भारत का तर्क यह है कि दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा जिस तरह से पूंजी का प्रवाह किया जा रहा है उसकी वजह से मुद्रा के प्रबंधन के लिए उसके लिए ऐसा हस्तक्षेप जरूरी था. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले साल कहा था कि अमेरिका को किसी देश को 'मैनिपुलेटर' का तमगा देने की जगह उसके मुद्रा भंडार की भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में जरूरत के बारे में बेहतर समझ रखनी चाहिए.

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Explainer: अमेरिका ने भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर' की लिस्ट में डाल दिया है, जानें- क्या होगा इसका असर

अमेरिका ने भारत के प्रति दिखायी है सख्ती

  • नई दिल्ली ,
  • 18 दिसंबर 2020,
  • (अपडेटेड 18 दिसंबर 2020, 1:33 PM IST)
    भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में
  • अमेरिका ने भारत के प्रति दिखायी है सख्ती
  • भारत पर लगाया करेंसी मैनिपुलेशन का आरोप
  • रिजर्व बैंक की डॉलर खरीद पर US की टेढ़ी नजर

अमेरिका ने भारत के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी चीन, ताइवान जैसे दस देशों के साथ 'भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में करेंसी मैनिपुलेटर्स' यानी मुद्रा में हेरफेर करने वाले देशों की 'निगरानी सूची' में डाल दिया है. इसका भारत पर क्या होगा असर और इसका क्या मतलब है? आइए जानते हैं.

भारत को ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की लिस्ट में डाल अमेरिका ने दिया बड़ा झटका, जानिए क्या है इसका मतलब

भारत को

US Adds India to Currency Manipulator Monitoring List: अमेरिका ने पहले की तरह एक बार फिर भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में भारत को तगड़ा झटका दिया है. उसने भारत को ‘करेंसी भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में मैनिपुलेटर्स’ (मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाले देश) की निगरानी सूची में डाल दिया है (Currency Manipulator Watchlist Meaning). इसपर भारत ने मंगलवार को जवाब देते हुए कहा है कि इसका कोई भी तर्क समझ से परे है. भारत के वाणिज्य सचिव अनूप वाधवा ने कहा, ‘मुझे इसमें कोई आर्थिक तर्क समझ नहीं आता.’ उन्होंने बताया कि भारत का रिजर्व बैंक एक ऐसी पॉलिसी को अनुमति देता है, जिसके अंतर्गत मार्केट फोर्सेज के अनुरूप मुद्रा का संग्रह किया जाता है.

भारत को क्या भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में करने को कहा गया?

अमेरिका की इस रिपोर्ट में लिखा है कि वस्तुओं के मामले में साल 2020 में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष 24 अरब डॉलर था. जिसमें सेवाओं का 8 अरब डॉलर का वित्तीय अधिशेष भी शामिल है. रिपोर्ट में भारत को सलाह देते हुए कहा है कि भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में उसे (भारत) विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप को सीमित करना चाहिए. भारत को ऐसा अधिक रिजर्व जमा किए बिना करना चाहिए (US Currency Watchlist Meaning). गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत को लेकर ये कदम उठाया है. इससे पहले 2018 में भी भारत को सूची में डाला गया था लेकिन फिर 2019 में हटा दिया था.

‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की सूची में शामिल होना भारत के लिए अच्छी खबर कतई नहीं है. इसे लेकर अर्थशास्त्री कहते हैं कि अमेरिका के इस कदम से भारत को विदेशी मुद्रा बाजार में आक्रामक हस्तक्षेप करने में परेशानी आएगी. हालांकि अमेरिका के लिए ऐसा करना कोई नई बात भी नहीं है (What is Currency Manipulator List). वह समय-समय पर अलग-अलग देशों को सूची में डालता है. भारत के अलावा चीन को भी कई बार सूची में शामिल किया गया है. अमेरिका का ऐसा मानना है कि वह सूची में उन देशों को ही डालता है, जो ‘मुद्रा के अनुचित व्यवहार’ को अपनाते हैं, ताकि डॉलर के मुकाबले उनकी खुद की मुद्रा का अवमूल्यन हो सके.

कोई देश ऐसा क्यों करेगा?

अब सवाल ये भी उठता है कि बेशक कोई देश अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करने की कोशिश करता हो, लेकिन वो ऐसा करता क्यों है? तो ऐसा कोई देश इसलिए करता है कि ताकि इसकी सहायता से कृत्रिम रूप से उसकी मुद्रा घट सके और वह अन्यों से अनुचित लाभ भी ले सके. मुद्रा का अवमूल्यन करने से फायदा ये होगा कि उस देश से निर्यात की लागत में कमी आ जाएगी और इससे फिर व्यापार घाटे में भी कृत्रिम तौर पर कमी देखी जा सकेगी.

किस देश को ‘करेंसी मैनिपुलेटर्स’ की सूची में शामिल करना है और किसे नहीं, इसके लिए विभिन्न पैरामीटर्स देखे जाते हैं. अमेरिका इसमें देखता है कि संबंधित देश में एक वित्त वर्ष में व्यापार अधिशेष किस तरह और कितना बढ़ा है. इसके साथ ही देश की कुल जीडीपी और उसमें से की गई मुद्रा भंडार की खरीब को भी देखा जाता है (Currency Manipulator Watch List). भारत को इस सूची में शामिल करने के पीछे का कारण केंद्रीय रिजर्व बैंक भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में द्वारा डॉलर की खरीद और व्यापार अधिशेष में होने वाली वृद्धि को बताया गया है.

अमेरिका का हैरान करने वाला कदम, भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में भारत को भी 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' देशों की निगरानी लिस्ट में डाला

अमेरिकी कदम से भारत को हैरानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

  • नई दिल्ली ,
  • 17 दिसंबर 2020,
  • (अपडेटेड 17 दिसंबर 2020, 8:52 AM IST)
  • अमेरिका ने भारत के प्रति दिखायी सख्ती
  • भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' की सूची में रखा
  • इस सूची में दस देशों को शामिल किया गया है

अमेरिका ने भारत के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी चीन, ताइवान जैसे दस देशों के साथ 'करेंसी मैनुपुलेटर्स' यानी मुद्रा में हेरफेर करने वाले देशों की 'निगरानी सूची' में डाल दिया है. अमेरिका ने भारत ​सहित जिन दस देशों को इस सूची में डाला है. वे सभी इसके बड़े व्यापारिक साझेदार हैं.

भारत 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' लिस्ट में

अमेरिका के ट्रेड फैसिलिटेशन एंड ट्रेड इनफोर्समेंट एक्ट, 2015 के अनुसार यदि कोई देश निम्नलिखित तीन में से दो मानदंडों को पूरा करता है, तो उसे वॉच लिस्ट/ मॉनिटरिंग लिस्ट/ निगरानी सूची में रखा जाता है :

1. यदि लगातार 12 महीनों से कोई देश अमेरिका के साथ अत्यधिक व्यापार अधिशेष की स्थिति में है।

2. यदि वह देश 12 महीनों की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के कम से कम 2 प्रतिशत के बराबर चालू भारत करेंसी मैनिपुलेटर्स लिस्ट में खाता अधिशेष की स्थिति में है।

3. यदि विगत 12 महीनों (या कम से कम 6 महीनों में) में किसी देश द्वारा उस देश की जी.डी.पी. के कम से कम 2% के बराबर की विदेशी मुद्रा खरीद लगातार की जा रही है।

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