Depression- डिप्रेशन

क्या है डिप्रेशन?
Depression: डिप्रेशन (चरम मंदी) आर्थिक गतिविधियों में एक उग्र और दीर्घ अवधि तक मंदी बनी रहने की स्थिति है। अर्थशास्त्र में, डिप्रेशन की परिभाषा मंदी बनाम तेजी कारक आम तौर पर चरम मंदी के रूप में दी जाती है जो तीन वर्ष या इससे अधिक समय तक बनी रहती है या जिससे वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उस वर्ष कम से कम 10 प्रतिशत की गिरावट आती है। डिप्रेशन साधारणतया मामूली मंदी की तुलना में कम देखा जाता है और इसके साथ उच्च बेरोजगारी और निम्न महंगाई दर भी देखी जाती है। ग्रोथ, रोजगार और उत्पादन में तेज गिरावट के साथ आर्थिक कार्यकलापों में नाटकीय मंदी के साथ इसे जोड़ा जाता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कई बार तेज मंदी के दौर आए हैं लेकिन डिप्रेशन की स्थिति आम तौर पर कम ही देखी गई है।

डिप्रेशन से जुड़ी मुख्य बातें
डिप्रेशन के समय, उपभोक्ता विश्वास और निवेश में कमी आती है जिससे अर्थव्यवस्था पर ताला लग जाता है। जो आर्थिक कारक डिप्रेशन को परिभाषित करते हैं, वे हैं-बेरोजगारी में भारी वृद्धि, उपलब्ध ऋण में गिरावट, उत्पादन और उत्पादकता में लगातार हो रही कमी, निरंतर नकारात्मक जीडीपी ग्रोथ, दिवालिया होने की घटनाएं, सॉवरेन डेट डिफॉल्ट, घटता व्यापार और वैश्विक वाणिज्य, स्टॉक में मंदी की स्थिति (बीयर मार्केट), एसेट के मूल्य में निरंतर अस्थिरता और करेंसी का घटता मूल्य, निम्न से कम महंगाई दर और यहां तक कि डिफ्लेशन (अपस्फीति) और बढ़ती बचत दर (जो बचत कर सकते हैं, उनके बीच)।

अर्थशास्त्रियों में डिप्रेशन की अवधि को लेकर असहमति है। कुछ का विश्वास है कि डिप्रेशन में केवल गिरती आर्थिक गतिविधि द्वारा प्रभावित अवधि ही शामिल होती है। दूसरे अर्थशास्त्रियों मंदी बनाम तेजी कारक का तर्क है कि डिप्रेशन तब तक जारी रहता है, जब तक कि अधिकांश आर्थिक गतिविधियां सामान्य नहीं हो जातीं। किसी अर्थव्यवस्था और उत्पादन में बहुत तेज गिरावट के लिए कई कारण जिम्मेदार होते हैं।

डिप्रेशन बनाम मंदी
मंदी व्यवसाय चक्र का एक सामान्य हिस्सा है जो आम तौर पर तब आती है जब जीडीपी में लगातार कम से कम दो तिमाहियों मंदी बनाम तेजी कारक में कमी आती है। दूसरी तरफ, डिप्रेशन आर्थिक गतिविधि में बेहद तेज गिरावट है जो केवल कुछ तिमाहियों तक नहीं बल्कि वर्षों तक बना रहता है।

आर्थिक मंदी में गिरता क्यों है शेयर बाजार? मंदी में कैसी होनी चाहिए निवेश की रणनीति

लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती.

लम्बी अवधि के निवेशक जानते हैं कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती.

एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या? लम . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 29, 2022, 16:51 IST

हाइलाइट्स

एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं?
प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.
शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.

नई दिल्ली. अगर शेयर बाजार ऊपर भाग रहा हो तो भी निवेशक डरे रहते हैं कि खरीदें या नहीं, क्योंकि मार्केट में किसी भी समय गिरावट आ सकती है. और अगर बाजार लगातार गिर रहा हो तो भी निवेशक डरते हैं, पता नहीं कहां तक गिरेगा? जब आर्थिक मंदी के हालात हों तो बाजार की गिरावट का कोई स्तर नहीं होता. मंदी की भी कोई निश्चित अवधि नहीं होती.

ये सिचुएशन आपके सामने भी मंदी बनाम तेजी कारक अक्सर आती होगी. आज हम इस जटिल विषय को समझने में आपकी मदद करेंगे. बड़ा सवाल यही है कि एक निवेशक तो मंदी से गुजर रही स्टॉक मार्केट में पैसा लगाना चाहिए या नहीं? गिरावट में पैसा लगाना सुरक्षित रहेगा क्या?

गिर रहे शेयर बाजार की स्थिति को समझने के लिए आपको बाजार में त्योहारों पर लगने वाली सेल को समझना होगा. गिरते बाजार में लगभग सभी शेयर सेल पर होते हैं, मतलब अपनी असली कीमत से कम पर मिल रहे होते हैं. लेकिन जिस प्रकार त्योहारों की सेल में हर चीज सस्ती मिलने की वजह से भी आप सबकुछ नहीं खरीदते हैं, वैसे ही शेयर बाजार में सेल के समय हर स्टॉक खरीदना उचित नहीं है.

मंदी में क्यों गिरते हैं शेयर?
इसे समझना काफी आसान है. मंदी के दौरान लोग अपने खर्च को कंट्रोल कर लेते हैं. वे ज्यादा खर्च करने की अपेक्षा ज्यादा बचत करने लगते हैं. इससे कंपनियों को अच्छा प्रॉफिट नहीं मिल पाता और उनके रेवेन्यू में ग्रोथ नहीं होती. जब उनका रेवेन्यू या प्रॉफिट गिरने लगता है तो कंपनी अपने कई सारे काम रोक देती है, जैसे कि अपनी क्षमताओं का विस्तार या सरप्लस कैपेसटी को रोकना. जब कंपनियों के काम-धंधे रुक जाते हैं और प्रॉफिट मार्जिन नहीं बढ़ता है तो शेयरों के भाव भी गिरने लगते हैं.

इसके अलावा, विदेशी निवेशक, जिन्होंने शेयर बाजार में अच्छा-खासा पैसा लगाया होता है, वे भी गिरते बाजार में ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते और मंदी बनाम तेजी कारक बाजार से पैसा निकाल लेते हैं. चूंकि विदेशी निवेशकों को अपने यहां ब्जाय दरें अच्छी मिलने लगती हैं तो वे पैसा ब्याज के लिए पार्क कर देते हैं या फिर निवेश के लिहाज से सेफ हेवन माने वाले वाले सोने और चांदी में लगाते हैं.

निवेश का मौका है आर्थिक मंदी!
लम्बी अवधि के निवेशकों के दिमाग में एक बात हमेशा रहती है कि आर्थिक मंदी हमेशा के लिए नहीं रह सकती. जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर निकलेगी, वैसे-वैसे ही शेयर बाजार में भी पॉजिटिविटी आएगी. इसलिए जब भी शेयर बाजार में किसी भी कारण गिरावट आती है तो शेयर खरीदने का अच्छा मौका होता है.

अब आप भी सोच रहे होंगे कि गिरावट में खरीदना तो ठीक, लेकिन गिरावट में भी कब खरीदा जाए. इस बात का क्या गारंटी है कि गिरावट वहीं तक होगी या बाजार और नहीं गिरेगा? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये तो कोई भी नहीं जान सकता कि बाजार कहां तक गिरेगा और कहां से उठेगा. लेकिन यदि आपका नजरिये लम्बी अवधि के लिए निवेश करने का है तो आप गिरावट में थोड़ा-थोड़ा माल उठाना शुरू कर सकते हैं. माल से अभिप्राय शेयर्स से है.

यहां एक बात और ध्यान में रखने लायक है कि निवेशकों के लिए मंदी के दौरान निवेश करने की सबसे अच्छी रणनीति यह होती है कि कम कर्ज वाली कंपनियों में निवेश करें, जिनका कैश फ्लो भी अच्छा हो और बैलेंस शीट मजबूत हो. इसके विपरीत, अत्यधिक लीवरेज, चक्रीय (साइकिलिक), या स्पेक्युलेटिव कंपनियों के शेयरों से बचा जाना चाहिए.

निवेश के लिए 2 तरह की रणनीतियां
इक्विटी म्यूचुअल फंड्स (Equity mutual funds): इस रणनीति में, सीधे शेयरों में निवेश करने की कोशिश करने के बजाय निवेशक म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं. जब शेयर बाजार एक मंदी के दौर से उबरता है, तो रिकवरी आमतौर पर व्यापक होती है. मतलब कई स्टॉक एक साथ ऊपर जाते हैं. डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड में निवेश करना इसलिए बेहतर होता है, क्योंकि निवेशक कुछ चुनिंदा शेयरों पर दांव लगाने के बजाय, इस तरह की व्यापक रिकवरी से लाभ उठा सकते हैं. इस रणनीति से मिलने वाला रिटर्न सबसे अच्छा होता है. यहां एक फैक्टर आपके फेवर में यह भी होता है कि म्यूचुअल फंड हाउस किसी खराब शेयर में पैसा नहीं लगाते.

सीधे स्टॉक्स में निवेश: यह रणनीति केवल उन निवेशकों के लिए अच्छी है, जिनके पास शेयर बाजार का पर्याप्त ज्ञान है. जिन्हें पता है कि शेयर बाजार कैसे संचालित होता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव का कारण क्या होता है. यह उन निवेशकों के लिए भी उपयुक्त है, जो अधिक जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं या वित्तीय संकट के बिना नुकसान को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं. ऐसे निवेशक इस बात से भी वाकिफ हैं कि एक बेयर बाजार में कुछ क्षेत्र दूसरों की तुलना में जल्दी रिकवर करने वाले होते हैं. उदाहरण के लिए, उपभोक्ता, फार्मा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों की कंपनियों की मांग हमेशा बनी रहती है और ये जल्दी रिकवर करती हैं. इसी तरह, जानकार निवेशक रियल एस्टेट जैसे चक्रीय क्षेत्रों से बचते हैं, जहां टर्नअराउंड अवधि लंबी हो सकती है.

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Stock Market Crash: क्या कोविड के चौथे वैरिएंट के चलते धराशायी हुआ शेयर बाजार, या कुछ और भी है कारण?

Share Market Update: सवाल उठता है कि ये गिरावट का सिलसिला कबतक जारी रहता है. नए साल की शुरुआत होने वाली है तो 2023 निवेशकों के लिए कैसा रहने वाला है. या फिर कोरोना और दूसरे कारणों का असर जारी रहेगा.

By: एबीपी लाइव डेस्क | Updated at : 24 Dec 2022 09:06 AM (IST)

Edited By: manishkumar

Stock Market Crash: उम्मीद ये की जा रही थी कि 2022 में दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट के बावजूद जिस प्रकार सेंसेक्स निफ्टी ने नई ऊंचाईयों को छूआ है, निवेशकों ने कठिन हालात के बावजूद जबरदस्त कमाई की है ऐसे में शेयर बाजार में शानदार तेजी के साथ 2022 को विदाई दी जाएगी. लेकिन ये उम्मीद धरी की धरी रह गई. बुधवार 22 दिसंबर को जैसे ही खबर आई कि भारत के स्वास्थ्य मंत्री चीन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर बैठक लेने वाले हैं शेयर बाजार ने यूटर्न ले लिया और बीते तीन दिनों से लगातार बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई.

चार दिनों में बड़ी गिरावट

शुक्रवार को गिरावट की आंधी में सेंसेक्स 1000 तो निफ्टी 300 अंकों से ज्यादा नीचे जा फिसला. बीते चार दिनों में सेंसेक्स में 2000 अंकों की गिरावट आई है तो निफ्टी 580 अंक नीचे फिसल चुका है. निवेशकों को बीते चार ट्रेडिंग सत्र में 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. पर सवाल उठता है कि क्या केवल कोविड की खबरों के चलते बाजार में ये गिरावट आई है या इस गिरावट की वजह कोविड से कुछ ज्यादा है?

दिमाग में है कोविड

सीएनआई रिसर्च के किशोर ओस्तवाल का कहना है कि कोविड हमारे दिमाग में है ना कि अमेरिका, चीन, जापान या कोरिया में जिससे हम डरे हुए हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में उतार चढ़ाव योजना का हिस्सा है. लेकिन निफ्टी की 19400 की यात्रा तय है. उन्होंने कहा कि जब भी बाजार में फील गुड फैक्टर काम करने लगता है तो डर का इंडेक्स फट पड़ता है.

आइए बाजार के गिरने के कारणों पर हम नजर डालते हैं.

अमेरिका-यूरोप में मंदी

अमेरिका यूरोप में मंदी की बात लगातार समाने आ रही है. अमेरिका में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए फेड रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता जा रहा है और ये जारी रहा तो आंशिक मंदी आ सकती है. ऐसा हुआ तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है. हमारे एक्सपोर्ट घटेंगे जिसका प्रमाण आईटी शेयरों में गिरावट से पता लगता है. इन चिंताओं के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में तेजी जारी थी. लेकिन अब भारतीय बाजार इन नेगेटिव खबरों पर रिएक्ट कर रहा है.

कोविड की चिंता

कोविड का नया वैरिएंट फिर से निवेशकों को परेशान करने लगा है. चीन में तो कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जापान, साउथ कोरिया भी इससे प्रभावित है. हवाई यात्रा चालू है तो भारत में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ रहा है. ऐसा हुआ तो ट्रैवल से लेकर अलग अलग सेक्टर्स पर कई प्रकार की बंदिशें लग सकती है जिसके चलते बाजार में गिरावट देखी जा रही है.

जापान में महंगाई

नवंबर में जापान में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. जिसके चलते वहां के बाजार में गिरावट है तो जापान के सेंट्रल बैंक से सख्त मॉनिटरी पॉ़लिसी के संकेतों के चलते भी बाजार मायूस है.

क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टी

हर वर्ष क्रिसमस और न्यू ईयर पर मंदी बनाम तेजी कारक निवेशक छुट्टी पर चले जाते हैं. ऐसे में बाजार में वॉल्यूम में जबरदस्त गिरावट आ जाती है. 2022 में जब बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है तो निवेशक अपने मुनाफे को घर लेकर जाना चाहते हैं. इसलिए वे मुनाफावसूली करने में जुटे हैं. इसलिए भी बाजार में गिरावट देखी जा रही है.

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Published at : 23 Dec 2022 07:58 PM (IST) Tags: indian stock market Japan Share Market Update Stock Market Crash Recession In US COVID-19 Pandemic China Covid-19 Concern हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

वैश्विक मंदी के जोखिम के बीच सबसे ताकतवर इकोनॉमी के रूप में उभरेगा भारत, जानिए क्या हैं कारण

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा है कि दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा.

वैश्विक मंदी के जोखिम के बीच सबसे ताकतवर इकोनॉमी के रूप में उभरेगा भारत, जानिए क्या हैं कारण (Reuters)

दुनिया के मंदी में जाने की आशंकाओं के बीच 2022-23 में भारत 7 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा. रविवार को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to The Prime Minister) के सदस्य संजीव सान्याल (Sanjeev Sanyal) ने ये बात कही है. संजीव सान्याल ने कहा कि 2000 की शुरुआत में बाहरी माहौल जिस तरह से पॉजिटिव था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि कर रही थी वैसे माहौल में भारत 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित ही ऐसा माहौल बनने जा रहा है जहां दुनियाभर के कई देशों को कम वृद्धि का सामना करना पड़ेगा बल्कि वे मंदी में भी जा सकते हैं. इसके कई कारण हैं जिनमें सख्त मौद्रिक नीति से लेकर ऊर्जा की ऊंची कीमतें और यूक्रेन युद्ध की वजह से उत्पन्न व्यवधान.’’

बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात को देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने घटा दिया था अनुमान

बताते चलें कि वर्ल्ड बैंक ने बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय हालात का हवाला देते हुए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को अभी हाल ही में घटा दिया था. ताजा अनुमानों के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो जून 2022 के अनुमान से एक प्रतिशत कम है.

सान्याल ने कहा, ‘‘ऐसे हालात में भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहेगा, वह चालू वित्त वर्ष में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर के साथ सबसे मजबूत रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सप्लाई साइड में जो सुधार किए हैं उनके कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू हुई है.

डॉलर को छोड़कर बाकी करेंसी की तुलना में मजबूत मंदी बनाम तेजी कारक हो रहा है रुपया

उन्होंने कहा कि अगर भारत को वैसा बाहरी माहौल मिल जाए जो 2002-03 से 2006-07 के बीच था, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी, वैश्विक मुद्रास्फीतिक दबाव कम थे, वैसी स्थिति में अर्थव्यवस्था 9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. सान्याल ने कहा, ‘‘लेकिन अभी ऐसी स्थिति नहीं है जिसे देखते हुए 7 प्रतिशत की वृद्धि को अच्छा प्रदर्शन कहा जाएगा.’’

रुपये के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने के बारे में सान्याल ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि हमें सिर्फ डॉलर रुपये की विनिमय दर के आधार पर इसे तरजीह देनी चाहिए.’’ सान्याल ने कहा कि बाकी करेंसी की तुलना में डॉलर तेजी से मजबूत हो रहा है. इन परिस्थितियों में डॉलर को छोड़कर अन्य करेंसी की तुलना में रुपया वास्तव में मजबूत हो रहा है.

Share Market Today: शेयर बाजार में गिरावट के बावजूद फार्मा शेयरों में आई तेजी, जानें- क्या है कारण?

Share Market Today: शेयर बाजार में गिरावट के बावजूद फार्मा शेयरों में तेजी दर्ज की गई है. फार्मा प्रमुख मोरपेन लैब्स का शेयर मूल्य 12.50 प्रतिशत तक बढ़ गया है, शिल्पा मेडिकेयर का शेयर 10 प्रतिशत के करीब बढ़ा है, आईओएल केमिकल्स और फार्मास्युटिकल्स के शेयर लगभग 6 प्रतिशत चढ़े हैं.

Published: December 23, 2022 2:47 PM IST

Share Market down on weak global cues and increasing covid-19 cases in China.

Stock Market Today: दलाल स्ट्रीट (Dalal Street) में आज सेंटीमेंट काफी कमजोर नजर आ रहे हैं. इसके बावजूद भी फार्मा प्रमुख मोरपेन लैब्स का शेयर मूल्य 12.50 प्रतिशत तक बढ़ गया है, शिल्पा मेडिकेयर का शेयर 10 प्रतिशत के करीब बढ़ा है, आईओएल केमिकल्स और फार्मास्युटिकल्स के शेयर लगभग 6 प्रतिशत चढ़े हैं जबकि सुवेन फार्मास्युटिकल स्टॉक मंदी बनाम तेजी कारक 3 प्रतिशत से अधिक हैं. फार्मा सेगमेंट के इन प्रमुख गेनर के अलावा, आरती ड्रग्स, कैप्लिन पॉइंट लैब, ग्रैन्यूल्स इंडिया और डिविज़ लैब के शेयरों में भी 1 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है.

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शेयर बाजार के जानकारों के मुताबिक, दुनिया में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के डर से फार्मा शेयरों में तेजी देखी जा रही है. उनका कहना है कि फार्मा शेयरों में मौजूदा तेजी फार्मा कंपनियों के लिए सट्टेबाजी, उच्च राजस्व और व्यापार पर आधारित है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि निकट भविष्य में कोविड के मामले बढ़ते रहते हैं. निफ्टी फार्मा का शेयर पिछले एक सप्ताह में करीब 2.5 फीसदी चढ़ा है और यह ऊपर की ओर मंदी बनाम तेजी कारक बढ़ना जारी रख सकता है. विशेषज्ञों ने का मानना है कि सन फार्मा, सिप्ला और ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल शेयर आशाजनक दिख रहे हैं.

आज शेयर बाजार में आज बीएसई सेंसेक्स करीब 850 अंकों की गिरावट के साथ 60,000 के स्तर से नीचे चला गया है. निफ्टी 50 इंडेक्स 275 अंक गिर गया है और वर्तमान में लगभग 17,850 के आसपास है, जबकि बैंक निफ्टी इंडेक्स 600 अंक से अधिक टूट गया है और 41,800 के स्तर को पार कर गया है.

सेंसेक्स की कंपनियो में टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एसबीआई, इन्फोसिस, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनेंस और पावर ग्रिड नुकसान में थे.

वहीं सन फार्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, नेस्ले और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयर लाभ में थे.

डॉलर के मुकाबले रुपया स्थिर

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया शुरुआती कारोबार में दो पैसे के नुकसान के साथ 82.81 प्रति डॉलर पर खुला. पिछले कारोबारी दिवस में रुपया 82.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

सुबह के कारोबार में 82.82 से 82.77 प्रति डॉलर के दायरे में घूमने के बाद रुपया 82.79 प्रति डॉलर पर कारोबार कर रहा था.

दुनिया की छह मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.10 प्रतिशत टूटकर 104.33 पर आ गया.

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