टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स में निवेश करने के नुकसान क्या हैं?

टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF) एक किस्म के ओपन-एंडेड डेट फंड्स होते हैं जो आपको मैच्योरिटी की निश्चित तारीख़ें प्रदान करते हैं। इन फंड्स के पोर्टफोलियो में ऐसे बॉन्ड्स होते हैं जिनकी समाप्ति तिथि फंड की लक्षित मैच्योरिटी की तारीख़ के साथ संरेखित (अलाइन) की जाती है। जबकि यह ब्याज दर के जोखिम को कम करने में मदद करता है और रिटर्न्स को ज़्यादा उम्मीद के मुताबिक बनाता है, इन फंड्स में निवेश करने से पहले निवेशकों को TMF की कमियों को ध्यान में रखना चाहिए।

टार्गेट मैच्योरिटी बॉन्ड फंड्स अब डेट फंड की एक नई श्रेणी हैं और इसलिए इस वर्ग में कुछ विकल्प उपलब्ध हैं। यह किसी निवेशक के लिए उपलब्ध मैच्योरिटी के विकल्प को सीमित कर सकता है, यानि, मैच्योरिटी की विशिष्ट समय अवधि में जिन निवेशकों की दिलचस्पी है, हो सकता है वे एक उपयुक्त फंड ढूंढने में सक्षम न हों। साथ ही, इस श्रेणी पर भरोसा करने के लिए प्रदर्शन का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है।

टार्गेट मैच्योरिटी फंड के लाभों में ब्याज दर के जोखिम को कम करना और रिटर्न की दृश्यता शामिल हैं। लेकिन ये दोनों लाभ केवल तभी काम कर सकते हैं यदि निवेशक मैच्योरिटी तक फंड में बना रहता है। इसलिए, यदि निवेशकों को किसी आपात स्थिति के दौरान मैच्योरिटी से पहले अपने निवेश को ख़त्म करना पड़ता है, तो अंत में उन्हें कम रिटर्न मिल सकते हैं और उन्हें ब्याज दर में उतार-चढ़ाव का खतरा भी हो सकता है। TMF के बारे में केवल तभी सोचा जाना चाहिए यदि आपके मध्यम से लंबी-अवधि का लक्ष्य है और यदि आप फंड के मैच्योर होने तक अपने निवेश में बने रह सकते हैं।

टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि निवेशकों के लिए मौजूदा ब्याज दरें तय हो जाती हैं और संपूर्ण रिटर्न पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है विशेष रूप से तब जब भविष्य में ब्याज दरें बढ़ने की संभावना हो। आम तौर पर ऐसा तब होता है जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से उबर रही हो या सरकार द्वारा चल रहे प्रोत्साहन पैकेज को वापस लेने की संभावना हो क्योंकि इन दोनों परिदृश्यों में, सामान्य तौर पर ब्याज दरें सबसे कम होती हैं और इसलिए केवल उनके बढ़ने की संभावना होती है। बढ़ती हुई ब्याज दरों का बॉन्ड्स की कीमतों और डेट फंड के रिटर्न्स पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

चूँकि TMF एक अंतर्निहित बॉन्ड इंडेक्स में निवेश करते हैं, अन्य किसी भी इंडेक्स फंड की तरह इन फंड्स में ट्रैकिंग त्रुटि (एरर) का खतरा होता है। यद्यपि इस श्रेणी का कोई प्रदर्शन का इतिहास नहीं है, अंतर्निहित बॉन्ड इंडेक्स किसी विशिष्ट TMF से अपेक्षित रिटर्न्स के उचित संकेतक हो सकते हैं। हालांकि, ट्रैकिंग त्रुटि (एरर), यानि, फंड के वास्तविक रिटर्न्स और बेंचमार्क्स के रिटर्न के बीच अंतर, रिटर्न के पूर्वानुमान को ख़राब कर सकता है।

निष्क्रिय स्वरूप होने के कारण, छोटी अवधि में डेट मार्केट के लिए आउटलुक में बदलाव होने पर फंड मैनेजर के पास विभिन्न जोखिमों के प्रबंधन की सीमित गुंजाइश होती है, जैसे क्रेडिट रेटिंग में बदलाव या RBI द्वारा ब्याज दरों में परिवर्तन। मैनेजर के पास अंतर्निहित इंडेक्स में बॉन्ड्स को कायम रखने के अलावा सूचकांक निवेश की संभावनाएं कोई विकल्प नहीं होता चाहे उसका आउटलुक जो भी हो। इसलिए, हो सकता है यह उन निवेशकों के लिए अनुकूल न हो जो डेट फंड्स में छोटी अवधि के लिए निवेश की तलाश में हैं। TMF के बजाय मैच्योरिटी की छोटी अवधि वाले फंड्स में निवेश करना उनके लिए बेहतर होगा।

अपने पोर्टफोलियो में टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स को शामिल करने से पहले सावधानी से उनके फ़ायदों और नुकसानों का आकलन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही, जो टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स ETF स्वरूप में उपलब्ध हैं, उनमें निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है, और यदि आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है तो यह एक सीमा हो सकती है।

शेयर मार्केट के इन तीन सेक्टर्स में निवेश से मिलता है अच्छा रिटर्न, आने वाले समय में भी बढ़ेगी मांग

भारतीय शेयर बाजार में तीन सेक्टर्स हेल्थ और इंश्योरेंस पावर और FMCG आज के समय अधिकतर निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इनमें निवेश अच्छे रिटर्न की गारंटी बन कर आता है। आने वाले सालों में इन सेक्टर्स में ग्रोथ की संभावना काफी अच्छी है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में निवेश अच्छे रिटर्न के लिए अच्छा और डाइवर्स पोर्टफोलियो काफी महत्वपूर्ण है। अच्छा पोर्टफोलियो बनाने के लिए आपको विभिन्न सेक्टर्स की अच्छी व मजबूत कम्पनियों में निवेश करना चाहिये। आज हम ऐसे ही तीन सेक्टर्स के बारे में आपको बताएंगे जो भारतीय शेयर मार्केट में काफी मजबूत स्थिति में हैं व आने वाले सालों में इन सेक्टर्स में ग्रोथ की संभावना भी काफी अच्छी है। भारतीय शेयर बाजार में तीन सेक्टर्स हेल्थ और इंश्योरेंस, पावर और FMCG आज के समय अधिकतर निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इनमें निवेश अच्छे रिटर्न की गारंटी बन कर आता है।

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हेल्थ और इंश्योरेंस सेक्टर

हेल्थ और इंश्योरेंस सेक्टर ने पिछले कुछ सालों में काफी तरक्की की है। खासतौर पर कोविड-19 के बाद से इस सेक्टर में काफी तेजी देखने को मिली है। साथ ही इस आम लोगों ने भी हेल्थ और इंश्योरेंस पर ध्यान देना शुरू किया है। जिससे यह सेक्टर एक मुनाफे वाला सेक्टर बन गया है। एक्सपर्ट के अनुसार आने वाले समय में यह सेक्टर लगभग 16% की तेजी से आगे बढ़ने वाला है। इस सेक्टर में प्रमुख रूप से हॉस्पिटल, मेडिकल इंश्योरेंस, फार्मा आदि कम्पनियां आती हैं। बता दें कि पिछले 6 सालों में हेल्थकेयर इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट लगभग 22% रही है। ऐसे में इस सेक्टर की कम्पनियों में निवेश आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है।

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रिन्युएबल पावर सेक्टर

रिन्युएबल पावर सेक्टर न सिर्फ भारत में बल्कि अन्य देशों में तेजी से आगे बढ़ता हुआ सेक्टर है। पूरा विश्व तेजी से ग्रीन एनर्जी और रिन्युएबल पावर की तरफ आगे बढ़ रहा है। इस मामले में भारत पूरे विश्व के सामने एक लीडर की भूमिका में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जिसके लिए ग्रनी एनर्जी व रिन्युएबल पावर के क्षेत्र में देश काफी बेहतर कर रहा है। साथ ही सरकार भी इस क्षेत्र को पूरा समर्थन मिल रहा है। ऐसे में निवेश के लिए यह सेक्टर काफी बेहतर सिद्ध हो सकता है। इस सेक्टर की कुछ कम्पनियां हैं- अडानी ग्रीन एनर्जी, टाटा पावर, रिलायंस पावर आदि।

FMCG सेक्टर

निवेश की दृष्टि से FMCG सेक्टर सबसे सुरक्षित व भरोसेमंद सेक्टर है। इसमें निवेश से आपको अच्छा रिटर्न तो मिलता ही है, साथ ही ये एक ऐसा सेक्टर है जिसमें आपका रिस्क भी काफी कम रहता है। क्योंकि ये उत्पाद दैनिक आवश्यकता की चीजें होती हैं, जिन्हें लोग खरीदते ही हैं। इस सेक्टर में आपको लॉन्ग टर्म निवेश से अच्छा प्रॉफिट मिल सकता है। इस सेक्टर की कुछ अच्छी कंपनियां हैं- हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, Adani Wilmar आदि।

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म्यूचुअल फंड: कम रिस्क के साथ चाहिए ज्यादा रिटर्न तो इंडेक्स फंड में करें निवेश, ये हैं टॉप 7 फंड

कोरोना महामारी के कारण बाजार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। इसका असर म्यूचुअल फंड पर भी पड़ा है, और इसी का नतीजा है कि पिछले 3 से 6 महीनों में इसकी कई कैटेगरी में निगेटिव रिटर्न मिला या रिटर्न कम रहा है। ऐसे में लोग अब म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में जो म्यूचुअल फंड निवेशक कम से कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स सूचकांक निवेश की संभावनाएं फंड सही ऑप्शन हो सकते हैं।

क्या हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड शेयर बाजार के किसी इंडेक्स मसलन निफ्टी 50 या सेंसेक्स 30 में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी रेश्यो में उनके शेयर खरीदे जाते हैं। इसका मतलब यह है कि ऐसे फंडों का प्रदर्शन उस इंडेक्स जैसा ही होता है। यानी इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर होता है तो उस फंड में भी बेहतर रिटर्न की गुंजाइश होती है।

एक्सपेंस रेश्यो रहता है कम
इंडेक्स फंड में निवेश करने का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है। बता दें कि अन्य प्रत्यक्ष रूप से प्रबंधित म्युचुअल फंडों में जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनी तकरीबन 2% तक शुल्क वसूलती है, वहीं इंडेक्स फंडों का शुल्क बहुत कम यानी कि तकरीबन 0.5% से 1 के बीच होता है।

डाइवर्सिफिकेशन का मिलता है फायदा
इंडेक्स फंड से निवेशक अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे नुकसान की संभावना घट जाती है। अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से नुकसान कवर हो जाता है। इसके अलावा इंडेक्स फंडों में ट्रैकिंग एरर कम होता है। इससे इंडेक्स को इमेज करने की एक्यूरेसी बढ़ जाती है। इस तरह रिटर्न का सटीक अनुमान लगाना आसान हो जाता है।

कितना देना होता है टैक्स?
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है। अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा।

किसके लिए सही हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो कम रिस्क के साथ शेयरों में निवेश करना चाहते हैं। इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट करके चलना चाहते हैं, भले ही सूचकांक निवेश की संभावनाएं कम रिटर्न मिले।

Gold: सोने में निवेश का अच्छा समय, बेहतर मुनाफा कमाने का मौका, 62000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच सकता है सोना

अमेरिकी केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों में धीमी वृद्धि के संकेत व डॉलर में नरमी से बढ़ेगी पीली धातु की मांग। मंदी की आशंका के बीच दुनियाभर में महंगाई लगातार बढ़ रही है। इन वजहों से सोने में तेजी दिख रही है और आगे भी बनी रहेगी।

सोना (सांकेतिक तस्वीर)।

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश में शादियों का सीजन शुरू हो गया है। 14 दिसंबर तक चलने वाले शादियों के सीजन में सोने की मांग बनी हुई है। मौजूदा वैश्विक और घरेलू हालातों की वजह से आगे भी इसमें तेजी रहने का अनुमान है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि यह सोने में निवेश करने का अच्छा मौका है क्योंकि अगले साल तक घरेलू बाजार में पीली धातु की कीमत 62,000 के स्तर पर पहुंच सकती है। अभी यह 54,000 के आसपास है।

अमेरिका में खुदरा महंगाई दर में नरमी और नौकरियों के आंकड़ों में सुधार से वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने आक्रामक रुख के बजाय ब्याज दरों में धीमी गति से बढ़ोतरी करने का संकेत दिया है। डॉलर सूचकांक 114 से गिरकर 104 के स्तर पर आ गया है। भू-राजनीतिक तनाव चरम पर है। मंदी की आशंका के बीच दुनियाभर में महंगाई लगातार बढ़ रही है। इन वजहों से सोने में तेजी दिख रही है और आगे भी बनी रहेगी।

शादियों में 1.50 लाख करोड़ रुपये तक की बिक्री संभव
कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। इससे सोने सहित अन्य जिंसों की कीमतों में तेजी आई और निवेशकों में सुरक्षित साधन के रूप में पीली धातु की मांग बढ़ी। यही वजह है कि बीते धनतेरस सिर्फ एक दिन में देश में 39 टन सोना बिका और यह मांग अब भी बनी हुई है। अनुमान है कि 14 दिसंबर तक चलने वाले शादियों के सीजन में 1.50 लाख करोड़ रुपये तक का सोना बिक सकता है। इस दौरान करीब 32 लाख शादियां होनी हैं।

केंद्रीय बैंक लगातार कर रहे खरीदारी
विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक, दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। इससे पीली धातु की मांग इस साल सितंबर तक 28% बढ़कर 1,181 टन पहुंच गई।

ये हैं शीर्ष-5 खरीदार

देश वजन (टन में)
तुर्किये 31.17
उज्बेकिस्तान 26.13
भारत 17.46
कतर 14.77
मोजांबिक 2.33
(आंकड़े : 30 सितंबर तक के)

चीन में मांग से भी बढ़ेगी चमक
दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार चीन कोरोना महामारी से उबर रहा है। वहां 22 जनवरी को चाइनीज नया साल मनाया जाएगा। आमतौर पर इससे पहले चीन में सोने की मांग में तेजी देखने को मिलती है। इसके अलावा, चीन के केंद्रीय बैंक ने डॉलर के बजाय सोने की खरीद बढ़ा दी है। इससे वहां मांग बढ़ेगी, जिससे सोने की कीमतों में तेजी आने की संभावना है।

छू सकता है 2,000 डॉलर का आंकड़ा
वैश्विक बाजार में सोना इस समय करीब 1,800 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। एक महीने में यह 1,840 डॉलर का आंकड़ा छू सकता है। अगले साल तक कीमत 2,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका असर घरेलू कीमतों पर भी देखने को मिलेगा। -अजय केडिया, निदेशक, केडिया एडवाइजरी

विस्तार

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश में शादियों का सीजन शुरू हो गया है। 14 दिसंबर तक चलने वाले शादियों के सीजन में सोने की मांग बनी हुई है। मौजूदा वैश्विक और घरेलू हालातों की वजह से आगे भी इसमें तेजी रहने का अनुमान है। कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि यह सोने में निवेश करने का अच्छा मौका है क्योंकि अगले साल तक घरेलू बाजार में पीली धातु की कीमत 62,000 के स्तर पर पहुंच सकती है। अभी यह 54,000 के आसपास है।

अमेरिका में खुदरा महंगाई दर में नरमी और नौकरियों के आंकड़ों में सुधार से वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने आक्रामक रुख के बजाय ब्याज दरों में धीमी गति से बढ़ोतरी करने का संकेत दिया है। डॉलर सूचकांक 114 से गिरकर 104 के स्तर पर आ गया है। भू-राजनीतिक तनाव चरम पर है। मंदी की आशंका के बीच दुनियाभर में महंगाई लगातार बढ़ रही है। इन वजहों से सोने में तेजी दिख रही है और आगे भी बनी रहेगी।

शादियों में 1.50 लाख करोड़ रुपये तक की बिक्री संभव
कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया। इससे सोने सहित अन्य जिंसों की कीमतों में तेजी आई और निवेशकों में सुरक्षित साधन के रूप में पीली धातु की मांग बढ़ी। यही वजह है कि बीते धनतेरस सिर्फ एक दिन में देश में 39 टन सोना बिका और यह मांग अब भी बनी हुई है। अनुमान है कि 14 दिसंबर तक चलने वाले शादियों के सीजन में 1.50 लाख करोड़ रुपये तक का सोना बिक सकता है। इस दौरान करीब 32 लाख शादियां होनी हैं।

केंद्रीय बैंक लगातार कर रहे सूचकांक निवेश की संभावनाएं खरीदारी
विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक, दुनियाभर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। इससे पीली धातु की मांग इस साल सितंबर तक 28% बढ़कर 1,181 टन पहुंच गई।


ये हैं शीर्ष-5 खरीदार
देश वजन (टन में)
तुर्किये 31.17
उज्बेकिस्तान 26.13
भारत 17.46
कतर 14.77
मोजांबिक 2.33
(आंकड़े : 30 सितंबर तक के)

चीन में मांग से भी बढ़ेगी चमक
दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार चीन कोरोना महामारी से उबर रहा है। वहां 22 जनवरी को चाइनीज नया साल मनाया जाएगा। आमतौर पर इससे पहले चीन में सोने की मांग में तेजी देखने को मिलती है। इसके अलावा, चीन के केंद्रीय बैंक ने डॉलर के बजाय सोने की खरीद बढ़ा दी है। इससे वहां मांग बढ़ेगी, जिससे सोने की कीमतों में तेजी आने की संभावना है।

छू सकता है 2,000 डॉलर का आंकड़ा
वैश्विक बाजार सूचकांक निवेश की संभावनाएं में सोना इस समय करीब 1,800 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है। एक महीने में यह 1,840 डॉलर का आंकड़ा छू सकता है। अगले साल तक कीमत 2,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका असर घरेलू कीमतों पर भी देखने को मिलेगा। -अजय केडिया, निदेशक, केडिया एडवाइजरी

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