आपकी सेविंग को बढ़ाने के लिए, बजाज फाइनेंस FD एक पसंदीदा विकल्प है:
फिक्स्ड डिपॉजिट और इन्वेस्टमेंट बॉन्ड के बीच अंतर
किसी भी इन्वेस्टमेंट विकल्प की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि यह आपकी आवश्यकताओं को कितनी अच्छी तरह से पूरा करती है. फिक्स्ड डिपॉजिट या इन्वेस्टमेंट बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट करने की प्लानिंग करते समय, इन दोनों इन्वेस्टमेंट विकल्प के लाभ और नुकसान का मूल्यांकन करना आवश्यक है. एफडी और इन्वेस्टमेंट बॉन्ड, दोनों ही फिक्स्ड-इनकम सेविंग विकल्प हैं. इनमें एफडी ब्याज़ दरें इन्वेस्टमेंट बॉन्ड से अधिक होती हैं, तो इन्वेस्टमेंट बॉन्ड अधिक टैक्स लाभ प्रदान करते हैं.
फिक्स्ड डिपॉजिट और इन्वेस्टमेंट बॉन्ड, दोनों में एक निर्धारित अवधि के लिए एक निश्चित राशि की सेविंग शामिल होती है. जबकि एफडी की ब्याज़ दरें इन्वेस्टमेंट बॉन्ड से कहीं अधिक हैं, लेकिन इन्वेस्टमेंट बॉन्ड अधिक टैक्स लाभ प्रदान करते हैं.
फिक्स्ड डिपॉजिट की विशेषताएं और लाभ
जो लोग सुरक्षित इन्वेस्टमेंट विकल्प के माध्यम से अपनी बचत को बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए फिक्स्ड डिपॉजिट एक बेहतरीन विकल्प है. फिक्स्ड डिपॉजिट ऐसे लोगों के लिए एक आदर्श विकल्प है, जो सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के तरीके से अपनी बचत में वृद्धि करना चाहते हैं.
- बाजार के उतार-चढ़ावों से अप्रभावित रहते हुए यह आपकी बचत में शानदार वृद्धि और मेच्योरिटी प्रदान करते हैं
- सीनियर सिटीज़न के लिए FD एक आदर्श विकल्प है, जिसमें उच्च ब्याज़ दरों से भी लाभ उठाए जा सकते हैं
- बैंक, एनबीएफसी और पोस्ट ऑफिस के द्वारा एफडी जारी की जाती है. अगर आप सुरक्षा और रिटर्न का मजबूत संतुलन चाहते हैं, तो उच्च सुरक्षा रेटिंग वाले संस्थानों द्वारा जारी की गई एफडी चुनना ही बेहतर है, क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? क्योंकि वे एक विश्वसनीय इन्वेस्टमेंट विकल्प हैं
- फिक्स्ड डिपॉजिट आपको एफडी पर लोन जैसी सुविधाओं के साथ आवश्यक कैश आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाता है
- बचत खाते की तुलना में वे आपकी बचत से अधिक कमाई करने में आपकी सहायता कर सकते हैं
- एफडी आपको रिटर्न की फ्रिक्वेंसी चुनने की सुविधा देता है. उदाहरण के लिए, अगर आप मासिक रिटर्न चाहते हैं, तो आप गैर-संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अप्लाई कर सकते हैं, जबकि लंपसम ब्याज़ प्राप्त करने के लिए, आप संचयी फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अप्लाई कर सकते हैं
- फिक्स्ड डिपॉजिट से प्राप्त होने वाले रिटर्न्स का उपयोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है जैसे कि छुट्टियां, संपत्ति खरीदना या आपके बच्चे की शिक्षा को फंड करना
इन्वेस्टमेंट बॉन्ड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? की विशेषताएं और लाभ
इन्वेस्टमेंट बॉन्ड उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं, जो टैक्स लाभ प्राप्त करना चाहते हैं और अपनी सेविंग को बढ़ाना चाहते हैं. और जानने के लिए आगे पढ़ें.
- ये बॉन्ड्स पूंजी में वृद्धि की संभावना प्रदान करते हैं, ताकि आप पर्याप्त फाइनेंशियल लाभ उठा सकें
- इन बॉन्ड पर ब्याज दर फ़िक्स्ड डिपोजिट की पेशकश क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? की तुलना में काफी कम है
- निवेश बांड से रिटर्न tds या यहां तक कि टैक्स के भी अधीन नहीं हैं. इसका मतलब है कि आप टैक्स कटौती की प्लानिंग किए बिना अपने ब्याज़ लाभ की अधिकांश राशि को बनाए रख सकते हैं
- ये बॉन्ड बाद में किसी अन्य पार्टी को बेचे जा सकते हैं
- इन्वेस्टमेंट बॉन्ड की सुविधाजनक अवधियां हो भी सकती हैं और नहीं भी
- ये बॉन्ड आपको आपके रिटर्न की फ्रीक्वेंसी चुनने नहीं देते हैं. इनमें आपको रिटर्न का भुगतान करने के लिए समय निर्धारित होता है
- बांड सीक्योर हैं लेकिन इंश्योर नहीं हैं. इसका अर्थ है कि आपके पास पूर्ण सुरक्षा नहीं होती है. अगर किसी कारण से बॉन्ड का भुगतान नहीं होता है तो आपके पास केवल उसी सम्पति का अधिकार होगा जिसे ज़मानत के रूप में रखा गया हो
Gold Bond: बिना टेंशन कर सकते हैं कमाई, जानिए गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाने के फायदे
SGB or Gold Bond Investment: बदलते समय के साथ सोना खरीदने और उसमें निवेश का तरीका भी बदला है. आज के समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) सोने में निवेश का सुरक्षित और अच्छा रिटर्न हासिल करने का एक बेहतर विकल्प है.
SGB or Gold Bond Investment: सोने को लेकर भारतीयों का लगाव काफी पुराना और भावनात्मक है. अहम बात यह भी है कि फिजिकल गोल्ड यानी गहने, बिस्किट या सिक्के के रूप में सोने को रखना हमेशा से भारतीयों की पहली पसंद रहा है. बाजार में निवेश के दूसरे और अच्छे ऑप्शन क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? होने के बावजूद सोने की खरीदारी कम नहीं हुई. बदलते समय के साथ सोना खरीदने और उसमें निवेश का तरीका भी बदला है. आज के समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) सोने में निवेश का सुरक्षित और अच्छा रिटर्न हासिल करने का एक बेहतर विकल्प है.
SGB में निवेश के क्या हैं फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारत सरकार की ओर से नियमित अंतराल पर सोने के मौजूदा भाव पर जारी किए जाते हैं. SGB की मैच्योरिटी 8 साल होती है. जबकि, लॉक इन पीरियड पांच साल है. इसका मतलब है कि आप पांच साल बाद बॉन्ड बेच सकते हैं. लेकिन, इस बात का ध्यान रखें, अगर आपने एसजीबी को मैच्योरिटी तक बनाए रखा, तो आपको निवेश पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा. वहीं, आपको 2.5 फीसदी सालाना ब्याज मिलेगा, जिसका भुगतान हर 6 महीने पर क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? किया जाता है.
एसजीबी में जितनी मात्रा में निवेशक पैसा लगाता है, वह सुरक्षित रहता है. क्योंकि मैच्योरिटी के समय उसे मौजूदा बाजार का भाव मिलता है. इस तरह, फिजिकल गोल्ड खरीदने की बजाय एसजीबी में पैसा लगाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इसमें फिजिकल गोल्ड की तरह जोखिम नहीं है, और स्टोरेज के लिए भी निवेशक को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता है. निवेशक को इस बात की गारंटी मिलती है कि बॉन्ड की मैच्योरिटी पर उसे सोने का बाजार भाव और उतने समय का निर्धारित ब्याज मिलेगा.
SGB के ये फायदे भी जान लें
- SGB को लेकर और अच्छी बात यह है कि इसमें गहनों की तरह मेकिंग चार्ज और शुद्धता जांचने-परखने का झंझट नहीं रहता है. यह आरबीआई के अकाउंट में या शेयर की तरह डिमेट फॉर्म में सुरक्षित रहता है.
- चोरी होने या गुम होने का कोई खतरा नहीं होता है.
- अगर निवेशक मैच्योरिटी तक बॉन्ड को रखता है, तो उसे इसका अच्छा फायदा होगा. एक और अहम बात यह भी है कि एसजीबी को सेकंडरी मार्केट में भी बेचा जा सकता है.
(डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ गोल्ड बॉन्ड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? के बारे में जानकारी दी गई है. ये निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
Mutual Fund में निवेश की प्लानिंग? ऐसे उठाएं अधिक ब्याज का लाभ, जानें कैसे करें तैयारी
Mutual Funds में निवेश की कैसे करें प्लानिंग (फोटो-Freepik)
म्यूचुअल फंड में अधिक समय के लिए निवेश की सलाह दी जाती है, ताकि आपको एक अच्छा फंड मिल सके। अगर आप भी निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं और म्यूच्युअल फंड से अच्छा पैसा बनाना चाहते हैं तो यह खबर आपकी मदद कर सकती है। आइए विशेषज्ञों से जाने कैसे करें निवेश की प्लानिंग और किस तरह आपको अधिक रिटर्न मिल सकता है?
किस तरह के फंड में अधिक रिटर्न
कर और निवेश विशेषज्ञों के अनुसार, दरों में बढ़ोतरी का असर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न पर शॉर्ट टर्म यानी 6 महीने से लेकर दो साल तक हो सकता है। मिंट की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि शॉर्ट टर्म इनवेस्टर्स, जिनके पास 6 महीने से लेकर दो साल तक का टाइम है, उन्हें डेट म्यूचुअल फंड्स- लिक्विड, मनी मार्केट और बॉन्ड फंड्स में निवेश करना चाहिए। इस तरह के फंड से उनके मौजूदा वार्षिक औसत रिटर्न से 0.50 से 1 फीसदी अधिक ब्याज मिल सकता है।
कम समय के फंड दिला सकते हैं अधिक मुनाफा
Short term funds: चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में और 50-75 आधार अंकों की वृद्धि किए जाने का अनुमान है। इस परिदृश्य में डेट फंड मैनेजर अल्पकालिक फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर रोक लगाने के लिए हाल ही में मौद्रिक नीति समिति की बैठक में चौथी बार रेपो रेट बढ़ाया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 50 आधार अंक बढ़ाये जाने के क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? बाद रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। रेपो रेट में लगातार बढ़ोत्तरी के इस दौर में अल्पकालिक योजनाओं में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान समय में यील्ड कर्व समतल है, ऐसी स्थिति में लंबे समय के लिए निवेश करने में जोखिम हो सकता है।
निवेश करने के बारे में विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान परिदृश्य में निवेश करने के बारे में कई विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है। मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ महेंद्र कुमार जाजू के अनुसार मौजूदा परिदृश्य में अल्पावधि योजना में निवेश करना ही सही होगा। क्योंकि एसडीएफ के द्वारा लिक्विडिटी के सामान्य होने और आगामी नीतियों के कारण इसमें अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। इस समय में एक वर्ष से कम समय के लिए किया गया निवेश यानी अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आपको को ज्यादा मुनाफा दिला सकता है।
टाटा म्यूचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के हेड मूर्ति नागराजन ने जानकारी दी कि लगभग तीन साल के बाद यील्ड कर्व समतल रूख दिखा रहा है। इस स्थिति में निवेशकों को समय के आधार पर निवेश करने की सलाह दी जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि निवेशक एक महीने के लिए अल्ट्रा शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में, 1 से 2 महीने के लिए मनी मार्केट फंड में या 2 से 4 महीने, 4 से 6 महीने के लिए फ्लोटिंग रेट फंड में और 6 महीने के शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा जो निवेशक ही एक साल के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वे निवशक गिल्ट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गिल्ट फंड में एक साल के लिए निवेश किया जा सकता है।
Gold Bond: बिना टेंशन कर सकते हैं कमाई, जानिए गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाने के फायदे
SGB or Gold Bond Investment: बदलते समय के साथ सोना खरीदने और उसमें निवेश का तरीका भी बदला है. आज के समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) सोने में निवेश का सुरक्षित और अच्छा रिटर्न हासिल करने का एक बेहतर विकल्प है.
SGB or Gold Bond Investment: सोने को लेकर भारतीयों का लगाव काफी पुराना और भावनात्मक है. अहम बात यह भी है कि फिजिकल गोल्ड यानी गहने, बिस्किट या सिक्के के रूप में सोने को रखना हमेशा से भारतीयों की पहली पसंद रहा है. बाजार में निवेश के दूसरे और अच्छे ऑप्शन होने के क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? बावजूद सोने की खरीदारी कम नहीं हुई. बदलते समय के साथ सोना खरीदने और उसमें निवेश का तरीका भी बदला है. आज के समय में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) सोने में निवेश का सुरक्षित और अच्छा रिटर्न हासिल करने का एक बेहतर विकल्प है.
SGB में निवेश के क्या हैं फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारत सरकार की ओर से नियमित अंतराल पर सोने के मौजूदा भाव पर जारी किए जाते हैं. SGB की मैच्योरिटी 8 साल क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? होती है. जबकि, लॉक इन पीरियड पांच साल है. इसका मतलब है कि आप पांच साल बाद बॉन्ड बेच सकते हैं. लेकिन, इस बात का ध्यान रखें, अगर आपने एसजीबी को मैच्योरिटी तक बनाए रखा, तो आपको निवेश पर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा. वहीं, आपको 2.5 फीसदी सालाना ब्याज मिलेगा, जिसका भुगतान हर 6 महीने पर किया जाता क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? है.
एसजीबी में जितनी मात्रा में निवेशक पैसा लगाता है, वह सुरक्षित रहता है. क्योंकि मैच्योरिटी के समय उसे मौजूदा बाजार का भाव मिलता है. इस तरह, फिजिकल गोल्ड खरीदने की बजाय एसजीबी में पैसा लगाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इसमें फिजिकल गोल्ड की तरह जोखिम नहीं है, और स्टोरेज के लिए भी निवेशक को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता है. निवेशक को इस बात की गारंटी मिलती है कि बॉन्ड की मैच्योरिटी पर उसे सोने का बाजार भाव और उतने समय का निर्धारित ब्याज मिलेगा.
SGB के ये फायदे भी जान लें
- SGB को लेकर और अच्छी बात यह है कि इसमें गहनों की तरह मेकिंग चार्ज और शुद्धता जांचने-परखने का झंझट नहीं रहता है. यह आरबीआई के अकाउंट में या शेयर की तरह डिमेट फॉर्म में सुरक्षित रहता है.
- चोरी होने या गुम होने का कोई खतरा नहीं होता है.
- अगर निवेशक मैच्योरिटी तक बॉन्ड को रखता है, तो उसे इसका अच्छा फायदा होगा. एक और अहम बात यह भी है कि एसजीबी को सेकंडरी मार्केट में भी बेचा जा सकता है.
(डिस्क्लेमर: यहां सिर्फ गोल्ड बॉन्ड के बारे में जानकारी दी गई है. ये निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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