कम समय के फंड दिला सकते हैं अधिक मुनाफा
Short term funds: चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में और 50-75 आधार अंकों की वृद्धि किए जाने का अनुमान है। इस परिदृश्य में डेट फंड मैनेजर अल्पकालिक फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधार अंक बढ़ाये जाने के बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। रेपो रेट में लगातार बढ़ोत्तरी के इस दौर में अल्पकालिक योजनाओं में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में यील्ड कर्व समतल है, ऐसी स्थिति में लंबे समय के लिए निवेश करने में जोखिम हो सकता है।
निवेश करने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान परिदृश्य में निवेश करने क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? के बारे में कई विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ महेंद्र कुमार जाजू के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में अल्पावधि योजना में निवेश करना ही सही होगा। क्योंकि एसडीएफ के द्वारा लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी नीतियों के कारण इसमें अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय में एक वर्ष से कम समय के लिए किया गया निवेश यानी अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपको को ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड मूर्ति नागराजन ने जानकारी दी कि लगभग तीन साल के बाद यील्ड कर्व समतल रूख दिखा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों को समय के आधार पर निवेश करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशक एक महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में, 1 से 2 महीने के लिए मनी मार्केट फंड में या 2 से 4 क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? महीने, 4 से 6 महीने के लिए फ्लोटिंग रेट फंड में और 6 महीने के शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा जो निवेशक ही एक साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वे निवशक गिल्ट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गिल्ट फंड में एक साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जो सख्त नीति अपनाई है, उसके जारी रहने की उम्मीद की जा रही है, और अनुमान है कि आने वाले समय में वह और भी सख्त कदम उठा सकता है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि फेडरल दिसंबर तक एमपीसी को नियंत्रित करने के लिए और 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। एक्सिस म्यूचुअल फंड की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि मौजूदा यील्ड कर्व में शॉर्ट से मीडियम टर्म में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। तीन साल या उससे अधिक समय के लिए निवेश करने पर जोखिम की संभावना हो सकती है। बाजार की मौजूदा रणनीति प्रतिस्पर्धी और कम अस्थिरता वाली होने के कारण निवेशक छह महीने और दो साल की अवधि के लिए निवेश करना पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और नीतिगत दरों में तब तक बढ़ोतरी जारी रहेगी जब तक कि मुद्रास्फीति कम होती नहीं दिखाई देती। इसलिए अगर आप भी निवेश करना चाहते हैं तो अल्पावधि योजनाओं में ही निवेश करें।
Short term funds: चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में और 50-75 आधार अंकों की वृद्धि किए जाने का अनुमान है। इस परिदृश्य में डेट फंड मैनेजर अल्पकालिक फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधार अंक बढ़ाये जाने के बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। रेपो रेट में लगातार बढ़ोत्तरी के इस दौर में अल्पकालिक योजनाओं में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में यील्ड कर्व समतल है, ऐसी स्थिति में लंबे समय के लिए निवेश करने में जोखिम हो सकता है।
निवेश करने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान परिदृश्य में निवेश करने के बारे में कई विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ महेंद्र कुमार जाजू के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में अल्पावधि योजना में निवेश करना ही सही होगा। क्योंकि एसडीएफ के द्वारा लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी नीतियों के कारण इसमें अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय में एक वर्ष से कम समय के लिए किया गया निवेश यानी अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपको को ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड मूर्ति नागराजन ने जानकारी दी कि लगभग तीन साल के बाद यील्ड कर्व समतल रूख दिखा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों को समय के आधार पर निवेश करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशक एक महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में, 1 से 2 महीने के लिए मनी मार्केट फंड में या 2 से 4 महीने, 4 से 6 महीने के लिए फ्लोटिंग रेट फंड में और 6 महीने के शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा जो निवेशक ही एक साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वे निवशक गिल्ट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गिल्ट फंड में एक साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जो सख्त नीति अपनाई है, उसके जारी रहने की उम्मीद की जा रही है, और अनुमान है कि आने वाले समय में वह और भी सख्त कदम उठा सकता है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि फेडरल दिसंबर तक एमपीसी को नियंत्रित करने के लिए और 35 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है। एक्सिस म्यूचुअल फंड की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि मौजूदा यील्ड कर्व में शॉर्ट से मीडियम टर्म में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छा मौका है। तीन साल या उससे अधिक समय के लिए निवेश करने पर जोखिम की संभावना हो सकती है। बाजार की मौजूदा रणनीति प्रतिस्पर्धी और कम अस्थिरता वाली होने के कारण निवेशक छह महीने और दो साल की अवधि के लिए निवेश करना पसंद कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और नीतिगत दरों में तब तक बढ़ोतरी जारी रहेगी जब तक कि मुद्रास्फीति कम होती नहीं दिखाई देती। इसलिए अगर आप भी निवेश करना चाहते हैं तो अल्पावधि योजनाओं में ही निवेश करें।
Debt Mutual Fund क्या है और इसमें निवेश करने पर क्या होते हैं फायदे, जानिए यहां
Mutual Fund Update: बाजार में मौजूद निवेश के विकल्पों में से एक म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश करके पैसे को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. बता दें कि मौजूदा समय में निवेशकों के लिए मार्केट में कई तरह के म्यूचुअल फंड (MF) मौजूद हैं. उन्हीं में से एक हैं डेट फंड (Debt Mutual Fund). डेट फंड में निवेश करके आपका पैसा सुरक्षित तो रहता ही है साथ ही रिटर्न भी अच्छा खासा मिलता है. डेट फंड की क्या खासियत है और इसमें निवेश करके निवेशकों को क्या फायदा मिलता है. इन सभी बातों पर आज हम इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं.
डेट फंड- Debt Fund
Debt Fund की रकम को मुख्य रूप से बॉन्ड्स (Bonds) और कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (Corporate Fixed Deposit) में निवेश किया जाता है. किसी Debt Mutual Fund के साथ यह अनिवार्य शर्त है कि उसका कम से कम 65 फीसदी रकम बॉन्ड या बैंक डिपॉजिट में निवेश क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? किया जाए. डेट म्यूचुअल फंड के तहत Government Bonds, Company Bonds, Corporate Fixed Deposits और Bank Deposits में निवेश किया जाता है. इसके अलावा बचे हुए पैसे को Equity यानि शेयर्स में निवेश किया जाता है.
अन्य म्यूचुअल फंड के मुकाबले डेट फंड सुरक्षित
डेट फंड्स (Debt Funds) का पैसा फिक्स्ड रिटर्न (Fixed Return) देने वाले बॉन्ड में लगाया जाता है. इसलिए इनमें नुकसान का खतरा कम रहता है. हालांकि इस तरह के फंड में निवेश से आप ज्यादा से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद भी नहीं करें. एक्सपर्ट्स का कहना है कि Bank Fixed Deposits के मुकाबले debt funds में अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है.
3 साल बाद निकालने पर LTCG
डेट फंड को 3 साल बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दर बिना इंडेक्सेशन (Indexation) के 10 फीसदी होगी और Indexation के साथ 20 फीसदी. इंडेक्सेशन निवेश के मुनाफे पर टैक्स देनदारी को कम करने का जरिया है. इस तरीके में निवेश पर लगी रकम को महंगाई के अनुपात में बढ़ा लिया जाता है. निवेश की रकम ज्यादा दिखाने से मुनाफा कम आता है और फिर टैक्स की देनदारी भी कम हो जाती है.
3 साल पहले निकालने पर STCG
3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने पर हुई आमदनी पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ेगा. इस शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को आपकी कुल आमदनी में जोड़ा जाएगा और फिर Tax क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? Slab के हिसाब से Tax की गणना की जाएगी.
(Disclaimer: निवेशक निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूजनेशनटीवीडॉटकॉम की खबर को आधार मानकर निवेश करने क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? पर हुए लाभ-हानि का newsnationtv.com से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)
Mutual Fund: मीनिंग, प्रकार और अर्थव्यवस्था के विकास में भूमिका
Mutual Fund; स्टॉक, बॉन्ड और अन्य अल्पकालिक निवेश साधनों में निवेश किया गया कई लोगों का सामूहिक निवेश पूल होता है. यह फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जो निवेशकों से उनके निवेश का ध्यान रखने के लिए फीस वसूलता है. आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं.
विकासशील देशों में पूँजी का सृजन एक बड़ी समस्या रहती है.अगर कोई निवेशक कोई बड़ा निवेश करना या उद्योग लगाना चाहता है तो पूँजी की कमी एक प्रमुख समस्या होती है. इस समस्या को चिट फण्ड, म्यूच्यूअल फण्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट्स और बैंक जमा के माध्यम से पूरा किया जाता है.
म्युचुअल फंड का मतलब (Meaning of Mutual Fund)?
एक म्यूचुअल, फंड एक प्रकार का समूह निवेश होता है जिसमें कई लोगों (व्यक्ति,संस्था) द्वारा संयुक्त रूप से स्टॉक, बॉन्ड, अल्पकालिक निवेश या अन्य प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है.
यह फंड आमतौर पर एक फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, जो फंड के निवेश को निर्धारित करता है और लाभ और हानि खाते को मैनेज करता है. यह मैनेजर, निवेशकों से उनके निवेश का ध्यान रखने के लिए फीस वसूलता है. आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं.
ध्यान रहे कि म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है. म्यूचुअल फंड में न्यूनतम 500 रुपए से निवेश किया जा सकता है. भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. निवेशक, अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड के प्रकार (Types of Mutual Fund):-
म्यूचुअल फंड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? को जोखिम, रिटर्न, आकार और निवेश के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा गया है. हमने यहां सिर्फ चार श्रेणियां बताई हैं;
1. इक्विटी फंड (Equity funds)
2. फिक्स्ड-इनकम फंड (Fixed-Income Funds)
3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund)
4. समाधान उन्मुख म्युचुअल फंड (Solution Oriented Mutual Fund )
आइये अब इनके बारे में एक एक करके जानते हैं
1. इक्विटी फंड (Equity Fund):-यह स्कीम सीधे शेयरों में पैसा लगाती हैं. ये स्कीम शॉर्ट टर्म में रिस्की हो सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में यह आपको बेहतरीन रिटर्न कमाने में मदद करती है. कंपनियों के आकार के आधार पर उन्हें स्माल कैप, मिड कैप और लार्ज-कैप में विभाजित किया जाता है. इस प्रकार के म्यूचुअल फंड उन लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं जो ज्यादा जोखिम लेना पसंद करते हैं.
2. फिक्स्ड-इनकम फंड्स (Fixed-Income Funds):- इस प्रकार के म्यूचुअल फंड्स, मालिकों को निश्चित रिटर्न देते हैं. कुछ फ़िक्स्ड रिटर्न फंड्स हैं; कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, सरकारी बॉन्ड्स या अन्य डेट इंस्ट्रूमेंट्स (debt instruments).म्यूच्यूअल फण्ड मैनेजर, मूल रूप से अपने निवेशकों को ब्याज आय देता है. इस प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश उन निवेशकों द्वारा किया जाता है जो जोखिम नहीं लेना चाहते हैं.
3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund):- हाइब्रिड म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) एक से अधिक प्रकार की निवेश सुरक्षा, जैसे स्टॉक और बॉन्ड में निवेश करते हैं. ये म्यूचुअल फंड; स्कीम इक्विटी और डेट (debt) दोनों में निवेश करते हैं. इन योजनाओं को चुनते समय, निवेशकों को अपने जोखिम लेने की क्षमता का ध्यान रखना आवश्यक होता है.
4. सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड (Solution Oriented Mutual Fund):- सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम एक विशिष्ट लक्ष्य या समाधान के अनुसार बनाई जाती हैं. इनमें सेवानिवृत्ति योजनाएं या बच्चों की शिक्षा और लड़की की शादी जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. आपको इन योजनाओं में कम से कम पांच वर्षों के लिए निवेश करना आवश्यक है.
म्युचुअल फंड की सुविधाएँ और लाभ (Features & Benefits of Mutual Funds)
1. जोखिम का विविधीकरण:- इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज में फंड का विविधीकरण
2. तरलता:- निवेशक अपनी आवश्यकता के अनुसार आंशिक या पूर्ण निकासी कर सकता है
3. ट्रान्सपैरेंसी:- इनवेस्टर्स को पता होता है कि पैसा कहां लगाया जा रहा है
4. कम लागत:- म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय कोई एंट्री शुल्क नहीं
5. व्यावसायिक प्रबंधन: - उद्योग विशेषज्ञ म्युचुअल फंड की निधियों का प्रबंधन करते हैं जिससे पैसा ज्यादा अच्छी जगह निवेश होता है.
6. प्रभावी दक्षता:- निवेशकों को इक्विटी और डेट फंड में कर छूट का लाभ मिलता है
7. लोचशीलता:- एक फंड से दूसरे फंड में निवेश फंड स्विच करने की स्वतंत्रता
आर्थिक विकास में म्युचुअल फंड की भूमिका (Role of Mutual Funds in the Economic Development)
जैसा कि म्यूचुअल फंड की परिभाषा कहती है कि विभिन्न निवेशकों और संस्थानों द्वारा सामूहिक निवेश का एक पूल अर्थात ऐसी जगह जहाँ पर कई लोगों का पैसा एक जगह इकठ्ठा होता है.
1. यह अर्थव्यवस्था में निवेश के उद्देश्य के लिए धन की व्यवस्था करने में मदद करता है.
2. यह निवेश के माध्यम से जनता की छोटी बचत को जुटाता है जिससे लोगों में बचत और निवेश करने की भावना का विकास होता है
3. हम जानते हैं कि भारत जैसे विकासशील देशों में पूंजी संचय का अभाव है.लेकिन म्यूच्यूअल फण्ड की मदद से देश में पूंजी संचय होता है और बड़े उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में पैसा मिलता है. इसलिए म्यूचुअल फंड पूंजी संचय में मदद करते हैं जो भारत जैसे विकासशील देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
4. यह घर में पैसे की बेकार होर्डिंग को हतोत्साहित करता है.पुराने समय में लोग पैसों को जमीन में गाड़कर रखते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होता है.
5. यह देश में निवेश का वातावरण बनाने में मदद करता है.
6. यह रोजगार सृजन में सहायक है
इसलिए निष्कर्ष में, यह कहना बुद्धिमानी है कि म्यूचुअल फंड देश में कई बड़ी निवेश परियोजनाओं को शुरू करने के लिए धन इकठ्ठा करने में मदद करता है.
भारत Bond ETF का दूसरा हिस्सा 14 जुलाई को,आपके सारे सवालों के जवाब
भारत बॉन्ड ETF 2025 और 2031 बाजार में 14 क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? जुलाई को आना वाला है. इसके बाद निवेशक इसमें निवेश कर सकेंगे. इसमें निवेश से जुड़े सारे सवालों जैसे ये फंड क्या है, मैच्योरिटी पीरियड क्या है, मिनिमम कितना इन्वेस्ट किया जा सकता है, फंड मैनेजर कौन है के जवाब देने की कोशिश की है.
भारत बॉन्ड ETF का दूसरा हिस्सा 14 जुलाई को खुलने वाला है. ये भारत क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? का पहला कॉरपोरेट बॉन्ड है जिसे डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने बनाया है. इसे डिजाइन और मैनेज एडेलवाइज AMC ने किया है.
इसका पहला हिस्सा दिसंबर 2019 में आया था ठीक उसी तरह इस बार भी ये ETF दो वेरियंट में मिलेगा. Bharat Bond ETF April 2031 10 साल में मैच्योर होगा और Bharat Bond ETF April 2025 5 साल बाद मैच्योर होगा. जो लोग शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं वो 5 साल वाला प्रोडक्ट खरीद सकते हैं वहीं लॉन्ग टर्म में निवेश करने वाले 10 साल वाला प्रोडक्ट खरीद सकते हैं.
भारत ETF बॉन्ड के दूसरे हिस्से में 3,000 से 14,000 करोड़ तक की रकम जुटाई जाएगी. जुटाई गई रकम से अच्छी क्वालिटी की सरकारी कंपनियों के बॉन्ड खरीदे जाएंगे. इसके जरिए इकट्ठा हुई रकम को सिर्फ AAA रेडेट कंपनियों जैसे पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, NHAI वगैरह में ही निवेश किया जाएगा.
इस ETF का 25% हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए सुरक्षित रखा गया है. वहीं क्वालिफाइड इन्वेस्टमेंट बायर्स (QIB) या फिर नॉन इंस्टीट्यूश्नल इन्वेस्टर का हिस्सा 75% होगा.
5 साल और 10 साल दोनों ETF की यूनिटों को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराया जाएगा और फिर उनकी ट्रेडिंग की जा सकेगी. पहले हिस्से वाले ETF की यूनिट भी NSE पर ट्रेडिंग की जा सकेगी.
अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है. तो आप भारत बॉन्ड के फंड ऑफ फंंड में निवेश कर सकते हैं. भारत बॉन्ड फंड ऑफ फंड (FOF) की दो सीरीज है इन में भी 5 और 10 साल के लिए निवेश किया जा सकता है.
ETF की खासियत ये है कि इसमें लॉकइन पीरियड नहीं होता. निवेशक यूनिट को जब मर्जी तब खरीद सकते हैं जब चाहें तब बेच सकते हैं.
NFO पीरियड के दौरान रिटेल निवेशक कम से कम 1000 रुपये निवेश कर सकते हैं. फिर इसके गुने में 2 लाख रुपये तक अधिकतम निवेश कर सकते हैं. वहीं QIB, NII मिनिमम 2 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं.
धवल दलाल इसके फंड मैनेजर होंगे और को-मैनेजर गौतम कौल होंगे.
इसके पहले दिसंबर में जो भारत बॉन्ड ETF जारी हुए थे उन्होंने लॉन्च से लेकर अब तक 7.49% और 9.15% रिटर्न दिया है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)
क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं?
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