कंट्रोल नहीं है।
कुछ प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी (सांकेतिक चित्र)
क्रिप्टोकरेंसी सबसे सिक्योर करेंसी मानी जाती है, क्योंकि यह क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) की देन है।
क्रिप्टोग्राफी: यह कोडिंग के जरिए इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन को सिक्योर करने का तरीका है। ताकि केवल वही व्यक्ति, जिसके लिए सही मायने में यह इन्फॉर्मेशन है, इसे समझ सके और इसे प्रोसेस कर सके। इसका मतलब है कि कोई भी दूसरा व्यक्ति उस इन्फॉर्मेशन को हासिल नहीं कर पाएगा। क्रिप्टोग्राफी शब्द, दो शब्दों, "क्रिप्ट", जिसका अर्थ है, "छिपा हुआ" और "ग्राफी", जिसका अर्थ है, "लिखना", से मिलकर बना है।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी: जैसा कि इसके नाम से समझा जा सकता है, ब्लॉकचेन — जुड़े हुए ब्लॉक या ऑनलाइन लेज़र क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? का एक सेट है। हर एक ब्लॉक में ट्रांजेक्शन का एक सेट होता है जिसे नेटवर्क के हर एक मेंबर द्वारा स्वतंत्र रूप से वैरिफाई किया गया है। तैयार किए गए हर एक नए ब्लॉक को कन्फर्म होने से पहले प्रत्येक नोड द्वारा वैरिफाई किया जाना चाहिए, जिससे ट्रांजेक्शन हिस्ट्री बनाना लगभग असंभव हो जाता है।
बिटकॉइन (Bitcoin) सबसे लोकप्रिय और मूल्यवान क्रिप्टोकरेंसी है। यह दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी है। सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) नाम के एक गुमनाम शख्स ने इसकी खोज की और 2008 में एक व्हाइट पेपर के जरिए इसे दुनिया के सामने पेश किया। बाद में साल 2009 में इसे आम जनता के लिए शुरू कर दिया गया था। आज बाज़ार में हजारों क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं। इनमें से कुछ के नाम हैं — Ethereum, Ripple, Cardano, Tether, Dogecoin, Stellar, Binance Coin, Litecoin, Polkadot, Shiba Inu, Monero आदि।
हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर के देशों में अभी तक एक तरह से सस्पेंस बना हुआ है। कुछ देशों में सरकार ने इसे लीगल करार दे दिया है तो कहीं पर अभी भी इस पर कानून की तलवार लटकी हुई है। भारत में भी सरकार, RBI (Reserve Bank of India) और सुप्रीम कोर्ट इसको लेकर एक राय नहीं रखते हैं।
बिटकॉइन में लगे पैसे का क्या होगा, क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार के बिल में क्या है: जानिए सब कुछ
वित्त मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने हाल ही में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन और बीएसीसी के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित लोगों से बैठकों के बाद यह प्रस्ताव दिया था कि क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर पर बैन न करके उनका नियमन किया जाना चाहिए।
बिटकॉइन में लगे पैसे का क्या होगा, क्रिप्टोकरेंसी पर मोदी सरकार के बिल में क्या है: जानिए सब कुछ
केंद्र सरकार द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार क्रिप्टो करेंसी के नियमन और नियंत्रण सम्बंधित बिल लाने वाली है। निजी क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित/बंद करने के आलावा सरकार द्वारा लाए जाने वाले बिल का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तावित आधिकारिक डिजिटल करेंसी के क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? नियमन हेतु एक कानूनी रूपरेखा तैयार करना होगा। इसके साथ ही पिछले कुछ वर्षों से क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग, उसके इस्तेमाल और उसपर सरकारी नियंत्रण को लेकर व्याप्त संशय दूर किया जा सकेगा।
ज्ञात हो कि क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग और उसमें निवेश के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी, उसके चलन और उससे सम्बंधित अन्य विषयों पर संज्ञान लेने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी के साथ बैठक की थी।
प्रस्तावित बिल का उद्देश्य सरकार द्वारा बताए जाने के बावजूद क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग और उनमें निवेश को लेकर पहले से व्याप्त भ्रम के और बढ़ने की संभावना है। कुछ लोगों का मानना है कि निजी क्रिप्टो करेंसी पर देश में पूरी तरह से बैन लगना चाहिए। वहीं अन्य का यह मानना है कि क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन न लगाकर कानून की सहायता से उनके इस्तेमाल, ट्रेडिंग और उनमें निवेश सम्बंधित नियम बनाकर उसे जारी रहने देना चाहिए। सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘द क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफिसियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ के संसद में लाने से क्रिप्टो करेंसी से सम्बंधित ऐसे तमाम प्रश्नों के उत्तर मिलने क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? की संभावना है।
विज्ञप्ति के अनुसार बिल का उद्देश्य; भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रस्तावित और भविष्य में जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल करेंसी के चलन हेतु नियम बनाना है। साथ ही बिल में; देश में डिजिटल करेंसी संबंधित बुनियादी तकनीक को प्रोत्साहित करने वाली क्रिप्टो करेंसी को छोड़कर अन्य सभी तरह के निजी डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव है। हालाँकि, सरकार की ओर से निजी क्रिप्टो करेंसी को अभी तक परिभाषित नहीं किया गया है पर अनुमान लगाया जा रहा है कि वे क्रिप्टो करेंसी जो उनके इस्तेमाल करने वालों की जानकारी गुप्त रखती हैं, उनके इस्तेमाल, ट्रेडिंग और उसमें निवेश पर इस बिल में प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रहेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार निजी क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर प्रतिबंध के परिणामस्वरूप भारत में चल रहे क्रिप्टो एक्सचेंज का ऑपरेशन बंद हो जाएगा। इसी वर्ष सितंबर में जब चीन ने क्रिप्टोकरेंसी पर सीधा प्रतिबंध लगाया था तब हूओबी ने चीन में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी कारणों से क्रिप्टो करेंसी की ट्रेडिंग, उनके इस्तेमाल और उनमें निवेश संबंधी नियम कठिन है और इसी वजह से सरकार निजी क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर बैन कर देगी।
यही वजह है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों के बीच यह संशय बना हुआ है कि निजी क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार की योजना क्या रहेगी? यदि बिल में निजी क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर बैन का प्रस्ताव रहेगा तो सरकार उनमें निवेश करने वालों को राहत देने के लिए क्या करेगी? एक अनुमान के अनुसार क्रिप्टो करेंसी में करीब 6 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश है।
हाल के दिनों में भारत में क्रिप्टो करेंसी में निवेश और ट्रेडिंग को लेकर लगातार हो रहे विज्ञापनों की वजह से केवल सरकार ही नहीं आर्थिक विशेषज्ञों ने चिंता व्यक्त की थी। वित्त मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने हाल ही में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन और बीएसीसी के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित लोगों से बैठकों के बाद यह प्रस्ताव दिया था कि क्रिप्टो करेंसी को सीधे तौर पर बैन न करके उनका नियमन किया जाना चाहिए। दूसरी ओर भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से क्रिप्टो करेंसी पर सीधे तौर पर बैन लगाने के प्रस्ताव है। भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांति दास के अनुसार क्रिप्टो करेंसी किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली के लिए संकट पैदा कर सकते हैं।
चीन में क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन है। चीन का सेंट्रल बैंक क्रिप्टो करेंसी से लेन देन को अवैध घोषित कर चुका है। चीन के अलावा नाइजीरिया, तुर्की, बोलीविया, क़तर, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, विएतनाम जैसे देशों में क्रिप्टो करेंसी पर सम्पूर्ण बैन है। प्रस्तावित बिल जब संसद में पेश होगा तब भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार का दृष्टिकोण साफ़ हो जाएगा। साथ ही बिल पर बहस में ढेरों ऐसे तथ्यों के सामने आने की संभावना है जिन्हें लेकर अभी तक लोगों में संशय और भ्रम की स्थिति है।
ऐसे समय में जब विश्व की अर्थव्यवस्था को कोरोना जैसी महामारी की वजह बड़ा धक्का लगा है, यह तय करना आवश्यक क्या बिटकॉइन का निवेश किया जाना चाहिए? है कि वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था का किसी और संकट से सामना न हो। ऐसे में क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक का फैसला चाहे जो हो, उस पर कानून और नियम बनाने का प्रस्ताव उचित दिशा में सही कदम है और इसका स्वागत होना चाहिए।
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