Image Credit: freepik

Technical Analysis

Technical Analysis और स्टॉक मार्केट

SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,

क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से भरा हुआ है,

शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,

और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –

  • शेयर्स कब ख़रीदे,
  • शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
  • शेयर्स कितना ख़रीदे
  • शेयर्स कब बेचे
  • शेयर्स किस भाव में बेचे
  • शेयर्स कितना बेचे
  • और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,

इन सभी बातो का पता लगाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस को सिखने और समझने की जरुरत होती है,

शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण

वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी है,

बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने भाव में बेचे,

सारा जोखिम इसी बात का है,

क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.

शेयर बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –

हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,

इन्ही दोनों से जुडी कुछ मुख्य बाते है, जैसे –

शेयर खरीदना – शेयर कब ख़रीदे? कितने मूल्य में ख़रीदे? शेयर कितना ख़रीदे ?

शेयर बेचना – शेयर कब बेचे ? शेयर कितने मूल्य में बेचे ? शेयर कितना बेचे ?

साथ ही साथ LOSS कि दशा में, पूंजी कि सुरक्षा कैसे करे?

इन सब के बारे में जानकारी रखने और उसे अमल में लाने से शेयर बाजार में मौजूद जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है,और अपने पूंजी कि रक्षा के साथ साथ सही तरह से लाभ कमाने कि अपेक्षा की जा सकती है,

जैसा कि हम पहले ही स्पस्ट कर चुके है कि, कोई भी इन्सान हमेशा ठीक ठीक नहीं बता सकता कि , कोई शेयर कब ख़रीदना चाहिए, कितने में खरीदना, कितने में बेचना, और कब और कितना तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? बेचना चाहिए,

लेकिन इसके कुछ उपाय है, जिसके द्वारा हम , शेयर्स के बारे में इस बात को कि , हम कब, किस मूल्य पर, और कितना शेयर बेचना चाहिए, इस बारे में अपना एक बेहतर POINT OF VIEW को हम अमल में लाकर, शेयर बाजार के जोखिमों को नियंत्रित कर, LOSS को कम करके लाभ को बढाया जा सकता है,

और तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? इन उपायों के नाम है – FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS

आइये, अब बात करते है –

TECHNICAL ANALYSIS के बारे में

जब हम किसी कंपनी का शेयर सिर्फ इस आधार पर देखते है, कि उसके भाव कब कब बढ़ जाते है और कब कब कम हो जाते है, और इस बात पर जोर नहीं दिया जाता कि कंपनी और उसके लाभ कमाने कि क्षमता कितनी STRONG है, यानी जब सिर्फ शेयर के PAST PERFORMANCE को ध्यान में रखा जाता है तो इस तरह कि BUYING या SELLING को हम TECHNICAL ANALYSIS के आधार पर खरीदना और बेचना कहते है,

और इस तरह हम कह सकते है कि, FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS आधार पर ही आप अच्छे तरीके से किसी शेयर के FUTURE PERFORMANCE का एक अनुमान बता सकते है,

इस सन्दर्भ में TECHNICAL ANALYSIS, शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और कब बेचना, कितना बेचना, कितने भाव में बेचना, स्टॉप लोस लगाना आदि के बारे में हमें बताता है,

और इसी लिए बड़े से बड़े INVESTOR भी FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से मार्केट में हो रहे बदलाव और शेयर्स के सौदों के बारे में बताते है कि हमें कब खरीदना और बेचना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा हम लाभ कमा सके,

Technical Analysis

Technical Analysis और स्टॉक मार्केट

SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,

क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से भरा हुआ है,

शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,

और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –

  • शेयर्स कब ख़रीदे,
  • शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
  • शेयर्स कितना ख़रीदे
  • शेयर्स कब बेचे
  • शेयर्स किस भाव में बेचे
  • शेयर्स कितना बेचे
  • और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,

इन सभी बातो का पता लगाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस को सिखने और समझने की जरुरत होती है,

शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण

वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? है,

बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? भाव में बेचे,

सारा जोखिम इसी बात का है,

क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.

शेयर बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –

हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,

इन्ही दोनों से जुडी कुछ मुख्य बाते है, जैसे –

शेयर खरीदना – शेयर कब ख़रीदे? कितने मूल्य में ख़रीदे? शेयर कितना ख़रीदे ?

शेयर बेचना – शेयर कब बेचे ? शेयर कितने मूल्य में बेचे ? शेयर कितना बेचे ?

साथ ही साथ LOSS कि दशा में, पूंजी कि सुरक्षा कैसे करे?

इन सब के बारे में जानकारी रखने और उसे अमल में लाने से शेयर बाजार में मौजूद जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है,तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? और अपने पूंजी कि रक्षा के साथ साथ सही तरह से लाभ कमाने कि अपेक्षा की जा सकती है,

जैसा कि हम पहले ही स्पस्ट कर चुके है कि, कोई भी इन्सान हमेशा ठीक ठीक नहीं बता सकता कि , कोई शेयर कब ख़रीदना चाहिए, कितने में खरीदना, कितने में बेचना, और कब और कितना बेचना चाहिए,

लेकिन इसके कुछ उपाय है, जिसके द्वारा हम , शेयर्स के बारे में इस बात को कि , हम कब, किस मूल्य पर, और कितना शेयर बेचना चाहिए, इस बारे में अपना एक बेहतर POINT OF VIEW को हम अमल में लाकर, शेयर बाजार के जोखिमों को नियंत्रित कर, LOSS को कम करके लाभ को बढाया जा सकता है,

और इन उपायों के नाम है – FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS

आइये, अब बात करते है –

TECHNICAL ANALYSIS के बारे में

जब हम किसी कंपनी का शेयर सिर्फ इस आधार पर देखते है, कि उसके भाव कब कब बढ़ जाते है और कब कब कम हो जाते है, और इस बात पर जोर नहीं दिया जाता कि कंपनी और उसके लाभ कमाने कि क्षमता कितनी STRONG है, यानी जब सिर्फ शेयर के PAST PERFORMANCE को ध्यान में रखा जाता है तो इस तरह कि BUYING या SELLING को हम TECHNICAL ANALYSIS के आधार पर खरीदना और बेचना कहते है,

और इस तरह हम कह सकते है कि, FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS आधार पर ही आप अच्छे तरीके से किसी शेयर के FUTURE PERFORMANCE का एक अनुमान बता सकते है,

इस सन्दर्भ में TECHNICAL ANALYSIS, शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और कब बेचना, कितना बेचना, कितने भाव में बेचना, स्टॉप लोस लगाना आदि के बारे में हमें बताता है,

और इसी लिए बड़े से बड़े INVESTOR भी FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से मार्केट में हो रहे बदलाव और शेयर्स के सौदों के बारे में बताते है कि हमें कब खरीदना और बेचना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा हम लाभ कमा सके,

Result Ki Pathshala: कंपनियों के नतीजों को कैसे समझें? अनिल सिंघवी से समझें कंपनियों के नतीजों की पूरी विश्लेषण

रिजल्ट कब-कब आते हैं? रिजल्ट कहां देख सकते हैं? नतीजों से क्या जानकारी मिलती है? कंपनियों के नतीजों को कैसे समझें? बैंक और एसेट क्वालिटी क्यों हैं खास? 'EBITDA' और 'EBIT' में क्या अंतर है? क्या है 'Other Income' और 'Exceptional Income'? किस इंडस्ट्री के लिए कौनसे आंकड़े अहम? देखिए 'रिजल्ट की पाठशाला' अनिल सिंघवी के साथ.

Career Tips: शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले समझ लें ये बातें और फायदे

Stock Market: आज हम आपको बताएंगे कि शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले ट्रेनिंग क्‍यों जरूरी है और इससे आपको क्‍या फायदा होगा।

businessman-checking-stock-market-online

Image Credit: freepik

हाइलाइट्स

  • ट्रेनिंग सेंटर ढूंढते समय इन बातों का रखें ध्‍यान
  • जानें कौन-से हैं स्टॉक मार्केट के बेस्ट कोर्स
  • तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे?
  • जानें शेयर बाजार ट्रेनिंग के फायदे
  1. संस्थानों और दी जाने वाली सेवाओं के बारे में अच्छी तरह से अध्ययन करें।
  2. सेवाओं और संस्थानों की संक्षिप्त तुलना करें।
  3. जांचें कि क्या आपकी आवश्यकताओं के अनुसार कोर्स मौजूद है।
  4. उसी संस्थान में एक उन्नत कार्यशाला की तलाश करें।
  1. ट्रेडिंग में तकनीकी विश्लेषण
  2. मूल्य चार्ट का रुझान विश्लेषण और पैटर्न विश्लेषण।
  3. सकारात्मक और नकारात्मक अंतर
  4. शॉर्ट टर्म, मिडटर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट तकनीक।
  5. धन प्रबंधन और रिस्‍क मिटिगेशन टेक्‍निक।
  • स्टॉक और ट्रेड मार्केट की दुनिया में सही सफलता पाने के लिए पूर्ण और गहरी समझ, ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
  • इसमें लाभ और हानि दोनों होते हैं और नुकसान की संभावना अधिक होती है, यदि आप अच्छी तरह से प्रशिक्षित (trained) नहीं हैं या दिए गए आंकड़ों के आधार पर बाजार की अच्छी तरह से भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं।
  • बहुत सारे लोग एक बड़ी गलती यह करते हैं कि पैसा कमाने के लालच में कम ज्ञान और समझ के साथ शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। इसके परिणामस्वरूप कम लाभ के साथ-साथ उन्‍हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
  • शेयर बाजार में उतरने से पहले यदि ट्रेनिंग किसी अच्छे संस्थान से लिया गया है, तो आपको ट्रेडिंग स्टॉक, इसकी प्रवृत्ति और पैटर्न और अपेक्षित मूल्य का पूरा तकनीकी एनालिसिस नॉलेज होगा।
  • ट्रेडिंग से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको एक अच्छे स्टॉक मार्केट प्रशिक्षण में शामिल होने की आवश्यकता है। गंभीर और गतिशील प्रत्येक व्यक्ति के लिए बिना किसी जोखिम के शेयर बाजार से अच्छा रिटर्न अर्जित करना आवश्यक और फायदेमंद है।
  1. ट्रेनिंग शेयर बाजार में ज्यादा मुनाफा कमाने की पूरी तकनीक को समझने में मदद करता है।
  2. स्टॉक मूल्य मूमेंट की पहचान करने के लिए रुझानों और पैटर्न का गहन तकनीकी ज्ञान देता है।
  3. शॉर्ट टर्म, मिड-टर्म ट्रेडिंग और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में पूरी जानकारी के साथ एक अच्छा ट्रेडर बनने में मदद करता है।
  4. शेयर बाजार में जोखिम कम करने और अधिक लाभ हासिल करने के लिए ट्रेडिंग रणनीति बनाने में मदद करता है।
  5. बिना किसी नुकसान के प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए आपको मजबूत बनाता है।
  6. आपको ट्रेडिंग के लिए बाजार के हिसाब से लचीला बनाता है।
  7. शेयर और शेयर बाजार के हर क्षेत्र में विश्वास पैदा करने में मदद करता है।
  8. निवेश के सभी क्षेत्रों में नॉलेज बढ़ाता है।
  9. धन प्रबंधन और जोखिम प्रबंधन तकनीकों को समझना
  10. आपको सही समय और ट्रेंड में ग्रोथ स्टॉक्स में अधिक निवेश करने में सक्षम बनाता है। यह आपको बाजार से लगातार समानांतर आय स्रोत अर्जित करने में सक्षम बनाता है।

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म. पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

Analysis: क्या गुजरात के लिए भाजपा ने कुर्बान कर दी दिल्ली? समझें भगवा पार्टी की बंपर जीत के मायने

गुजरात विधानसभा चुनाव के रुझान सामने आ चुके हैं और अब इनका सीधा कनेक्शन दिल्ली नगर निगम के नतीजों से जुड़ रहा है। क्या हैं इसके मायने? क्या भाजपा-आप ने मिलकर कांग्रेस को तगड़ी चोट दी या कुछ और? समझें यहां.

खास रिपोर्ट में पढ़ें गुजरात और एमसीडी चुनाव का कनेक्शन

गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों के शुरुआती रुझान सामने आ चुके हैं। इसके हिसाब से भाजपा 150 सीटों पर बढ़त बना रखी है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमटती हुई नजर आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी की झोली में नौ सीटें दिख रही हैं तो निर्दलियों ने चार सीटों पर बढ़त बना रखी है। गुजरात में भाजपा की इस बंपर बढ़त ने कई अटकलों को हवा दे दी है। इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कुर्बान कर दी? ऐसा कैसे हुआ, जानते और समझते हैं इस खास एनालिसिस में.

गुजरात में क्या है ताजा हाल?

एग्जिट पोल्स में गुजरात को लेकर जिस तरह का अनुमान जताया गया था, शुरुआती रुझान उससे एक कदम आगे नजर आए। गुजरात के अधिकतर एग्जिट पोल्स में भाजपा को 110 से 151 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। शुरुआती रुझान में भाजपा 150 सीटें हासिल करती नजर आ रही है। अगर भाजपा इन रुझान को नतीजों में बदलने में कामयाब होती है तो वह 2002 का अपना ही रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगी। उस दौरान विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 127 सीटें जीती थीं। हालांकि, एग्जिट पोल कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। शुरुआती रुझान में कांग्रेस 19 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है, जबकि एग्जिट पोल में कांग्रेस को 16 से 60 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। उधर, आप आदमी पार्टी का प्रदर्शन एग्जिट पोल्स के आसपास ही है। आप को एक से 21 सीटें मिलने का अनुमान तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे? था और पार्टी ने नौ सीटों पर बढ़त बना रखी है।

दिल्ली में ऐसे रहे नतीजे?

अब हम दिल्ली नगर निगम के नतीजों पर गौर कर लेते हैं। दिल्ली के 250 वार्ड में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा 104 सीटों पर ही सिमट गई। वहीं, कांग्रेस सिर्फ नौ सीटें ही अपनी झोली में डाल सकी तो तीन सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में रहीं। इसका नतीजा यह रहा कि आम आदमी पार्टी अपने दूसरे ही चुनाव में एमसीडी की सत्ता पर काबिज हो गई, जबकि 15 साल बाद नगर निगम से भाजपा की विदाई हो गई। उधर, कांग्रेस की स्थिति 2017 के चुनाव के मुकाबले और ज्यादा दयनीय हो गई।

भाजपा ने कैसे कुर्बान की दिल्ली?

अब सवाल उठता है कि भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कैसे कुर्बान कर दी? दरअसल, सीधे तौर पर भले ही कुछ नजर न आता हो, लेकिन राजनीतिक नजरिए से देखें तो कहानी खुद-ब-खुद हकीकत बयां करती नजर आती है। दरअसल, एमसीडी चुनाव के दौरान भाजपा पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी ही नहीं। आलम यह रहा कि एमसीडी में कमल खिलाने के लिए पीएम मोदी ने एक भी रैली नहीं की। वहीं, अमित शाह अपनी ही रैली में आखिरी वक्त पर नहीं पहुंचे थे। दिल्ली का जिम्मा सिर्फ राजनाथ सिंह, गौतम गंभीर समेत अन्य नेताओं पर छोड़ दिया गया। उधर, गुजरात में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 से ज्यादा रैलियां कीं और राज्य की 134 विधानसभा सीटों को कवर किया। हालांकि, सबसे खास अहमदाबाद का 50 किलोमीटर लंबा रोड शो रहा। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने 23 रैलियों के माध्यम से 108 सीटों को घेरते दिखे। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के मुख्य चेहरा रहे अरविंद केजरीवाल शुरुआती दौर में गुजरात में ताल ठोंकते दिखाई दिए, लेकिन दूसरे चरण के मतदान से पहले उनके हाव-भाव ऐसे रहे, जैसे उन्होंने गुजरात के सियासी मैदान में हथियार डाल दिए। उन्होंने पूरा फोकस दिल्ली की तरफ कर लिया। वहीं, केजरीवाल का रुख देखने के बाद भी भाजपा ने दिल्ली पर ध्यान नहीं दिया और गुजरात पर पूरा जोर लगाए रखा।

आप से गुजरात में किसे हुआ नुकसान?

अब सवाल उठता है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी के सिर्फ ताल ठोंकने से किसे फायदा और किसे नुकसान पहुंचा? अगर सीधे तौर पर देखा जाए तो यहां सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल, गुजरात चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी को 13.2 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ, जबकि भाजपा की झोली में 53.5 फीसदी वोट शेयर आ गया। यहां कांग्रेस का वोट शेयर 26.7 फीसदी ही रह गया, जो 2017 के चुनाव में 41.4 फीसदी था।

चोट सिर्फ कांग्रेस को लगी?

बात गुजरात विधानसभा चुनाव की हो या दिल्ली एमसीडी की, तगड़ी चोट सिर्फ कांग्रेस को लगी है। दोनों जगह के नतीजों से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी के सामने अब कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है। एमसीडी के साथ-साथ गुजरात में भी कांग्रेस की न सिर्फ सीटें घटीं, बल्कि उसके वोट शेयर में भी काफी गिरावट आ गई। इसकी सीधी वजह कांग्रेस के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं होना है, जो दोनों ही चुनावों में पार्टी के लिए दम दिखा पाता।

विस्तार

गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों के शुरुआती रुझान सामने आ चुके हैं। इसके हिसाब से भाजपा 150 सीटों पर बढ़त बना रखी है, जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर ही सिमटती हुई नजर आ रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी की झोली में नौ सीटें दिख रही हैं तो निर्दलियों ने चार सीटों पर बढ़त बना रखी है। गुजरात में भाजपा की इस बंपर बढ़त ने कई अटकलों को हवा दे दी है। इनमें से सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या भाजपा ने गुजरात के लिए दिल्ली कुर्बान कर दी? ऐसा कैसे हुआ, जानते और समझते हैं इस खास एनालिसिस में.

रेटिंग: 4.67
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 618