इसका मतलब यह है कि अगर आपने आज कोई शेयर खरीदा तो शेयर वास्तव में आपके डीमैट अकाउंट में ट्रेड डे ‘T’ day के तीसरे दिन यानी आज के दो दिन बाद T+2 में पहुंचता है. इसी तरह आपने कोई शेयर बेचा तो उसका पैसा खाते में तीसरे दिन पहुंचता है. इससे सेटलमेंट या निपटान चक्र कहते हैं.
Share Buyback : बायबैक में पीटर क्यों चुका रहा पॉल का टैक्स? Sebi नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी में
Share Buyback Rules : सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने कंपनियों के शेयर बायबैक से जुड़े मौजूदा कर संबंधी नियमों (taxation rules) को समस्या बढ़ाने वाला बताया है। सेबी ने कहा कि वह इस समस्या का समाधान निकालने के लिए फाइनेंस मिनिस्ट्री (finance ministry) के साथ मिलकर काम कर रहा है। सेबी की चीफ माधवी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) ने 20 दिसंबर को एक प्रेस मीट में कहा, कंसल्टेशन पेपर में टैक्स से जुड़ी बाधाओं पर बात की गई है। हमारे मौजूदा नियम ठीक नहीं हैं। मौजूदा व्यवस्था में पीटर की तरफ से पॉल के टैक्स का भुगतान किया जाता है। इसलिए, यह सही नहीं है।
दो तरह से होते हैं बायबैक
अब 25 फरवरी से शेयर बाजार में लागू होगा T+1 सिस्टम, जानें- इसके फायदे!
- नई दिल्ली,
- 08 नवंबर 2021,
- (अपडेटेड 08 नवंबर 2021, 8:13 PM IST)
- 1 जनवरी 2022 से लागू होना था ये नियम
- T+1 व्यवस्था से बढ़ेगा कारोबार का दायरा
अब 25 फरवरी 2022 से शेयर बाजार में खरीद-बिक्री का नया नियम लागू होने जा रहा है. इस तारीख के बाद शेयर बाजार में खरीद-बिक्री का निपटान करने के लिए (T+1) फॉर्मूले पर काम किया जाएगा. इसके तहत जिस दिन आप शेयर बेचेंगे, उसके अगले दिन आपके अकाउंट में पैसे क्रेडिट हो जाएंगे.
T+1 settlement cycle: दरअसल, पहले यह व्यवस्था 1 जनवरी 2022 से लागू करने की योजना थी, लेकिन अब मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इसकी समय सीमा बढ़ा दी है. और यह व्यवस्था 25 फरवरी 2022 से लागू हो जाएगी. फिलहाल घरेलू शेयर बाजारों में सौदों को पूरा होने में कारोबार वाले दिन के बाद दो कारोबारी दिवस (टी+2) लगते हैं. इस व्यवस्था का मकसद बाजार में खरीद-फरोख्त बढ़ाना है.
अब 24 घंटे में खाते में आ जाएगा शेयर का पैसा, आज से लागू हुआ टी प्लस वन नियम
शेयरों की खरीद-फरोख्त का पैसा चौबीस घंटे में आपके खाते में आ जाएगा। अभी तक यह रकम 48 घंटे में खाते में पहुंचती थी। बाजार नियामक सेबी शुक्रवार से टी प्लस वन का नियम पहली बार शेयर बाजार में लागू कर रहा है। इस फैसले से बाजार में रकम फंसने की अवधि आधी रह जाएगी और 600 करोड़ से ज्यादा पैसा बाजार में आने का अनुमान है।
शेयरों के सेटलमेंट का टी प्लस वन सिस्टम 25 फरवरी से लागू हो रहा है। चुकनू सिक्योरिटीज लिमिटेड के एमडी संजीव अग्रवाल के मुताबिक इस सिस्टम के दायरे में सभी शेयरों को चरणबद्ध रूप से लाया जाएगा। शुक्रवार से टी प्लस वन सेटलमेंट सिस्टम के तहत 100 कंपनियों के शेयर आएंगे। सबसे कम वैल्युएशन वाली 100 कंपनियों को इसमें शामिल किया जाएगा। अगले महीने से हर शुक्रवार को 500 कंपनियां इस सिस्टम में जोड़ी जाएंगी। यह प्रक्रिया तबतक जारी रहेगी, जबतक सभी शेयर टी प्लस वन सिस्टम में नहीं आ जाते।
Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम
यह जानना आपके शेयर खरीदने के नियम लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की शेयर खरीदने के नियम देनदारी कैसे बनती है.
Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शेयर खरीदने के नियम शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual शेयर खरीदने के नियम funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.
2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)
अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.
अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)
स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.
Share Market Rule: इस दिन से बदलने जा रहा है शेयर बाजार का बड़ा नियम, जान लें वरना नहीं लगा पाएंगे पैसे
- सेबी ने वैकल्पिक आधार पर ‘T +1’ की नई व्यवस्था पेश की
- इसका मकसद बाजार में खरीद-फरोख्त बढ़ाना है
- ‘T +1’ का नया नियम 25 फरवरी 2022 से लागू होगा
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1 जनवरी 2022 से लागू होना था T+1
सेबी की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक रेगुलेटर ने शेयर खरीद-बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने के लिये निपटान में लगने वाले समय को लेकर ‘T +1’ या ‘T +2’ का विकल्प देकर शेयर बाजारों को लचीलापन उपलब्ध कराया है. यह सेटलमेंट प्लान शेयरों के लिए है और ऑप्शनल है, मतलब अगर ट्रेडर्स चाहें तो इसे चुन सकते हैं. नया नियम पहले 1 जनवरी 2022 से लागू होना था.शेयर खरीदने के नियम
दरअसल मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास ऐसे तमाम निवेदन आ रहे थे जिसमें सेटलमेंट साइकिल को घटाने की मांग की जा रही थी. सेबी ने इन निवेदनों को ध्यान में रखते हुए नया नियम तैयार किया है.
सेबी ने एक सर्कुलर जारी करके शेयर खरीदने के नियम बताया कि मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस मसलन स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटर्स के साथ बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया है कि स्टॉक एक्सचेंज के पास यह सुविधा होगी कि वह T+1 या T+2 सेटलमेंट साइकिल में से कोई भी ऑफर करें.शेयर खरीदने के नियम
1 महीने पहले नोटिस देना होगा
सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, कोई भी स्टॉक एक्सचेंज सभी शेयरधारकों के लिए किसी भी शेयर के लिए T+1 सेटलमेंट साइकिल चुन सकता है. हालांकि सेटलमेंट साइकिल बदलने के लिए कम से कम एक महीना पहले नोटिस देना होगा.
स्टॉक एक्सचेंज किसी भी शेयर के लिए अगर एकबार T+1 सेटलमेंट साइकल चुन लेगा उसे कम से कम 6 महीने तक जारी रखना होगा. अगर स्टॉक एक्सचेंज बीच में T+2 सेटलमेंट साइकिल चुनना चाहता है तो उसे एक महीना पहले नोटिस देना होगा. शेयर बाजार को अपनी वेबसाइट पर इसका प्रचार-प्रसार करने की जरूरत होगी.
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