Technical Analysis (Hindi)

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने Technical Analysis के बारे में सुना होगा।Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) बाजार की चाल और बाजार की प्रवृत्ति को समझने के उद्देश्य से तकनीकी चार्ट या तकनीकी संकेतकों के माध्यम से बाजार व्यवहार का अध्ययन है। इस ब्लॉग आर्टिकल में हम Technical Analysis के बारे में जानेगे !!

Table of Contents

Technical Analysis क्या होता हैं|What is Technical Analysis

Technical Analysis ( तकनीकी विश्लेषण ) एक अध्ययन हैं जो चार्ट और तकनीक इंडिकेटर का उपयोग करके हिस्टोरिकल ट्रेंड के आधार पर भविष्य में होने वाले शेयर प्राइस के बढ़ने और गिरने के बारे में बताता हैं जिसके माध्यम से बाजार की चाल और व्यवहार को समझने में आसानी होती हैं शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और बेचना, स्टॉप लॉस और एग्जिट आदि के बारे में बताता है।टेक्निकल एनालिसिस के माध्यम से किसी भी स्टॉक में कब एंट्री और एग्जिट करना हैं ये भी प्राइस पैटर्न और इंडीकेटर्स की मदद से पता लगाया जा सकता हैं।Technical एनालिसिस की सबसे ख़ास बात ये हैं की ये किसी भी एसेट क्लास पे अप्लाई किया जा सकते हैं क्यूंकि चार्ट एनालिसिस हर एक एसेट क्लास पे काम करता हैं क्यंकि ये उसके प्राइस बेहवियर को पास्ट डाटा के आधार पे जानने का तरीका हैं।

Technical Analysis Parameter (Hindi)

तीन पैरामीटर हैं जिन पर तकनीकी विश्लेषण आधारित है।

1) History Tends To Repeat Itself

2) Market Discount Everything

3) Price Moves In Trends

आइए प्रत्येक बिंदु को विस्तार से समझे !!

1.History Repeat Itself (Hindi)

पहला बिंदु इतिहास अपने आप को दोहराता है इसका मतलब है कि मानव मनोविज्ञान समान होता है, इसलिए टेक्निकल एनालिसिस के इस निष्कर्ष से यह माना जाता है कीमत का चलन अपने आप को दोहराता है। इतने सालों तक चार्ट का गठन या प्राइस पैटर्न का आकार प्रकृति में दोहराव वाला होता है क्योंकि मानव मनोविज्ञान समान होता है,ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार के भागीदार एक तरीके की घटना पर हर बार एक ही तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं। इसीलिए शेयर की कीमत एक ही तरीके से चलती हैं।

इसलिए इस निष्कर्ष से यह माना जाता है कि अतीत में बने चैट पैटर्न में समान परिदृश्य मिलने पर खुद को दोहराने का मौका देता हैं इसलिए यह तकनीकी विश्लेषक को बाजार के व्यवहार को समझने में मदद करता है और स्टॉक के मूल्य के अध्ययन में मदद करता है।

2.Market Discount Everything (Hindi)

दूसरा बिंदु Market Discount Everything का मतलब है बाजार मूल्य या स्टॉक मूल्य में पहले से ही शेयरों से संबंधित सभी समाचार चाहे वह अपने मौलिक, प्रबंधन, अर्थशास्त्र, इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक, मनोविज्ञान या भविष्य की संभावनाओं से जुड़ा हो या उसके बाहरी वातावरण से संबंधित सभी समाचार और चीजें शामिल हैं। उस स्टॉक प्राइस में वे चीज़े पहले से शामिल होती हैं जिसका असर उसके भाव में पहले से होता हैं।

3. Price Move in Trends (Hindi)

तीसरा बिंदु प्राइस मूव इन ट्रेंड्स का मतलब है कि स्टॉक प्राइस एक दिशा में तब तक चलता है जब तक कि वह विपरीत दिशा में अपनी दिशा को उलट या बदल नहीं देता है और वे एक ही दिशा में आगे बढ़ता रहता हैं जब तक कोई मेजर रेजिस्टेंस ना आ जाये बीच बीच में थोड़ी करेक्शन हो सकती हैं पर ट्रेंड अपनी दिशा में चलता हैं।

Technical Analysis कैसे करें|How to do Technical Analysis

टेक्निकल एनालिसिस शेयर का हिस्टोरिकल ट्रेडिंग डाटा को चार्ट के माध्यम से समझता हैं और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत देता है।यहां Technical Analysis Study में उपयोग किए जाने वाले बुनियादी उपकरण हैं जैसे कैंडलस्टिक चार्ट, वॉल्यूम, ट्रेंडलाइन, मूविंग एवरेज आदि। मुख्य पैरामीटर स्टॉक की प्रवृत्ति और मूल्य व्यवहार की पहचान करना है।

Technical Analysis study (तकनीकी अध्ययन) में Price तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे और Volume दो महत्वपूर्ण कारक हैं क्योंकि तकनीकी अध्ययन में Price सर्वोच्च है और वॉल्यूम मूल्य पैटर्न का समर्थन करती है या मूल्य व्यवहार को प्रभावित करती है।टेक्निकल एनालिसिस में आप चार्ट को analyse कर सकते हैं क्यूंकि एक चार्ट ट्रेंड के बारे में काफी कुछ बताता हैं उसमे प्राइस और वॉल्यूम के पैटर्न्स को ध्यान में रखना चाहिए क्यूंकि प्राइस ही सबसे ऊपर क्यूंकि जितने इंडिकेटर और टेक्निकल उपयोग केवल ट्रेंड और प्राइस का मूवमेंट देखने के लिए होते हैं

Technical Analysis के Important Points

Chart Analysis-Technical एनालिसिस की स्टडी में चार्ट सबसे अहम् होता हैं क्यूंकि चार्ट की मदद से हम प्राइस के बार्रे में पता लगा सकते हैं क्यूंकि Price ही सबसे अहम् होता हैं सारी टेक्निकल स्टडी और इंडिकेटर प्राइस बेहेवियर के बारे में होते हैं प्राइस एनालिसिस के लिए सबसे अधिक कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग होता हैं क्यूंकि एक कैंडलस्टिक पूरा दिन के ट्रेडिंग का Open-High-Low प्राइस का पिक्टोरियल रेप्रेसन्टेशन देती हैं यानी की वो स्टॉक किस प्राइस पे खुला कितना ऊपर गया और कितना निचे गया। advanced स्टडी के लिए कैंडलस्टिक पैटर्न आदि के बारे में जाना जा सकता हैं।

Price-Price बेहेवियर के बारे में जानने के लिए आप कैंडलस्टिक और मूविंग एवरेज का उपयोग कर सकते हैं।
Volume-Volume एनालिसिस करके आप प्राइस के सपोर्ट में वॉल्यूम को देख सकते हैं की प्राइस के साथ वॉल्यूम का क्या रेलशनशिप हैं जिससे की प्राइस का ट्रेंड बढ़ने और घटने के संकेत मिलते हैं। ये सब आप चार्ट पे देख सकते हैं।
Momentum-Momentum इंडिकेटर गाडी में स्पीडोमेटेर की तरह काम करता हैं जिससे ये पता लगता हैं की Price में कितनी तेज़ी हैं और कब उसकी तेज़ी हलकी हो जायगी इन सबके लिए आप R.S.I जैसे इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।
Support & Resistance -Support & Resistance डिमांड और सप्लाई पे चलते हैं। ये एक जोन होता हैं जहा ये पता लगता हैं की स्टॉक का सपोर्ट और रेजिस्टेंस कहा पे हैं ये सब आप कैंडलस्टिक और trend-line या हॉरिजॉन्टल लाइन के मदद से उस जोन का पता लगा सकते हैं चार्ट के ऊपर । या फिर किसी अन्य इंडिकेटर का उपयोग करके।
Time Frame-Time फ्रेम भी बहुत महत्वपूर्ण होता हैं की आप किस टाइम फ्रेम पर चार्ट एनालिसिस और इंडिकेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं LongTerm Chart एनालिसिस के लिए या फिर short Term चार्ट एनालिसिस के लिए।

Note-इस ब्लॉग लेख में जो जानकारी दी गयी हैं वो केवल इनफार्मेशन और एजुकेशन के लिए हैं किसी भी निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह ले ।

शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट कर सकते है । Share market for beginners।

शेयर मार्केट को हम आज आसानी से समझेंगे share market ko beginners कैसे स्टार्ट कर तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे सकते है इसके बारे में हम आज विस्तार से समझेंगे ।
कही न कही ये बात हम लोगो के मन में जरुर आती है । की शेयर बाजार में सभी जाना क्यों चाहते है ?
तो चलिए हम आप को इसका जवाब दिए देते है ,

शेयर बाजार (stock market) :

शेयर बाजार तो शब्दों से मिल कर बना है शेयर, और बाजार पहले हम बाजार समझ लेते है और इसके बाद शेयर समझें,
सरल शब्दों में कहे तो शेयर बाजार जैसा की आप लोगो को पढ़ने में समझ आ रहा है बाजार जी हा बाजार आप ने सही सुना यह एक प्रकार की बाजार ही है जहा शेयर को खरीदा और बेचा जाता है,

शेयर किसी भी कम्पनी की हिस्सेदारी की सबसे छोटी इकाई है,यदि आप के पास किसी भी कम्पनी के शेयर है तो छोटा सा ही भाग सही लेकिन आप उस कम्पनी के हिस्सेदार है और जब कम्पनी लाभ कमाती है तो आप के हिस्से के अनुसार डिविडेंट के तौर पर आप को भी लाभ मिलता है।

किसके लिए है शेयर बाजार:

देखिए शेयर बाजार उनके लिए है जिनके पास पैसा है और वो लोग उस पैसे से और पैसा कमाना चाहते है।
आप सब ने वो कहावत तो सुनी हि होगी की पैसे से ही पैसा आता आता है

वो बात यहां सही साबित होती है क्यूंकि जब आप के पास पैसा होगा तो आप यहां किसी भी कम्पनी के शेयर खरीद और बेच सकते है आसानी से समझे किसी भी शेयर को सस्ते दाम में खरीदे और अच्छे भाव आने पर उसे बेच कर अपना लाभ कमा के निकल जाए।

किसके लिए नही है शेयर बाजार:

अगर आप उन लोगो में से है जो अपने पैसों से 1 प्रतिशत का भी रिस्क नहीं लेना चाहते है तो आप लोगो को मेरा यही सुझाव होगा की आप लोग उससे जितनी दूरी बना सके उतनी दूरी बना के रखे क्योंकि यहां क्या होता है कि अगर आप को अच्छा लाभ होता है तो अच्छा खासा कभी कभी हानि भी होती है

अगर फिर भी आप ने कही से सुन रखा है शेयर मार्केट में तो बहुत अच्छा लाभ मिलता है तो आप गलत है इसे इस प्रकार से समझे की यह एक प्रकार का ब्वयसाय है और आप को तो पता ही है ब्वसाय में हानि और लाभ की संभावना दोनो की बनी रहती है।

शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट कर सकते है । Share market for beginners। .jpg

निवेशक (invester) के प्रकार :

शेयर में invet या ट्रेड करने से पहले आप को समझना पड़ेगा आप किस प्रकार के इन्वेस्टर है निवेशक दो प्रकार के होते है।

Inteaday ट्रेडर :

ये वो लोग होते है जो एक दिन में कुछ लाभ कमा कर मार्केट से बाहर आ जानते है , बहार आ जाने का मतलब आज ही शेयर खरीदे और आज ही मार्केट बंद होने से पहले बेच दिए।

Swing ट्रेडर:

वो लोग होते है जो आज ट्रेड ले कर एक या एक से अधिक कितने भी दिन तक शेयर रखते है और लाभ हो या हानि फिर ट्रेड से बाहर आते है वैसे स्विंग ट्रेडर भी दो प्रकार के होते है।
1- शॉर्ट टर्म:- शॉर्ट टर्म ट्रेडर यानी किसी भी ट्रेड को 1 महीना 2 महीना या 4 महीना तक होल्ड करते है।

2- लॉग टर्म:- जो लोग वेल्थ बनाते है न वो लोग लोग टर्म इन्वेस्टर होते है ये लोग किसी भी शेयर को 20-20 साल तक होल्ड करते है ।

ट्रेडिंग खाता (Demat account) खोलें :

यही समय है जब आप अपना damat खाता खोले अब आप लोग कहेंगे ये क्यों अरे मेरे साथियों थी वह स्थान है जहा पर खरीदे हुवे शेयर रखे जाते है ये बस उसी तरह है जैसे आप का बैंक खाता इसका उपयोग आप अपने रूपयो को रखने के लिए करते है न डीमैट अकाउंट का उपयोग आप अपने शेयर रखने के लिए किया जाता है।

अभी डीमैट खाता (damat account ) खोलने के लिए क्लिक करे

आखिर कितना रिस्क ले :

आप को बताते चले अगर आप स्टॉक मार्केट स्टार्ट कर रहे है तो आप छोटे धन से ही ट्रेड करे शुरुवात में आप इस धन को अपना ट्यूशन फीस समझ के ट्रेड करे यानी अगर चले भी जाए तो सोच सीखने को कितना मिला और है डीमैट अकाउंट में उतना ही पैसा ऐड करे जितने रुपए अगर लॉस भी हो जाए तो आप को कोई प्रोब्लम न हो और हा जल्दीबाजी बिल्कुल न करे अच्छे से समझे और फिर ट्रेड या निवेश करे।

तकनीकी विश्लेषण (Technical analysis) कैसे करे :

देखिए सभी लोगो को तो सभ कुछ पता नहीं हो सकता उसी प्रकार से टेक्निकल एनालिसिस सभी को पहले से ही तो पता नहीं होती इस लिए तकनीकी विश्लेषण करना आप को धीरे धीरे से सीखना ही होगा टेक्निकल एनालिसिस ही वह चीज है जिसके आधार पर तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे सभी छोटे और बड़े ड्रेडर ट्रेड करते है

echnial analysis कर के ही प्राइस को आधार मन कर हम गड़ना कर सकते है की कोई स्टॉक किस तरफ मूव करेगा डाउन साइड अथवा अप साइड टेक्निकल एनालिसिस आप लोग tredingview पर कर सकते है। और आखिरी में यही कह सकता हु आप लोग हमारी website पर भी technical analysis देख सकते है इससे आप का टाइम भी बचता है।

शेयरों में निवेश करने में आपकी मदद करता है टेक्निकल एनालिसिस

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके है.

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बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं.

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके हैं, जिनकी अपनी खुद की कार्यशैली और ढांचा है.

बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं. इनके जरिए वे प्राइस मूवमेंट को समझ सकते हैं और बेहतर ढंग से फैसले ले सकते हैं.

टेक्निकल एनालिसिस यानी तकनीकी विश्लेषण ऐसा ही एक उपाय है. इसकी मदद से निवेशक रुझानों का विश्लेषण, मूल्य औसत का अनुमान, मार्केट की अस्थिरता का आंकलन कर सकते हैं.

कई ट्रेडर्स सिक्योरिटीज की सप्लाई-डिमांड और बाजार के मनोविज्ञान को गहराई से समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं. आइए नजर डालते हैं कुछ सरल तकनीकी संकेतकों पर जो बेहतर सूझ-बूझ के साथ निर्णय लेने में ट्रेडर्स की मदद करते हैं.

एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज (ईएमए)
एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज को सामान्य तौर पर एक्सपोनेंशियली वेटेड मूविंग एवरेज समझा जाता है, जो सबसे हालिया डाटा बिंदुओं पर महत्वपूर्ण ढंग से काम करता है.

वह चीज जो ईएमए को सिंपल मूविंग एवरेज यानी एसएमए से अलग करती है, वह यह है कि यह हालिया प्राइस मूवमेंट पर बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया देता है, जबकि एसएमए पूरी अवधि के सभी परीक्षणों पर बराबर जोर देता है.

पैराबोलिक एसएआर
जे. वेल्स वाइल्डर जूनियर (सापेक्षिक शक्ति सूचकांक, आरएसआई के जनक) द्वारा विकसित किया गया पैराबोलिक एसएआर एक तकनीकी संकेतक है जो किसी परिसंपत्ति की बढ़ रही कीमत की दिशा निर्धारित करने के लिए लागू किया जाता है. जब कीमत की दिशा बदल रही है तो यह उसे उजागर करने में भी मदद करता है.

इसे वैकल्पिक रूप से "स्टॉप ऐंड रिवर्सल सिस्टम" के रूप में जाना जाता है. स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करने के लिए पैराबोलिक एसएआर का उपयोग करने जैसे अन्य मापदंड भी हैं.

उदाहरण के लिए, स्टॉक मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने पर पैराबोलिक एसएआर संकेतक से मेल बैठाने के लिए स्टॉपलॉस को स्थानांतरित किया जा सकता है. यह एक छोटे ट्रेड के लिए भी लागू किया जा सकता है. आप देख सकते हैं कि जब कीमत गिरती है, तो संकेतक भी यही इशारा करता है.

टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करने के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं

रुझानों के विश्लेषण में मिलती है मदद
टेक्निकल एनालिसिस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह निवेशकों और ट्रेडर्स को एक निश्चित मात्रा में सटीकता के साथ बाजार के रुझान का अनुमान लगाने में मदद करता है. चार्ट एनालिसिस ऊपर, नीचे और साइड के रुझानों के अनुमान में मदद कर सकता है.

शुरुआती संकेत उपलब्ध कराता है

टेक्निकल एनालिसिस शुरुआती चिन्ह और संकेत प्रदान करने में मदद करता है. साथ ही, यह निवेशकों और व्यापारियों के निर्णयों के पीछे के मनोविज्ञान को समझने में भी मदद करता है.

मूल्य-मात्रा का विश्लेषण भी बाजार निर्माताओं की गतिविधियों को इंगित करता है. टेक्निकल एनालिसिस का एक और प्रमुख लाभ यह है कि यह रुझान के पलटने पर शुरुआती चेतावनी के संकेत देता है.

गहराई से जानकारियां उपलब्ध कराता है
टेक्निकल चार्ट उन तमाम सूचनाओं को प्रदान करते हैं जो ट्रेडर्स और निवेशकों को अपनी जगह बनाने और ट्रेड्स को मजबूत बनने में मदद कर सकती हैं. मार्केट अस्थिरता के बारे में जानकारी, ट्रेडर के मनोविज्ञान की जानकारी और बाजार की गति इत्यादि. टेक्निकल एनालिसिस द्वारा प्रदान की जाने वाली इस तरह की जानकारियों के कुछ उदाहरण हैं.

टेक्निकल एनालिसिस स्विंग ट्रेडिंग, लघु अवधि के ट्रेड और दीर्घकालिक निवेश के लिए सहायक है और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में ट्रेडर्स द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

टेक्निकल एनालिसिस एक कला और विज्ञान है और यह सभी ट्रेडर्स के लिए एक प्रभावी इक्पिमेंट है. इसे व्यवस्थित करने से ट्रेडर्स को शेयर बाजार में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.


(इस लेख में दी गई सलाह विश्लेषकों की अपनी निजी राय है. ईटी मार्केट्स का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं है. शेयरों में किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय अवश्य लें.)

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शेयर बाजार में Trend को कैसे पहचाने ? up trend down trend । Stock technical analysis

किसी भी स्टॉक के ट्रेंड (Trend) को पहचानने के लिए हमे एक लाइन खींचनी पड़ती है इसे ही ट्रेंडलाइन कहते है ट्रेंडलाइन खींचने के लिए हमे स्टॉक के रिसेंट हाई या रिसेंट लो को मिलना होता है ट्रेंड लाइन यदि ऊपर की ओर जाती हुई दिखाई दे तो इसे अपट्रेंड कहते है, और अगर ट्रेंड लाइन नीचे की ओर जाती हुई दिखाई दे तो हमे मालूम चलता है की ये स्टॉक डाउनट्रेंड में है।

शेयर बाजार में Trend को कैसे पहचाने

ट्रेंड 3 प्रकार के होते है।

ट्रेंड एक technique है जिसका उपयोग टेक्निकल एनालिसिस करने में किया जाता है इससे हम किसी भी स्टॉक में आगे क्या होंगा वो ऊपर जाए गा या नीचे इसका पता लगा सकते है और ये सब पिछले डाटा के हिसाब से ज्ञात होता है पिछले कुछ समय में कितना खरीदा गया या कितना बेचा गया किस प्राइस तक गया और नीचे आ गया इत्यादि

नोट: आप लोगो ने वो कहावत तो सुनी ही होगी इतिहास खुद को दोहराता है। वैसे ही ट्रेंड Trend में है कोई भी स्टॉक कहा को मूव करेगा इसका अनुमान ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस कर के पीछे जो हो चुका होता है उसी से अनुमान लगाते है।

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.

Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें

Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.

पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?

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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.

जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.

पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :

पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)

सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :

सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर

सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :

रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर

रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.

टाइम फ्रेम

ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स तकनीकी विश्लेषण को कैसे समझे का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.

पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?

पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.

पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?

पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.

पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.

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