डॉलर के मुकाबले रुपया 61.41 पर टिका रहा
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक से पहले रुपया बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 61.41 रुपये प्रति डॉलर के पिछले दिन के स्तर पर ही बंद हुआ. अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 61.50 रुपये प्रति डॉलर पर कमजोर खुला तथा विदेशों में डॉलर की मजबूती के बीच आरंभिक कारोबार में डॉलर मांग से यह 61.52 रुपये प्रति डॉलर तक लुढ़क गया. हालांकि, रुपया आरंभिक हानि से उबर गया तथा बैंकों और निर्यातकों की भारी डॉलर बिकवाली से 61.29 रुपये प्रति डॉलर तक मजबूत हो गया. इस घटबढ़ के बाद अंत में यह मंगलवार के 61.41 रुपये प्रति डॉलर पर ही बंद हुआ. कारोबार के दौरान इसमें 61.29 से 61.52 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली घट बढ़ हुई.

Stock Market : निवेशकों की मुनाफावसूली ने कराया बाजार का नुकसान, बढ़त पर खुलकर लाल निशान में पहुंचे सेंसेक्‍स-निफ्टी

सोमवार को सेंसेक्‍स 1,300 अंकों से ज्‍यादा चढ़कर बंद हुआ था.

सोमवार को सेंसेक्‍स 1,300 अंकों से ज्‍यादा चढ़कर बंद हुआ था.

भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को अपनी तेजी बरकरार नहीं रख सका और बढ़त पर खुलने के बावजूद निवेशकों की मुनाफावसूली से टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली वापस ला . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : April 05, 2022, 09:58 IST

नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) ने मंगलवार को कारोबार की शुरुआत तो बढ़त के साथ की लेकिन निवेशक जल्‍द ही मुनाफावसूली पर उतर आए और दोनों ही एक्‍सचेंज लाल निशान पर आ गए.

सेंसेक्‍स ने सुबह 174 अंकों की ठीकठाक बढ़त के साथ 60,786 पर खुलकर ट्रेडिंग की शुरुआत की. इसी तरह, निफ्टी ने भी 28 अंकों की बढ़त बनाते हुए 18,081 टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली पर कारोबार शुरू किया. हालांकि, निवेशक जल्‍द ही बिकवाली पर उतर आए जिससे दोनों ही एक्‍सचेंज पर गिरावट दिखने लगी. सुबह 9.26 बजे सेंसेक्‍स 102 अंकों के नुकसान के साथ 60,510 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 20 अंक लुढ़ककर 18,047 पर आ गया.

Intraday Tips: बाजार में पैसे लगाकर कुछ घंटों में बन सकते हैं अमीर, 5 जरूरी टिप्स

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Intraday Trading:टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली शॉर्ट टर्म के निवेशकों में इंट्राडे ट्रेडिंग का भी चलन है, जहां वे एक ही दिन में शेयर की खरीद और बिक्री से मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं. बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. यहां शेयर में पैसा इस उद्दश्य से लगाया जाता है कि उसी दिन उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाया जा सके. वैसे अगर सही ​स्टॉक की पहचान हो जाए तो बाजार से कुछ घंटों में ही बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि इंट्राडे ट्रेडिंग में रिस्क होता है. इसलिए इंट्राडे ट्रेडर्स को कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, जिससे वे नुकसान से बच सकें और कम समय में अच्छी कमाई कर सकें. इंट्रा डे टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हैं. हमने यहां अलग अलग ब्रोकरेज हाउस के हवाले से ऐसी कुछ टिप्स दी हैं. (image: pixabay)

रिकॉर्ड स्तर छूने के बाद टूटा सेंसेक्स, सोने में तेजी

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  • मुंबई,
  • 28 जनवरी 2015,
  • (अपडेटेड 28 जनवरी 2015, 8:15 PM IST)

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स बुधवार को अपने अब तक के उच्चतम स्तर 29,786.32 अंक को छू गया, लेकिन 11.86 अंक की गिरावट दिखाता हुआ 29,559.18 अंक पर बंद हुआ. सेंसेक्स में नौ सत्रों में यह पहली गिरावट है. कारोबारियों का कहना है कि पूंजीगत सामान, धातु, ऑटो और बैंकिंग शेयरों में मुनाफा बिकवाली के चलते सेंसेक्स में यह गिरावट आई.

कारोबारियों के मुताबिक, मासिक वायदा विकल्प अनुबंधों की अवधि गुरुवार को समाप्त होने वाली है. इस कारण भी निवेशकों में बेचैनी रही. उन्होंने कहा कि बीते आठ कारोबारी सत्रों में 2,200 अंक से अधिक की भारी तेजी के बाद निवेशकों ने कुछ धन निकाल लिया, वहीं एनएसई का निफ्टी 8874.05 और 8985.05 के बीच रहने के बाद 3.80 अंक की वृद्धि दिखाता हुआ नई रिकॉर्ड ऊंचाई 8,914.30 अंक पर बंद हुआ. बीते आठ सत्रों में इसमें 636.75 अंक या 7.69 अंक की तेजी आई है.

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दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं भारतीय बैंक

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल शुक्रवार को 30बैरल प्रति डालर के नीचे आ गया। जानकारों की माने तो 20डालर प्रति बैरल कच्चे तेल के दाम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसी बीच ईरान ने अपना तेल निर्यात किसी भी कीमत पर करने की घोषणा से सारी दुनिया में अफरा-तफरी मचा दी है।

पेट्रोलियम टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली पदार्थों के कारण विकास की गति तेज हुई थी। टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली पछले 5 दशकों में तेल की कमाई से यूरोप तथा ओपेक संघ के देशों की आर्थिक स्थिति बदली थी। पिछले दो वर्षों में कच्चा तेल 120 डालर प्रति बैरल से गिरकर 30 डालर के नीचे आने से सारी दुनिया की अर्थ व्यवस्था गड़बड़ा गई है। पिछले 15वर्षोंं में जबरदस्त औद्योगिक बढ़त तथा विकास दर टारगेट पूरा होने पर मुनाफावसूली बढ़ती देखकर दुनिया के तमाम देशों की सरकार और उनके नागरिकों ने अपने खर्चे कई गुना बढ़ा दिए थे।

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