यदि वित्त वर्ष 2021 में आय बढ़ी तो यह आश्चर्य होगा
बीएस बातचीत
मेबैंक किम इंग सिक्योरिटीज के मुख्य कार्याधिकारी जिगर शाह ने पुनीत वाधवा के साथ कोविड-19 की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के प्रभाव को लेकर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उद्योग को 14 अप्रैल के बाद हालात धीरे धीरे सामान्य होने की उम्मीद है। धीरे धीरे जब आपूर्ति शृंखला पटरी पर आएगी और मांग बढ़ेगी, क्षमता इस्तेमाल भी फिर से सामान्य हो सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या मजबूत होने से पहले बाजार में और गिरावट आ सकती है?
यह एक अलग तरह की गिरावट है जिससे रियल और फाइनैंशियल अर्थव्यवस्था, दोनों पर प्रभाव पड़ा है। इस अप्रत्याशित गिरावट से पहले मूल्यांकन अमेरिका और कई अन्य बाजारों में सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर थे। प्रमुख सूचकांकों में इस साल अब तक (वाईटीडी) गिरावट 2008 के मुकाबले कम है, लेकिन इस गिरावट की गति काफी तेज है। बाजार पूंजीकरण का नुकसान काफी ज्यादा है। अब और अधिक गिरावट इस पर निर्भर करेगी कि कोरोनावायरस का संकट मई-जून 2020 के बाद बना रहता है या नहीं।
क्या बाजार में 21 दिन के लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने की आशंका का प्रभाव दिख रहा है?
अब तक व्यवसायों और उद्योग का यही मानना है कि 14 अप्रैल के बाद धीरे धीरे बाजार खुलने की अनुमति दी जाएगी। इसका मतलब यह नहीं है कि हालात पूरी तरह सामान्य हो जाएंगे, लेकिन धीरे धीरे आपूर्ति शृंखला में सुधार आएगा और फिर मांग बढ़ेगी, जिससे क्षमता इस्तेमाल भी सामान्य हो सकेगा। यह सितंबर तिमाही के अंत में हो सकता है, और उसके बाद मजबूत सुधार अक्टूबर-मार्च की अवधि में देखा जा सकेगा।
अगले कुछ महीनों में हम सेंसेक्स और निफ्टी के लिए किस तरह की चुनौतियां देख सकते हैं?
कॉरपोरेट आय पर मात्रा की दृष्टिï से प्रभाव का आकलन करना कठिन है, लेकिन निफ्टी की एक साल आगे की आय के संदर्भ में 20 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्घि का ब्लूमबर्ग का अनुमान पूरा होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। पिछले 20 साल के रिकॉर्ड में निफ्टी के लिए प्राइस-टु-अर्निंग (पीई) 13-14 गुना था, जो पिछले 12 महीने के आधार पर अभी भी 19 गुना पर है। इस तरह से यदि, कोविड-19 को लेकर स्थिति और ज्यादा नाजुक होती है तो बाजार में गिरावट बढ़ जाएगी।
सरकार और आरबीआई द्वारा किए गए उपायों के बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
आरबीआई और अन्य केंद्रीय बैंक दरों में कटौती, अतिरिक्त नकदी डालने, और विदेशी मुद्रा की स्थिति के प्रबंधन में सहायक बने हुए हैं। विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह से इक्विटी में गिरावट के बावजूद रुपया अब तक काफी हद तक अनुकूल बना हुआ है।
जहां तक भारत का सवाल है, विदेशी संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी कैसी है?
एफआईआई ने सभी उभरते बाजारों में बिकवाली की है और भारत इससे अलग नहीं है। ज्यादातर बिकवाली फंडों और पेंशन फंडों द्वारा की गई है। ऐसा रिडम्पशन के दबाव या असाधारण समय में नकदी पैदा करने की नीति की वजह से हो सकता है। बाजार में गिरावट से निवेशकों के लिए व्यापक अवसर पैदा हुए हैं। यह ऐसी स्थिति है जिसमें सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियां बेहद कम मूल्यांकन पर मौजूद हैं, जो अक्सर नहीं देखने को मिलता है। यदि वैश्विक और स्थानीय वृहद परिदृश्य में सुधार होता है तो विदेशी प्रवाह सितंबर 2020 के बाद से फिर सकारात्मक हो सकता है।
वित्त वर्ष 2021 के लिए हम कॉरपोरेट आय पर कितना दबाव देखेंगे?
फिलहाल इस बारे में सटीक आंकड़ा सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत बताना संभव नहीं है, लेकिन यह स्पष्टï है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्घि का अनुमान वित्त वर्ष 2021 के लिए 200 आधार अंक तक घटाया गया है। वित्त वर्ष 2022 में आय वृद्घि देखी जा सकती है। वित्त वर्ष 2021 में आय में सुधार सकारात्मक रूप से आश्चर्य होगा।
लॉकडाउन के बावजूद दलाल पथ एफएमसीजी और दूरसंचार क्षेत्रों पर उत्साहित है। इस बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
हां, क्योंकि इन दो क्षेत्रों को अन्य के मुकाबले कम दबाव का सामना करना पड़ा है। दूरसंचार, सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत मुख्य रूप से कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुआ है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से घरों में डेटा की मांग की मांग बढ़ रही है। मध्यावधि में खपत वृद्घि दर को लेकर चिंता है, क्योंकि संकट से पहले, यह तीन साल पहले के 16 प्रतिशत के मुकाबले घटकर महज 5-6 प्रतिशत रह गई थी। कोविड-19 प्रभाव की वजह से, वृद्घि दर कमजोर बनी रहेगी और अच्छी एफएमसीजी कंपनियों का पीई अनुपात अल्पावधि में सकारात्मक नहीं दिख रहा है।
क्या आप अगली कुछ तिमाहियों में बैंकों और एनबीएफसी के एनपीए में वृद्घि की आ शंका जता रहे हैं?
पूरा वित्तीय क्षेत्र कोविड-19 महामारी की वजह से बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
Russia Ukraine News Update: यूक्रेन संकट से चीन की हो गई है चांदी, लगातार बढ़ रहा है युवान का भाव
विश्लेषकों का कहना है कि ईयू की सदस्यता मिलने से मौजूदा संकट के समाधान की राह निकल सकती है। युद्धविराम के लिए रूस ने शर्त रखी है कि यूक्रेन अपनी सैन्य क्षमता खत्म करे और यह एलान करे कि वह नाटो (उत्तरी अटालांटिक संधि संगठन) का सदस्य नहीं बनेगा। कूटनीति विशेषज्ञों के मुताबिक अगर ईयू की सदस्यता मिल जाए, तो इन शर्तों पर बातचीत में जेलेंस्की के लिए अनुकूल स्थिति बनेगी.
यूक्रेन को लेकर दुनिया में बढ़ रहे वित्तीय संकट के बीच चीन की मुद्रा युवान के भाव में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बुधवार को युवान का भाव चार साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 6.30 युवान रही। इसे देखते हुए कई विशेषज्ञों ने राय जताई है कि मौजूदा संकट के बीच दुनिया में लेन-देन के लिए युवान का इस्तेमाल बढ़ सकता है।
इस ट्रेंड के बारे में विदेशी मुद्रा के कारोबार से जुड़े एक डीलर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने की संभावना के कारण मुझे अपेक्षा थी कि युवान कमजोर होगा। लेकिन यूक्रेन संकट के बीच लोगों में युवान खरीदने की होड़ लग गई है।’ आम तौर पर अमेरिकी मुद्रा पर मिलने वाले ब्याज दर से डॉलर और युवान का भाव तय होता रहा है। सामान्य नियम यह रहा है कि डॉलर में निवेश पर अधिक लाभ की संभावना हो, तो युवान कमजोर होता है।
चीनी बॉन्ड खरीदारों की संख्या बढ़ी
लेकिन हाल में यह रुझान पलटा हुआ दिखा है। अमेरिका में ब्जाय दर बढ़ने की संभावना बनने के बाद अमेरिका के दो वर्ष के ट्रेजरी बॉन्ड में निवेश बढ़ा है। लेकिन उससे युवान का भाव नहीं गिरा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस ट्रेंड के कारण मुद्रा विनिमय के बारे आम समझ भ्रामक हो गई है। ग्रेटर चीन क्षेत्र के लिए आईएनजी बैंक प्रमुख अर्थशास्त्री इरिस पैंग ने कहा है- ‘युवान की कीमत चीन में पूंजी निवेश की आवक के कारण बढ़ रही है। ऐसा चीनी संपत्तियों के वैश्विक निवेश इंडेक्स में शामिल होने के बाद से होना शुरू हुआ है।’
पिछले साल ब्रिटिश इंडेक्स निर्माता एफटीएसई रसेल ने चीन सरकार के कर्ज को भी अपने बेंचमार्क ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल कर लिया था। उसके बाद से दो साल पहले की तुलना में चीन सरकार का बॉन्ड खरीदने वालों की संख्या में 80 फीसदी इजाफा हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन के निर्यात में लगातार हो रही वृद्धि के कारण युवान की कीमत चढ़ रही है। चीन को 2021 में रिकॉर्ड व्यापार मुनाफा हुआ। उसे देखते हुए अब ऐसे निर्यातकों की संख्या बढ़ी है, सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत जो निर्यात के बदले डॉलर के बजाय युवान को स्वीकार करने लगे हैं।
रूसी मुद्रा रुबल धराशायी
बैंक बीएनपी परिबास के अनुमान के मुताबिक इस पूरे महीने युवान के भाव में चढ़ाव का रुख रहेगा। यूक्रेन युद्ध से इस पर फर्क पड़ने की आशंका नहीं है। जबकि आम तौर पर युद्ध जैसी स्थितियों में निवेशक उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की मुद्राओं में निवेश घटा कर अमेरिकी डॉलर या स्विस फ्रैंक जैसी मुद्राओं में निवेश करने लगते हैं। यूक्रेन संकट के बीच रूसी मुद्रा रुबल धराशायी हो गई है। लेकिन युवान का भाव बढ़ना जारी है। पैंग ने कहा- मौजूदा यूक्रेन संकट से जाहिर हुआ है कि युवान को एशिया में सुरक्षित निवेश का माध्यम समझा जा रहा है।
जापान के जाने-माने मार्केट एनालिस्ट डेविड चाओ ने राय जताई है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से युवान के लिए अनुकूल स्थिति बनी है। उन्होंने निक्कई एशिया से कहा- ‘प्रतिबंधों की अमेरिकी नीति के कारण लंबे समय में वैश्विक भुगतान और धन को सुरक्षित रखने के माध्यम के रूप में अमेरिकी डॉलर में भी निवेशकों का भरोसा घटेगा। उससे युवान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का रूप लेने का रास्ता खुल जाएगा।’
विस्तार
यूक्रेन को लेकर दुनिया में बढ़ रहे वित्तीय संकट के बीच चीन की मुद्रा युवान के भाव में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बुधवार को युवान का भाव चार साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। बुधवार को एक डॉलर की कीमत 6.30 युवान रही। इसे देखते हुए कई विशेषज्ञों ने राय जताई है कि मौजूदा संकट के बीच दुनिया में लेन-देन के लिए युवान का इस्तेमाल बढ़ सकता है।
इस ट्रेंड के बारे में विदेशी मुद्रा के कारोबार से जुड़े एक डीलर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने की संभावना के कारण मुझे अपेक्षा थी कि युवान कमजोर होगा। लेकिन यूक्रेन संकट के बीच लोगों में युवान खरीदने की होड़ लग गई है।’ आम तौर पर अमेरिकी मुद्रा पर मिलने वाले ब्याज दर से डॉलर और युवान का भाव तय होता रहा है। सामान्य नियम यह रहा है कि डॉलर में निवेश पर अधिक लाभ की संभावना हो, तो युवान कमजोर होता है।
चीनी बॉन्ड खरीदारों की संख्या बढ़ी
लेकिन हाल में यह रुझान पलटा हुआ दिखा है। अमेरिका में ब्जाय दर बढ़ने की संभावना बनने के बाद अमेरिका के दो वर्ष के ट्रेजरी बॉन्ड में निवेश बढ़ा है। लेकिन उससे युवान का भाव नहीं गिरा है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस ट्रेंड के कारण मुद्रा विनिमय के बारे आम समझ भ्रामक हो गई है। ग्रेटर चीन क्षेत्र के लिए आईएनजी बैंक प्रमुख अर्थशास्त्री इरिस पैंग ने कहा है- ‘युवान की कीमत चीन में पूंजी निवेश की आवक के कारण बढ़ रही है। ऐसा चीनी संपत्तियों के वैश्विक निवेश इंडेक्स में शामिल होने के बाद से होना शुरू हुआ है।’
पिछले साल ब्रिटिश इंडेक्स निर्माता एफटीएसई रसेल ने चीन सरकार के कर्ज को भी अपने बेंचमार्क ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल कर लिया था। उसके बाद से दो साल पहले की तुलना में चीन सरकार का बॉन्ड खरीदने वालों की संख्या में 80 फीसदी इजाफा हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि चीन के निर्यात में लगातार हो रही वृद्धि के कारण युवान की कीमत चढ़ रही है। चीन को 2021 में रिकॉर्ड व्यापार मुनाफा हुआ। उसे देखते हुए अब ऐसे निर्यातकों की संख्या बढ़ी है, जो निर्यात के बदले डॉलर के बजाय युवान को स्वीकार करने लगे हैं।
रूसी मुद्रा रुबल धराशायी
बैंक बीएनपी सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत परिबास के अनुमान के मुताबिक इस पूरे महीने युवान के भाव में चढ़ाव का रुख रहेगा। यूक्रेन युद्ध से इस पर फर्क पड़ने की आशंका नहीं है। जबकि आम तौर पर युद्ध जैसी स्थितियों में निवेशक उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की मुद्राओं में निवेश घटा कर अमेरिकी डॉलर या स्विस फ्रैंक जैसी मुद्राओं में निवेश करने लगते हैं। यूक्रेन संकट के बीच रूसी मुद्रा रुबल धराशायी हो गई है। लेकिन युवान का भाव बढ़ना जारी है। पैंग ने कहा- मौजूदा यूक्रेन संकट से जाहिर हुआ है कि युवान को एशिया में सुरक्षित निवेश का माध्यम समझा जा रहा है।
जापान के जाने-माने मार्केट एनालिस्ट डेविड चाओ ने राय जताई है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से युवान के लिए अनुकूल स्थिति बनी है। उन्होंने निक्कई एशिया से कहा- ‘प्रतिबंधों की अमेरिकी नीति के कारण लंबे समय में वैश्विक भुगतान और धन को सुरक्षित रखने के माध्यम के रूप में अमेरिकी डॉलर में भी निवेशकों का भरोसा घटेगा। उससे युवान के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा का रूप लेने का रास्ता खुल जाएगा।’
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सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत
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बिल का सारांश
राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण और विकास बैंक बिल, 2021
- राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण (फाइनांसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर) और विकास बैंक बिल, 2021 को लोकसभा में 22 मार्च, 2021 को पेश किया गया। बिल इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के लिए मुख्य विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआईज़) के तौर पर राष्ट्रीय अवसंरचना वित्त पोषण और विकास बैंक (एनबीएफआईडी) की स्थापना करने का प्रयास करता है। डीएफआईज़ की स्थापना अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों को दीर्घकालीन वित्त पोषण प्रदान करने के लिए की जाती है जहां जोखिम वाणिज्यिक बैंकों और दूसरे सामान्य वित्तीय संस्थानों की स्वीकार्य सीमा से परे होता है। बैंकों से अलग डीएफआईज़ लोगों से डिपॉजिट नहीं लेते। वे बाजार, सरकार, बहुपक्षीय संस्थानों से धनराशि जुटाते हैं और सरकारी गारंटियों के जरिए समर्थित होते हैं।
- एनबीएफआईडी: एनबीएफआईडी को कॉरपोरेट बॉडी के तौर पर गठित किया जाएगा जिसकी अधिकृत शेयर पूंजी एक लाख करोड़ रुपए होगी। निम्नलिखित एनबीएफआईडी के शेयर धारक होंगे: (i) केंद्र सरकार, (ii) बहुपक्षीय संस्थाएं, (iii) सोवरिन वेल्थ फंड्स, (iv) पेंशन फंड्स, (v) बीमाकर्ता, (vi) वित्तीय संस्थान, (vii) बैंक और (viii) केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट अन्य संस्थान। शुरुआत में संस्थान के 100% शेयर्स पर केंद्र सरकार का स्वामित्व होगा जिसे बाद में कम करके अधिकतम 26% कर दिया जाएगा।
- एनबीएफआईडी के कार्य: एनबीएफआईडी के वित्तीय और विकासपरक उद्देश्य होंगे। वित्तीय उद्देश्यों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उधार देना, निवेश करना या भारत में पूरी तरह या आंशिक रूप से स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में निवेश को आकर्षित करना शामिल है। केंद्र सरकार निर्दिष्ट करेगी कि इंफ्रास्ट्रक्चर डोमेन में कौन से क्षेत्र आएंगे। विकासपरक उद्देश्य में इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के लिए बॉन्ड्स, ऋण और डेरेवेटिव्स के बाजार के विकास में मदद करना शामिल है। एनबीएफआईडी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स को लोन और एडवांस देना, (ii) ऐसे मौजूदा लोन्स को ले लेना और उसका फिर से वित्त पोषण करना, (iii) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में निवेश के लिए निजी क्षेत्र के निवेशकों और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करना, (iv) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में विदेशी भागीदारी को सरल बनाना, (v) इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग के क्षेत्र में विवाद निवारण के लिए विभिन्न सरकारी अथॉरिटीज़ से बातचीत को सुविधाजनक बनाना, और (vi) इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनांसिंग में परामर्श सेवाएं प्रदान करना।
- धनराशि का स्रोत: एनबीएफआईडी लोन्स के रूप में भारतीय रुपयों और विदेशी मुद्रा, दोनों में धन जुटा सकता है या बॉन्ड्स और डिबेंचर्स सहित विभिन्न वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स को जारी करके और बेचकर धन प्राप्त कर सकता है। एनबीएफआईडी निम्नलिखित से धन उधार ले सकता है: (i) केंद्र सरकार, (ii) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), (iii) अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक, (iv) विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे बहुपक्षीय संस्थान।
- एनबीएफआईडी का प्रबंधन: बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एनबीएफआईडी का प्रबंधन संभालेंगे। बोर्ड के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) आरबीआई की सलाह से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त चेयरपर्सन, (ii) मैनेजिंग डायरेक्टर, (iii) अधिकतम तीन डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर्स, (iv) केंद्र सरकार द्वारा नामित दो डायरेक्टर्स, (v) शेयरहोल्डर्स द्वारा निर्वाचित अधिकतम तीन डायरेक्टर्स, और (vi) कुछ स्वतंत्र डायरेक्टर्स (जैसा निर्दिष्ट हो)। केंद्र सरकार द्वारा गठित एक निकाय मैनेजिंग डायरेक्टर और डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर्स के पद के लिए उम्मीदवारों के नामों का सुझाव देगा। बोर्ड आंतरिक समिति के सुझावों सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत के आधार पर स्वतंत्र डायरेक्टर्स की नियुक्ति करेगा।
- केंद्र सरकार से सहयोग: केंद्र सरकार पहले वित्तीय वर्ष के अंत में एनबीएफआईडी को 5,000 करोड़ रुपए का अनुदान देगी। सरकार बहुपक्षीय संस्थानों, सोवरिन वेल्थ फंड्स और दूसरे विदेशी फंड्स से उधारियों के लिए अधिकतम 0.1% की रियायती दर पर गारंटी भी प्रदान करेगी। विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा में उधारियां लेने पर) में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाली हानि से संबंधित लागत की भरपाई सरकार द्वारा पूरी तरह या आंशिक रूप से की जा सकती है। एनबीएफआईडी द्वारा अनुरोध करने पर सरकार उसके द्वारा जारी बॉन्ड्स, डिबेंचर्स और लोन्स की गारंटी ले सकती है।
- जांच और अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी: निम्नलिखित की मंजूरी के बिना एनबीएफआईडी के कर्मचारियों की जांच शुरू नहीं की जा सकती: (i) चेयरपर्सन और दूसरे डायरेक्टर्स के मामले में केंद्र सरकार, और (ii) अन्य कर्मचारियों के मामले में मैनेजिंग डायरेक्टर। एनबीएफआईडी के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में अपराधों को संज्ञान में लेने के लिए अदालतों को भी पूर्व मंजूरी लेनी होगी।
- अन्य डीएफआईज़: बिल में यह प्रावधान भी है कि आरबीआई को आवेदन करके कोई भी व्यक्ति डीएफआई बना सकता है। आरबीआई केंद्र सरकार की सलाह से डीएफआई को लाइसेंस दे सकता है। आरबीआई इन डीएफआईज़ के लिए रेगुलेशंस निर्दिष्ट करेगा।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या सामान्य विदेशी मुद्रा बातचीत लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।
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