Updated on: November 05, 2022 20:24 IST
Sensex 61000 के पार, क्या आपको इक्विटी फंड के SIP में निवेश रोक देना चाहिए?
मार्केट में आई तेजी के बीच म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बनी हुई है। म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया है। AMFI के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में SIP से निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा
23 नवंबर को मार्केट खुलने पर सेंसेक्स में तेजी दिखी। सुबह 10 बजे यह 90 अंक की तेजी के साथ 61,509 अंक पर था। 22 नवंबर को यह 61,418 अंक पर बंद हुआ था। यह 11 नवंबर, 2022 के 61,795 अंक के अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गया है।
Sensex 61000 के पार निकल गया है। 23 नवंबर को मार्केट खुलने पर सेंसेक्स में तेजी दिखी। सुबह 10 बजे यह 90 अंक की तेजी के साथ 61,509 अंक पर था। 22 नवंबर को यह 61,418 अंक पर बंद हुआ था। यह 11 नवंबर, 2022 के 61,795 अंक के अपने ऑल-टाइम हाई के करीब पहुंच गया है। मार्केट में आई तेजी के बीच म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बनी हुई है। म्यूचुअल फंड्स में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए निवेश सबसे ऊंचे लेवल निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान पर पहुंच गया है। AMFI के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में SIP से निवेश 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा। इसका ज्यादातर हिस्सा म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में गया। इससे यह संकेत मिलता है कि शेयरों को लेकर इनवेस्टर्स का उत्साह बना हुआ है। हालांकि, ग्लोबल इक्विटी मार्केट में तेज करेक्शन देखने को मिला है।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मार्केट चाहे किसी लेवल पर हो, आपको अपना इनवेस्टमेंट जारी रखना चाहिए। SIP लंबी अवधि में लगातार निवेश के लिए सबसे अच्छा माध्यम है। हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मार्केट हाई पर होने की स्थिति में आप शेयरों को महंगे भाव पर खरीदते (एमएफ के जरिए) हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अगर मार्केट में शेयर महंगे हैं तो क्या आपको अपना SIP रोक देना चाहिए?
Indian Stock Market में निवेश करने से पहले beginners इन 5 टिप्स को जान लें, कभी भी उनके खरीदे शेयर डूबेंगे नहीं
Indian Stock Market: अगर आप beginners हैं और भारतीय शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं तो आपका पैसा ना डूबे इसके लिए आप हमारे द्वारा बताए जा रहे पांच टिप्स को फॉलो करें।
Written By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: November 05, 2022 20:24 IST
Photo:INDIA TV शेयर बाजार में निवेश करने से पहले beginners ये जान लें
Indian Stock Market: भारतीय युवा आज के समय में शेयर बाजार में निवेश करने को लेकर काफी उत्साहित नजर आते हैं। नौकरी (Job) लगते के बाद ही कई बार ये युवा थोड़ी बहुत बची हुई सेविंग (Saving) को शेयर में निवेश कर देते हैं। कुछ के तो पूरे पैसे भी डूब जाते हैं। ऐसे में अगर आप भी नए हैं और निवेश करने को लेकर सोच रहे हैं तो पैसा इन्वेस्ट करने से पहले हमारे द्वारा बताए जा रहे इन पांच बातो को जान लें।
1. एक ही एसेट क्लास में जरूरत से ज्यादा निवेश न करे
वॉरेन बफेट हमेशा कहते हैं कि सभी अंडों को एक ही टोकरी में नहीं रखना चाहिए। इसलिए हमेशा अपना फाइनेंशियल पोर्टफोलियो अलग-अलग जगहों पर निवेश करके तैयार करें। इसे डाएवर्सिफिकेशन कहा जाता है। यह तब होता है जब अपने पैसों को एक से ज्यादा जगहों पर निवेश किया जाता है। जैसे कि अपने पोर्टफोलियो में इक्विटीज और डेट फंड का सही संतुलन होना चाहिए। कई भारतीयों के पास इक्विटीज को लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। ध्यान रखें कि FD, रियल एस्टेट और गोल्ड में एक जैसे ही हैं और लंबे समय के निवेश के बाद ये तीनो मंहगाई को मात देने वाले रिटर्न्स देते हैं।
2. अपने निवेश के फैसले को अमल में लाएं
कुछ लोग निवेश को लेकर बहुत जल्दबाजी कर देते निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान हैं। निवेश के लिए हमेशा सही समय का इंतजार करना चाहिए। और सही जानकारी मिलने पर अपनी सेविंग को निवेश के लिए इस्तेमाल कर लेना चाहिए। यह आपके निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान सेविंग अकाउंट में रखे गए पैसे से अधिक रिटर्न दे सकते हैं। इस दौरान जब तक आपके पास कुछ पैसे निवेश के लिए नहीं हो जाते हैं तब तक आप एक बार खुद से कुछ शेयर को खरीदें(ये शेयर आपने खरीदा है ऐसा सिर्फ नोट कर लें) और फिर दो-तीन दिन बात एक बार देखें कि आपने जिस शेयर पर पैसा लगाने का सोचा था उस पर कितना का प्रॉफिट हुआ है? इससे आपको शेयर बाजार समझने में मदद मिलेगी।
3. हर वक्त कुछ नया ढूंढ़ने का प्रयास
आप एक नए निवेशक हैं तो आपको एक बार भारतीय शेयर बाजार के ग्राफ को समझने की कोशिश करनी चाहिए। आप देखेंगे कि भारतीय शेयर बाजार ने 10 से 20 वर्षों में 14 फीसदी से लेकर 16 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की है। किस तरह के शेयर उछाल पर रहे और किसकी जमानत जब्त हो गई। वो दौर कैसा था किसकी सरकार थी सरकार की कैसी योजनाएं लागू रही। कितने रिफॉर्म आए। ये सारी बातें आपको निवेश की दृष्टि से मजबूत बनाने का काम करेंगे। ताकि आप एक सही इक्विटी का चुनाव कर सकें।
4. पिरियोडिक रिव्यू
अपनी संपत्ति का विश्लेषण कर लेना चाहिए। कुछ लोग नहीं करते नतीजन पैसे गवां बैठते है। संपूर्ण रूप से देख लें कि कितने एसेट्स है और क्या कदम उठाने चाहिए अपने निवेश को और मजबूत बनाने के लिए। साल में एक बार विश्लेषण जरूर करें। ऐसा करने से आप पता लगा सकते हैं कि कौन से एसेट अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और कौन नेगेटिव रिटर्न दे रहे हैं।
5. जल्दी अमीर बनने के लिए न करें गलत निवेश
जल्दी अमीर बनने के चक्कर में अक्सर लोग पर्याप्त समय नहीं देते और जल्दबाजी में ट्रेडिंग कर नुकसान के शिकार हो जाते हैं। लोग मंहगे स्टॉक्स खरीद लेते हैं और जब गिरावट आती है तो पैसे खोने के डर से बेच देते हैं। ऐसा करने से पैसा बनाने के बजाए खो देते हैं। इस मामले में जो पहली बार निवेश कर रहा है वो अधिक प्रभावित हो जाते हैं। इसलिए निवेश के समय धैर्य बनाए रखना चाहिए।
पर्सनल फाइनेंस: सिर्फ टैक्स या पैसे बचाने के लिए निवेश करना गलत, इन बातों को अपनाकर कमा सकते हैं ज्यादा मुनाफा
अनुशासित और सही निवेश आपको बिना कर्ज के जाल में फंसे धन बनाने और भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है। विशेषज्ञों के अनुसार जैसे ही इनकम शुरू हो वैसे ही इन्वेस्टमेंट शुरू कर देना चाहिए। आज बाजार में निवेश के लिए स्टॉक, यूनिट-लिंक बीमा योजना, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट, RD , म्यूचुअल फंड और नेशनल पेंशन सिस्टम सहित कई ऑप्शन उपलब्ध हैं। ऐसे में निवेश के लिए कोई भी स्कीम को चुनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
सिर्फ टैक्स या पैसे बचाने के लिए निवेश करना गलत
हमारे देश में निवेश को सीधे टैक्स बचाने या पैसों की बचत से जोड़ा जाता है और निवेश करने के लिए कोई उद्देश्य या लक्ष्य निर्धारित नहीं किए जाते हैं। इस कारण ज्यादातर लोगों को अपने पैसों पर उतना रिटर्न नहीं मिल पाता है जितना मिलना चाहिए। कई लोग टैक्स बचने के लिए जल्दबाजी में कहीं भी निवेश कर देते हैं, जो गलत है। आज कल टैक्स सेविंग के लिए भी बाजार में कई विकल्प मौजूद हैं, इसीलिए निवेश करने से पहले उपलब्ध सभी विकल्पों की ठीक से तुलना करनी चाहिए।
ज्यादा लम्बे लक्ष्य की बजाए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं
कभी भी बहुत ज्यादा समय के लिए या बड़े-बड़े लक्ष्य बनाने से बचना चाहिए। बड़े लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटना चाहिए। इससे आप अपने निवेश की सही से निगरानी भी कर सकेंगे। और मान लीजिए अगर आपका निवेश सही रिटर्न नहीं दे रहा है तो, आप कुछ समय बाद उसके मैच्योर होने पर उसे कहीं और निवेश कर सकते हैं।
जल्द से जल्द शुरू करें निवेश
निवेश शुरू करने का सबसे सही समय वही है जब आपकी इनकम शुरू हो जाए। जैसे ही आपकी आमदनी शुरू हो आपको अपनी कैपेसिटी के हिसाब से निवेश शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि कोरोना काल ने लोगों को सीखा दिया है कि बुरे वक्त में आपकी सेविंग ही आपके काम आती है, इसीलिए जल्द से जल्द निवेश के शुरुआत करना सही रहता है।
एक ही जगह न लगाएं पूरा पैसा
कभी भी अपना पूरा पैसा एक ही जगह निवेश नहीं करना चाहिए। आपको अपने पोर्टफोलियो में विविधता रखनी चाहिए, क्योंकि जरूरी नहीं कि आपने जहां पैसा लगाया है वो आपको रिटर्न दे ही। मान लीजिए आप दो जगह 100-100 रुपए निवेश करते हैं। पहले से आपको 10% का रिटर्न मिला और दूसरी जगह से 5% का नुकसान हुआ। तो ऐसे में भी आप फायदे में ही रहेंगे। वहीं अगर पहले से आपको 10% का नुकसान और दूसरी जगह से 5% का फायदा हुआ। तो ऐसे में भी दूसरी जगह से हुआ फायदा आपके नुकसान को कम कर देगा।
निवेश अवधि का रखें ध्यान
आप कितने समय के लिए अपना पैसा निवेश करना चाहते हैं या कर सकते हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि कई सेविंग स्कीम और योजनाएं लॉक इन पीरियड के साथ आती हैं। यानी इस पीरियड में आप अपना निवेश किया हुआ पैसा नहीं निकाल सकेंगे। इसीलिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप जहां निवेश कर रहे हैं उसमें लॉक इन पीरियड तो नहीं हैं और अगर है तो कितना है।
निवेश विकल्पों की ठीक से तुलना करना जरूरी
आपकी एक गलती आपकी सालों की कमाई बर्बाद कर सकती है। ऐसे में कहीं भी पैसा लगाने से पहले निवेश विकल्पों की तुलना ठीक से करना चाहिए। आपको देखना चाहिए कि किस स्कीम या योजना ने बीते सालों में कितना रिटर्न दिया हैं और यहां निवेश करना सुरक्षित है या नहीं।
Share Market में निवेश के लिए ब्रोकर चुन रहे हैं? इन 5 बातों का ख्याल रखें
मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अब तक 34 ब्रोकर डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं. इस साल अब तक 3 ब्रोकर डिफॉल्टर निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान हुए हैं.
ब्रोकिंग उद्योग के सूत्रों का कहना है कि ये डिफॉल्ट ज्यादातर ब्रोकरों द्वारा क्लाइंट सिक्योरिटीज और फंड के दुरुपयोग का परिणाम है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस तरह की प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए और कड़े मानदंडों की शुरुआत की है. जिसके बाद ये ब्रोकर उसकी अनुपालन नहीं कर सके और डिफॉल्टर हो गए.
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं तो ब्रोकर चुनने से पहले इन बातों का ध्यान रखें.
1. अपने मार्जिन पर ट्रेड करें
सबसे पहले, जिस बात का निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए वो क्लाइंट मार्जिन के अलगाव और आवंटन से जुड़ा है. रेगुलेटर द्वारा यह एक बड़ा कदम है जो 2 मई से प्रभावी होगा.
वर्तमान में ग्राहकों की व्यक्तिगत सीमा तय करना ब्रोकर के हाथ में है. ब्रोकर देखता है कि पिछले सप्ताह तीन ग्राहकों ने लेन-देन नहीं किया है, तो वह सात ग्राहकों के बीच अपनी 10 लाख रुपये की सीमा निर्धारित कर सकता है. इसे ऐसे समझें, ब्रोकर ग्राहकों के एक समूह से संबंधित धन का उपयोग दूसरों के लेन-देन के लिए कर सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI के नए नियम इस तरह के निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान मामलों पर नजर रखेगी. 2 मई से ब्रोकरों को CCIL की बेवसाइट पर एक फाइल अपलोड करनी होगी. जिसमें प्रत्येक ग्राहक को दी जाने वाली सीमा का ब्रेक-अप देना होगा. इस जानकारी के आधार पर CCIL यह सुनिश्चित करेगा कि कोई ग्राहक अपनी व्यक्तिगत सीमा से अधिक पोजीशन न लें.
Zerodha के COO वेणु माधव कहते हैं, "इन मानदंडों की शुरूआत का मतलब यह होगा कि कोई ग्राहक दूसरे ग्राहकों की सीमा का उपयोग करके उसके द्वारा जमा किए गए मार्जिन से अधिक की पोजीशन नहीं ले सकेगा."
2. फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा
अब फ्लोटिंग नेट वर्थ की अवधारणा पेश की गई है. ब्रोकरों को न्यूनतम नेट वर्थ के अलावा फ्लोटिंग नेट वर्थ भी मेंटेन करना होगा. मान लीजिए की एक ब्रोकर का एवरेज कैश बैलेंस 10,000 करोड़ रुपये है, उसे अब 1,000 करोड़ रुपये का नेट वर्थ बनाए रखना होगा. ब्रोकरों को फरवरी 2023 तक इस मानदंड का पालन करना होगा.
3. भुगतान में देरी से सावधान रहें
ब्रोकर के साथ खाता खोलने से पहले ऑनलाइन रिव्यू जरूर पढ़ें. एक्सचेंजों की वेबसाइटों पर ब्रोकर के खिलाफ शिकायतों की जांच करें. यदि आपको भुगतान में देरी, धन के गलत प्रबंधन, या अनधिकृत ट्रेडों से संबंधित शिकायतें मिलती हैं, तो उस ब्रोकर से बचें. हाई लीवरेज के वादे के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करने वाले किसी भी ब्रोकर से बचना चाहिए.
4. ब्रोकिंग चार्जेज का ध्यान रखें
अकसर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स्ड ही रखते हैं. हालांकि, ये कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. ऐसे में इस बारे में बात कर लेना भी जरूरी है.
5. अन्य सेवाओं की जानकारी
कुछ ब्रोकरेज हाउस सिर्फ इक्विटी ब्रोकिंग की सेवा ही नहीं प्रदान करतें, बल्कि कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आप तक पहुंचाते हैं. ऐसे में जान लें कि यह सेवाएं क्या हैं और आपके लिए इनकी क्या उपयोगिता है. इसके बाद ही ब्रोकर का चयन करें.
Cryptocurrency में निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
Cryptocurrency को लेकर कितना भी रिसर्च कर लें, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही रिस्की है. ऐसे में निवेशकों को डिजिटल करेंसी में उतना ही निवेश करना चाहिए, जितना वह खोने को तैयार है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर निवेशकों में, खासकर युवा निवेशकों में क्रेज काफी बढ़ा है. जैसे-जैसे इसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है, क्रिप्टो स्कैम (Crypto Scam) भी बढ़ रहे हैं. अभी तक अपने देश में इसे रेग्युलेट नहीं किया गया है. ऐसे में किसी भी डिजिटल असेट (Digital Currency) को लेकर किए जा रहे विज्ञापन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए. एडवर्टाइजिंग काउंसिल ASCI ने इस संबंध में एक गाइडलाइन भी जारी है. गाइडलाइन के मुताबिक, 1 अप्रैल 2022 से क्रिप्टो और दूसरे डिजिटल असेट्स के विज्ञापनों के लिए डिस्क्लेमर डालना जरूरी है. डिस्क्लेमर में लिखा होगा कि डिजिटल करेंसी अभी भारत में रेग्युलेटेड नहीं है और इसमें निवेश करना खतरनाक है.
bitsCrunch के फाउंडर और सीईओ विजय प्रवीण का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी पर रिटर्न ज्यादा मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए हैं. ऐसे में निवेशकों को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है. अपने देश में क्रप्टोकरेंसी के 10 करोड़ से ज्यादा निवेशक हैं. रिसर्च और जागरूकता के अभाव में ये निवेशक भ्रामक विज्ञापन के शिकार बन जाते हैं और मेहनत की जमा-पूंजी गंवा देते हैं. उन्होंने डिजिटल असेट के निवेशकों के लिए पांच खास टिप्स दिए हैं.
क्रिप्टोकरेंसी बहुत रिस्की इन्वेस्टमेंट है. इसमें निवेश करने से पहले अच्छे से रिसर्च करना जरूरी है. क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में अच्छी जानकारी हासिल करने के बाद ही इसमें निवेश का फैसला लें. रिसर्च के दौरान आपको तमाम जानकारी हासिल होगी. आपको यह भी पता चलेगा कि इसमें कब निवेश करना चाहिए. किन फैक्टर्स का असर इसकी कीमत पर होता है.
रिसर्च के दौरान अपने लिए कुछ क्रिप्टोकरेंसी का सलेक्शन करें. निवेश के लिहाज से ज्यादा संख्या में डिजिटल करेंसी का चुनाव नहीं करें. करेंसी का चुनाव करने के बाद उसके बारे में सभी जानकारी हासिल करे. क्रिप्टो एक्सचेंज के बार में भी जानकारी हासिल करना जरूरी है. ब्लूचिप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने पर रिस्क कम होगा, साथ ही पॉप्युलर क्रिप्टो एक्सचेंज की मदद से निवेश करने पर स्कैम से बचने की संभावना बढ़ जाती है.
क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो एक्सचेंज का संचालन किसके द्वारा किया जा रहा है यह जानकारी भी जरूरी है. डिजिटल असेट का संचालन कौन टीम कर रही है, उसके बारे में जानकारी हासिल करें. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन के जरिए उसकी वास्तविकता और विश्वसनीयता के बारे में भी जानकारी हासिल करें.
क्रिप्टो निवेशकों के लिए Tokenomics का ज्ञान बहुत जरूरी है. क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में यह पॉप्युलर टर्म है. आसान भाषा में इसे क्रिप्टो इकोनॉमिक्स कह सकते हैं. टोकोनॉमिक्स की मदद से आप क्रिप्टोकरेंसी की डिमांड और सप्लाई का मैकेनिज्म बेहतर समझ सकते हैं. इसमें क्वॉलिटी, प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन भी शामिल होता है. किसी भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले यह समझें कि डिमांड और सप्लाई का खेल किस तरह चल रहा है. उदाहरण के तौर पर बिटक्वॉइन का 21 मिलियन टोकन क्वॉइन ही है. अब तक 90 फीसदी टोकन माइन किया जा चुका है. माना जा रहा है कि 2140 के बाद बिटक्वॉइन की सप्लाई बंद हो जाएगी.
विजय प्रवीण का ये भी कहना है कि इतना सबकुछ करने के बावजूद, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ही रिस्की है. ऐसे में निवेशकों को डिजिटल करेंसी में उतना ही निवेश करना चाहिए, जितना वह खोने को तैयार है. आपके पोर्टफोलियो में इसका वेटेज ज्यादा नहीं होना चाहिए.
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