फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि म्यूचुअल फंड लक्ष्य आधारित निवेश है. इसमें आपको पता है कि सालाना आधार पर अमूमन कितना रिटर्न मिलेगा. लॉन्ग टर्म में यह मल्टीबैगर साबित होता है. इसमें निवेश करने के बाद आपका एक्टिव रहना जरूरी नहीं है. खुद से बाजार में निवेश करने पर उस स्टॉक और सेक्टर के बारे में अपडेटेड जानकारी जरूरी है. अगर आप शेयर बजार में ट्रेडिंग करते हैं या फिर इसकी बारिकी को समझना चाहते हैं तो समय के साथ निवेश का तरीका सीखा जा सकता है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स अनुभव लेने के बाद ही बाजार में खुद से निवेश की सलाह देते हैं.

बढ़ती महंगाई और निगेटिव रिटर्न

बड़े काम की चीज है UPI का 'सिंगल ब्लॉक मल्टीपल डेबिट फीचर', समझिए कैसे?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी मॉनिटरी पॉलिसी में UPI के लिए सिंगल ब्लॉक और मल्टीपल डेबिट पेमेंट फीचर (Single Block and Multiple Debit Feature) लाने का ऐलान किया. हालांकि इस फीचर का अभी सिर्फ ऐलान हुआ है, इसकी बारीकियां आना अभी बाकी है. लेकिन सवाल यही है कि UPI के इस फीचर से क्या और किसको फायदा होगा, हमारी और आपकी जिंदगी में इस फीचर के आने से क्या फर्क पड़ेगा.

एक लाइन में मोटा मोटा ये समझ लीजिए कि जो ग्राहक UPI का इस्तेमाल करते हैं, वो अपने बैंक अकाउंट में इस नए 'सिंगल ब्लॉक मल्टीपल डेबिट फीचर' के जरिए किसी विशेष भुगतान के लिए एक तय रकम को ब्लॉक कर सकेंगे. हालांकि आप अब भी ये कर सकते हैं, लेकिन वो सिर्फ किसी एक डेबिट के लिए होता है. मगर अब आप एक साथ मल्टीपल डेबिट या कई भुगतानों के लिए अपने बैंक अकाउंट में पैसा ब्लॉक कर पाएंगे. RBI गवर्नर ने UPI के इस फीचर के बारे में बताया कि इस फीचर की इन्वेस्टमेंट क्या होता है मदद से सिक्योरिटीज में निवेश बेहद आसान हो जाएगा.

क्या होगा फायदा

इस खतरे से बचने के लिए UPI में सिंगल ब्लॉक और मल्टीपल डेबिट पेमेंट का फीचर लाया जा रहा है.

ऊपर बताए गए सभी ट्रांजैक्शन के लिए पैसा अकाउंट में पहले से अलग अलग ब्लॉक कर सकेंगे.

जब-जब इनकी तारीख आएगी पैसे अकाउंट से तब-तब कट जाएंगे.

इसका फायदा ये होगा कि पैसा ब्लॉक होने के बाद आपको पेमेंट डिफॉल्ट की टेंशन नहीं रहेगी

आप जान सकेंगे कि एडवांस में पेमेंट ब्लॉक करने के बाद बाकी घरेलू और निजी खर्चों के लिए कितने पैसे बचे हैं

आप निश्चिंत होकर बाकी बचे हुए उन पैसों को खर्च कर सकेंगे.

ऐसे समझ लीजिए कि अगर पैसों को खर्च करने के मामले में आपका हाथ बहुत खुला है, तो ये नया फीचर आपके लिए बेहद काम का साबित हो सकता है. UPI में इस फीचर के आने के बाद सिर्फ आप जैसे ग्राहक ही नहीं मर्चेंट यानी कारोबारी भी निश्चिंत हो जाएंगे, क्योंकि उन्हें पता होगा कि उनकी पेमेंट उन्हें तय तारीख पर मिल ही जाएगी.

NPCI लाएगा UPI के फीचर्स

UPI के इस नए फीचर्स को लाने की जिम्मेदारी नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की है. NPCI जब इसे लेकर आएगा तब इस फीचर को लेकर ज्यादा जानकारी मिल सकेगी, इस फीचर को लेकर अब भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब भी तभी मिलेगा, जैसे- इसके फायदों की फेहरिस्त में कौन कौन हैं, कौन कौन से पेमेंट इसमें शामिल किए जा सकेंगे वगैरह-वगैरह.

दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ने एक और बड़ा ऐलान किया. रिजर्व बैंक ने UPI सिस्टम को ASBA (Application Supported by a Blocked Amount) को सेकेंडरी मार्केट में निवेश के लिए रास्ता साफ कर दिया है. अभी UPI के जरिए प्राइमरी मार्केट यानी IPO के लिए पैसा ब्लॉक किया जा सकता है, लेकिन अब ये सेकेंडरी मार्केट के लिए भी किया जा सकेगा.

Investment: फायदे से ज्यादा नुकसान करवा सकती है महंगाई, जानिए वजह

जब एक निवेशक निवेश करता है तो वह हमेशा ज्यादा मुनाफा कमाने के बारे में सोचता है. लेकिन क्या आपको पता है कि निवेश पर निगेटिव रिटर्न मिलने का भी खतरा होता है. बता दें कि बाजार से जुड़े निवेश जैसे कि म्यूचुअल फंड या इन्वेस्टमेंट क्या होता है डायरेक्ट शेयर में निवेश करने पर निगेटिव रिटर्न मिलने का खतरा होता है लेकिन यह खतरा थोड़ा कम होता है. वहीं फिक्स्ड इनकम जैसे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने पर पैसे के डूबने का पूरा चांस रहता है.

खतरा होता है

शेयर बाजार से जुड़े इन्वेस्टमेंट में सिक्योरिटीज की वैल्यू में गिरावट आने पर निवेश किए गए पैसे को खोने का खतरा होता है. हालांकि फिक्स्ड इनकम निवेश में इन्वेस्टमेंट करने पर पैसा खोने का डर थोड़ा कम हो जाता है लेकिन फिर भी निगेटिव रिटर्न मिलने का खतरा लगतार बना रहता है. बता दें कि यह प्रभाव मुद्रास्फीति की वजह से होता है.

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 फीसदी के बीच है. ऐसे इन्वेस्टमेंट क्या होता है में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.

निवेशकों (Investors) के मन में एक सवाल बार-बार आता है कि उन्हें म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए या फिर शेयर बाजार (Share market investment) में निवेश इन्वेस्टमेंट क्या होता है करना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश का मुख्य रूप से दो तरीका है. पहला- खुद शेयर खरीदें और बेचें. दूसरा तरीका है कि म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करें. निवेश का दोनों तरीका अच्छा है, अंतर बस इतना है कि डायरेक्ट शेयर खरीदने पर फायदे और नुकसान दोनों के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे. यह आपको तय करना है कि बाजार में कब एंट्री लेनी है, कौन सा शेयर खरीदना है, कितने दिन के लिए निवेश करना है. अगर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर आपके बदले ये तमाम फैसले लेता है.

पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखें

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि पोर्टफोलियो को हमेशा इन्वेस्टमेंट क्या होता है इन्वेस्टमेंट क्या होता है इन्वेस्टमेंट क्या होता है डायवर्सिफाइड रखें. इससे रिस्क कम रहता है. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखने से रिस्क फैक्टर घटता है. बाजार में किसी तरह की हलचल का आपके इन्वेस्टमेंट पर कम असर होता है. कोई इंडिविजुअल जब किसी खास सेक्टर के खास स्टॉक में निवेश करता है तो उसका रिस्क ज्यादा होगा. वहीं, म्यूचुअल फंड में आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर के अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश किया जाता है. इस तरह सेक्टर डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ स्टॉक डायवर्सिफिकेशन का भी लाभ मिलता है.

निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप खुद से शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो राइट स्टॉक पिक होने पर आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड आपको इतने कम समय में मल्टीबैगर रिटर्न नहीं देगा. हालांकि, इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि खुद से निवेश करने पर आपका इन्वेस्टमेंट कई गुना घट भी सकता है, म्यूचुअल फंड के साथ ऐसा नहीं होता है. आसान शब्दों में खुद से निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. म्यूचुअल फंड बैलेंस्ड रिटर्न के साथ-साथ बैलेस्ड रिस्क का भी भरोसा इन्वेस्टमेंट क्या होता है देता है.

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड

हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है। इसमें इन्वेस्ट इन्वेस्टमेंट क्या होता है करना काफी फायदे का सौदा हो सकता है।

सर्वे के अनुसार यह देखा गया है कि महिलाएं सोने में काफी ज्यादा इन्वेस्टर्स करती हैं। युवा पीढ़ी की महिलाएं भी गोल्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं।

वहीं आज कल की युवा महिलाओं की बात करें तो वह अपनी बचत सुरक्षित और कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों में चुनना चाहती हैं।

इस फंड में जिसने हर महीने की 10 हजार की SIP, 27 साल बाद इतने करोड़ हो गई उसकी रकम

अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं, लेकिन इसमें होने वाले अप एंड डाउन का रिस्क नहीं उठा सकते तो म्युचुअल फंड (Mutual Fund) आपके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन है। म्युचुअल फंड में आप चाहें तो हर महीने अपनी बचत का एक हिस्सा SIP (Systematic Investment Plan) में लगा सकते हैं।

who invested 10 thousand every month in Nippon India Growth Fund, after 27 years the amount became so many crores kpg

Nippon India Growth Fund: अगर आप भी शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं, लेकिन इसमें होने वाले अप एंड डाउन का रिस्क नहीं उठा सकते तो म्युचुअल फंड (Mutual Fund) आपके लिए सबसे बेस्ट ऑप्शन है। म्युचुअल फंड में आप चाहें तो हर महीने अपनी बचत का एक हिस्सा SIP (Systematic Investment Plan) में लगा सकते हैं। यहां हर महीने किया गया छोटा-छोटा इन्वेस्टमेंट कुछ सालों में आपको बहुत बड़ा रिर्टन दे सकता है।

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