बताया जा रहा है कि राज्य में इस साल खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए कई किसान शरदकालीन गन्ना की खेती कर रहे हैं। गन्ने की खेती से इस साल किसानों को अधिक प्राप्त हो इसके लिए बिहार गन्ना उद्योग विभाग जैव उर्वरक और कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट खाद पर सब्सिडी देने का फैसला लिया है। बिहार सरकार का मानना है कि इससे फसल की लागत में कमी आएगी। साथ ही राज्य में गन्ने की जैविक खेती को बढ़ावा मिलगा और पैदावार भी बढ़ेगी। बिहार सरकार का कहना है कि शरदकालीन गन्ना की बुवाई 15 सिंतबर से 30 नवंबर तक की जाती है। बुवाई के बाद गन्ने की खेती में उर्वरक प्रबंधन का काम किया जाता है। गन्ने की खेती में बेधक कीटों के संकट से निपटने के लिए पहले से ही फसल को मजबूत बनाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बिहार सरकार गन्ना की जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है, वहीं, रोग रहित पैदावार बढ़ाने के लिए बायो फर्टिलाइजर और वर्मी कंपोस्ट की खरीद पर किसानों को अनुदान दिया जा रहा है।
सीएम योगी के बुलावे पर उत्तर प्रदेश में निवेश को उत्साहित विदेशी निवेशक, दो महत्वपूर्ण एमओयू पर हुए साइन
विभिन्न देशों से उत्तर प्रदेश में बड़ा निवेश लाने के प्रयास में जुटी टीम योगी को हर नए दिन की शुरुआत के साथ नए और सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। टीम योगी के इन प्रयासों का नतीजा है कि विभिन्न देशों के निवेशक न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बड़े निवेश के लिए तैयार हैं बल्कि वो फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हिस्सा लेने को भी बेताब हैं।
इसी क्रम में मंगलवार को भी विभिन्न देशों में टीम योगी ने उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए दिग्गज निवेशकों से मुलाकात की और उन्हें उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस, टूरिज्म समेत अनेक क्षेत्रों में निवेश का प्रस्ताव दिया। इस दौरान निवेशकों को प्रदेश में सुरक्षित निवेश, बेहतर माहौल और सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी के विषय में विस्तृत जानकारी दी। कई निवेशकों की ओर से अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश की रुचि जाहिर की गई, जबकि वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी की ओर से दो महत्वपूर्ण एमओयू पर भी साइन हुए। वहीं एग्रिस्टो बेल्जियम ने प्रदेश के फ़ूड सेक्टर में 2023 में 300 करोड़ रुपए के निवेश का इरादा जताया है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से प्रदेश में 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों की टीम विदेशों में रोड शो व वन टू वन बिजनेस मीटिंग के जरिए निवेशकों को आमंत्रित कर रही है।
मांट्रियल में किया गया रोड शो
इकॉनमी के मोर्चे पर भारत से बढ़त हासिल करने वाले पड़ोसी की हालत क्यों हुई खस्ता?
श्रीलंका की इकोनॉमी बेपटरी होने के बाद अब हालात पड़ोसी देश बांग्लादेश में बिगड़ रहे हैं. पिछले दो दशक से तेजी के साथ आगे बढ़ी अर्थव्यवस्था के लिए ये बहुत बड़ा झटका है. खासकर 2017 के बाद से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था ने जिस तरह की गति पकड़ी थी उस पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है. बांग्लादेश की यह हालत पच इसलिए नहीं रही है, क्योंकि 2020 में इस देश ने प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत को भी पीछे छोड़ दिया था. अब संकट ऐसा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आगे हाथ फैलाने पड़े हैं. IMF ने 4.5 बिलियन डॉलर (37 हजार करोड़ रुपये) आर्थिक सहायता देने का ऐलान भी कर दिया है. उधर देश में बढ़ रहे आर्थिक संकट को भुनाने के लिए विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी लगातार विरोध प्रदर्शन और रैलियां कर रही है. पार्टी लगातार इस मुद्दे को लेकर आवामी लीग सरकार और उसकी नेता प्रधानमंत्री शेख हसीना पर हमलावर है.
ये है खराब इकोनॉमी का कारण
खास बात ये है कि बांग्लादेश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था कारण इस बार सकल घरेलू उत्पाद यानी की GDP नहीं है. जीडीपी के लिहाज से बांग्लादेश लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. आंकड़ों के हिसाब से 2020 में बांग्लादेश की जीडीपी 3.4% रही थी, 2021 में यह बढ़कर 6.9 हो गई थी और 2022 में भी इसके 7.2% रहने का अनुमान है. सवाल ये है कि फिर आखिर दिक्कत कहां हैं. IMF की मानें तो महामारी के बाद बांग्लादेश की इकोनॉमी पटरी पर आने में सबसे बड़ी बाधा यूक्रेन युद्ध बन गया है. इससे चालू खाता घाटा बढ़ा है और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ी है और विकास दर घट गई है.
यूक्रेन-रूस युद्ध से कच्चे तेल के दाम पर असर पड़े, जिससे सभी प्रकार की वस्तुएं महंगी हुईं और इससे मुद्रास्फीति में भी उछाल आया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2021 में जो मुद्रास्फीति 5.98% पर थी वह नवंबर में 8.85% पर पहुंच गई. लास्ट 12 महीनों में मुद्रास्फीति बढ़ने की दर 7.48% रही जो पिछले साल महज 5.48% रही थी. इसके अलावा बांग्लादेश का चालू खाता भी शेष घाटे में चला गया. चालू खाता शेष घाटे में तब जाता है जब निर्यात के मुकाबले आयात ज्यादा होता है. बांग्लादेश अभी तक अपनी निर्यात आय पर ज्यादा निर्भर रहा है, बांग्लादेश की मुद्रा भी डॉलर के मुकाबले लगातार गिरती जा रही है. दिसंबर 2021 में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बांग्लादेशी करेंसी की कीमत 86 थी, वह वर्तमान में बढ़कर 105 तक पहुंच गई है. इसके अलावा विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आई है, पिछले साल जो मुद्रा भंडार 46,154 मिलियन डॉलर था वह घटकर अब 33,790 मिलियन डॉलर रह गया है.
हिंदुस्तान फूड्स ने रेकिट का बद्दी प्लांट खरीदा, जानिए कंपनी कैसे कारोबार बढ़ाने पर कर रही है फोकस?
नई दिल्ली: हिंदुस्तान फूड्स लिमिटेड ने कहा है कि उसने रेकिट बेंकाइजर हेल्थ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के हिमाचल प्रदेश में मौजूद बद्दी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को 156 करोड़ रुपए कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए में खरीद लिया है. हिंदुस्तान फूड्स लिमिटेड अब आपने हेल्थकेयर और वैलनेस बिजनेस को बढ़ाना चाहती है. बिजनेस ट्रांसफर एग्रीमेंट के तहत कई शर्तों का पालन करने के बाद यह प्लांट हिंदुस्तान फूड्स लिमिटेड के पास आ पाएगा. उम्मीद कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए की जा रही है कि साल 2023 की दूसरी छमाही में इस फैसिलिटी के अधिग्रहण का काम पूरा हो जाएगा.
Success Story: दो लाख की पूंजी, ई-कॉमर्स का पंख, भारत गुप्ता ने 4 साल में पांच करोड़ किया आउटलुक कलेक्शन का कारोबार
हिंदुस्तान फूड्स द्वारा रेकिट के इस प्लांट को खरीदने में लैंड ट्रांसफर के लिए राज्य सरकार की मंजूरी भी जरूरी है. इसके साथ ही कंपनी को दी गई अप्रूवल, लाइसेंस, परमिशन आदि पर भी मौजूदा नियम के हिसाब से ट्रांसफर करने में समय लग सकता है.
खाद सब्सिडी : गन्ना किसानों को उर्वरक पर मिलेगी 50 प्रतिशत की सब्सिडी
भारत में मुख्य रुप से गन्ने की खेती नगदी फसल के लिए की जाती है। इसकी खेती लगभग हर राज्य में बड़े स्तर पर होती है। गन्ना, राज्यों की नहीं बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है। गन्ने की खेती देश में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है। तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संपूर्ण भारत में गन्ने की औसत उत्पादकता लगभग 720 क्विटल/हेक्टेयर है। गन्ना उत्पादक में उत्तर-प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, पंजाब, हरियाणा व बिहार आदि प्रमुख राज्य है। गन्ने का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तरप्रदेश राज्य से होता है, जो कि कुल उत्पादन का करीब 50 प्रतिशत है। वहीं, बिहार में करीब 2.40 लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती होती है। कई राज्य सरकारें गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन कर रहे है। इसके लिए राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर योजनाएं भी चला रही है। इस क्रम में बिहार सरकार इस साल मुख्यमंत्री गन्ना विकास कार्यक्रम के जरिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। राज्य में गन्ना उत्पादन को बढ़ने के लिए किसानों को बीच जागरुकता फैलाई जा रही है। बिहार सरकार गन्ना खेती में लागत को कम करने लिए इस साल राज्य में गन्ना की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने का निर्णय लिया है। बता दें कि इस साल खरीफ फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों ने गन्ना की शीतकालीन फसल भी लगाई है।
गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए फर्टिलाइजर पर अनुदान
दरअसल किसानों को गन्ने की खेती करने में बुुवाई से लेकर कटाई तक में कई तरह के चुनौती पूर्ण कार्य करने में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। गन्ने की खेती में ज्यादा समय एवं मजदूरों की आवश्यकता होती है। जिस वजह से गन्ने की खेती में लागत अधिक होती है और उत्पादन कम आता है। बढ़ती खेती की लागत के चलते किसानों का रुझान गन्ना की खेती में कम हुआ है। राज्य में गन्ना खेती करने वाले किसान को आर्थिक संकट से बचाने एवं गन्ना की पैदावार बढ़ाने के लिए बिहार गन्ना उद्योग विभाग की ओर से बायो फर्टिलाइजर और कंपोस्ट खाद की खरीद पर किसानों को 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। विभान की ओर से गन्ना की खेती करने वाले किसानों को जैव उर्वरक और कार्बनिक पदार्थों वाली वर्मी कंपोस्ट खाद की खरीद पर 150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान राशि देने का प्रावधान किया है। एक हेक्टेयर के लिए 25 क्विंटल तक खपत होती है। इस स्कीम का फायदा अधिकतम 2.5 एकड़ यानी 1 हेक्टेयर जमीन पर मिलेगा। इस हिसाब से गन्ना की खेती करने वाला हर किसान अधिकतम 3,750 रुपए तक का अनुदान मिल सकता है।
अतिरिक्त आय के लिए इन सह-फसलों को उगा सकते हैं
गन्ना कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस आधुनिक दौर में नई तकनीक की मशीनों से गन्ने की खेती लागत में कमी हुई है। नई तकनीक की मशीनों एवं तकनीकों के आने से अब गन्ने की खेती करना आसान हो गया है। गन्ने की फसलों के पैदावार में बढ़ोतरी एवं गुणवत्ता में वृद्धि हुइ है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान गन्ना फसलों के साथ आलू, चना, राई और सरसों की सह-फसल की खेती कर गन्ना की फसल से दो से चार गुना तक अधिक उत्पादन ले सकते हैं। इसके अलावा किसान इसकी खेती में मधुमक्खी पालन अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह सह-फसल की खेती में खाद-उर्वरक और सिंचाई के लिए अलग से खर्च नहीं करना पड़ता, बल्कि गन्ना की फसल में लगे संसाधनों से ही आपूर्ति हो जाती है।
बिहारा सरकार राज्य में गन्ना पैदावार बढ़ाने के लिए गन्ना खेती करने वाले किसानों को खाद, बीज पर अनुदान, उपज बेचने के लिए समुचित बाजार की व्यवस्था और खेती में नई तकनीक मशीनों के उपयोग के लिए सब्सिडी, बकाया राशि का भुगतान करने जैसी तमाम तरह की सहूलियत दे रही है। बिहार कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रेंच विधि से गन्ना की खेती करने वाले किसान यदि फसल की सही देखभाल करें तो 250 से 350 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं। ट्रेंच विधि में गन्ना फसल खरपतवार से नियंत्रित भी रहती है और कतार बद्ध भी रहती है। इस विधि से उगाए गए गन्ने के रस में शक्कर की मात्रा भी ज्यादा होती है। साथ ही गन्ने की मोटाई भी सही रहती है।
PAN Card Uses: कैसे विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए इन काम के लिए जरूरी है पैन कार्ड, बिना इसके अटक सकता है मामला
PAN Card Apply: आयकर विभाग की ओर से पैन कार्ड जारी किया जाता है. वहीं पैन कार्ड अगर लोगों के पास नहीं है तो उनके कुछ अहम काम भी अटक सकते हैं. इसके लिए वित्तीय लेनदेन के अलावा भी कई कामों के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता पड़ती है. आइए जानते हैं आखिर किन कामों के पैन कार्ड की जरूरत पड़ती है.
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