इंटरनेशनल कमर्शियल आर्बिट्रेशन, उन लेनदेन के कारण उत्पन्न होने वाली पार्टियों के बीच कोई अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता है, जो भारत के कानूनों के अनुसार वाणिज्यिक मानी जाती है और जहाँ एक पक्ष है -
Russia-America: बंदियों की हुई अदला-बदली, हथियार व्यापारी के बदले रूस ने बास्केटबाल स्टार ब्रिटनी को छोड़ा
अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते किस कदर खराब हैं, यह दुनिया से छिपा नहीं है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। हालांकि, अब इन दो महाशक्तियों के बीच से राहत की खबर सामने आई है। पता चला है कि दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है।
दरअसल, दोनों देशों ने हाल ही में बंदियों की अदला-बदली की है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की बास्केटबाल स्टार ब्रिटनी ग्राइनर को रूस ने रिहा किया है तो इसके बदले रूस के हथियार व्यापारी विक्टर बाउट को भी अमेरिका ने छोड़ दिया है। इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि ग्रिनर-बाउट की अदला-बदली के बाद और अधिक अमेरिकी-रूसी कैदियों की अदला-बदली संभव है।
विस्तार
अमेरिका और रूस के बीच रिश्ते किस कदर खराब हैं, यह दुनिया से छिपा नहीं है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। हालांकि, अब इन दो महाशक्तियों के बीच से राहत की खबर सामने आई है। पता चला है कि दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है।
दरअसल, दोनों देशों ने हाल ही में बंदियों की अदला-बदली की है। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की बास्केटबाल स्टार ब्रिटनी ग्राइनर को रूस ने रिहा किया है तो इसके बदले रूस के हथियार व्यापारी विक्टर बाउट को भी अमेरिका ने छोड़ दिया है। इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि ग्रिनर-बाउट की अदला-बदली के बाद और अधिक अमेरिकी-रूसी कैदियों की अदला-बदली संभव है।
आठ महीने से रूस में बंद थीं ब्रिटनी
अमेरिकी की स्टार खिलाड़ी और दो बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ब्रिटनी ग्राइनर आठ महीने से रूस की जेल में बंद थीं। उनकी गिरफ्तारी रूस में नशीला पदार्थ ले जाने मध्यस्थता व्यापारी के आरेप में हुई थी। हालांकि, अमेरिका का कहना है कि रूस में जिसे नशीला पदार्श माना जाता है, उस पर अमेरिका समेत कई देशों पर प्रतिबंध नहीं है।
कोर्ट नहीं मध्यस्थता से सुलझेंगे व्यापारियों के विवाद
वाराणसी ब्यूरो
Updated Mon, 11 May 2020 12:45 AM IST
वाराणसी। लॉकडाउन खुलने के बाद आने वाली व्यापारिक चुनौतियों पर फेडरेशन ऑफ आल इंडिया व्यापार मंडल ने रविवार को वेबिनार के जरिए चर्चा की। इस दौरान व्यापारियों के बीच लड़ाई झगड़े को कोर्ट कचहरी तक न ले जाकर बल्कि आपसी मध्यस्थता से दूर करने को लेकर कॉउन्सिल फॉर आर्बिट्रेशन एंड मेडिएशन की स्थापना की गई। वेबिनार के जरिए महानगर उद्योग व्यापार समिति सहित देश भर की 75 व्यापारिक संगठनों ने इसका समर्थन किया।
अध्यक्ष प्रेम मिश्रा ने मध्यस्थता व्यापारी बताया कि दो व्यापारियों के बीच उत्पन्न व्यापारिक विवाद को बिना कोर्ट कचहरी, बिना वकील की सहायता से निपटारे का सबसे उपयुक्त माध्यम आर्बिट्रेशन यानी मध्यस्ता है। आर्थिक विवाद की स्थिति में पुलिस व कोर्ट कचहरी के अलावा कोई सहारा नहीं मध्यस्थता व्यापारी होता है, लेकिन पुलिस कार्यवाही व जटिल कानूनी धाराओं में उलझनों के डर से मध्यस्थता व्यापारी अधिकांश व्यापारी पुलिस कोर्ट कचहरी से दूर रहते हैं। इस प्रमुख समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह कॉउंसिल बनाया गया। वेबिनार में अशोक जायसवाल, सोमनाथ विश्वकर्मा, नीरज पारिख, सीएच कृष्णा, वीके बंसल, जयेंद्र तन्ना, कांतिलाल सांघवी आदि देश के अन्य संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।
राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन कल शनिवार को : व्यापारिक विवादों को सुलझाने का आसान तरीका मध्यस्थता केन्द्र : सीजेएम मंगलेश कुमार चौबे
फरीदाबाद, 11 मार्च । मुख्य न्यायिक दंड अधिकारी मंगलेश कुमार चौबे ने कहा कि स्थानीय न्यायिक परिसर कल शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला में जिसके भी करोडों के लेन देन के मामले हैं। वो लोग मिडिएशन सेंटर में अपने मामले को ला सकते हैं। जहां पर उनके मामलें को जल्द-से-जल्द निपटारा हो जाता है। यहां पर उनके धन और समय दोनों की बचत होती है। उन्होंने बताया कि कमर्शियल कोर्ट एक्ट 2015 की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है कि देश भर में बड़ी कंपनियों के आपसी विवाद का जल्द-से-जल्द निपटारा हो सके। इसका उद्देश्य ये है कि देश में आर्थिक गतिविधियां अधिक से अधिक बढ़ें। माना जाता है कि किसी भी बड़ी कंपनी या संस्थान के आपसी विवाद की वजह से बहुत से अन्य लोग तो प्रभावित होते ही हैं। साथ ही देश में होने वाली आर्थिक गतिविधियों भी धीमी हो जाती हैं। इस का उद्देश्य अर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इस के तहत फरीदाबाद में एक बड़े शिक्षण संस्थान का मामला सुलझाया गया है। जिला लिगल सर्विस एंव नोडल अधिकारी मिडिएशन मध्यस्थता व्यापारी और कौंसिल सेन्टर मंगलेश कुमार चौबे ने कानूनी सेवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आह्वान किया कि व्यापारी कानूनी मध्यस्थता का पूरा लाभ लें। इसके बाद मध्यस्थता की प्रक्रिया अधिवक्ता-मध्यस्थ निबरास अहमद ने वैकल्पिक विवाद समाधान और इसकी प्रासंगिकता और उसके शासन का वर्णन किया। एडवोकेट निबरास अहमद ने बताया कि मिडिएशन सेंटर फरीदाबाद में चीफ जुडिशियल अधिकारी एवं नोडल अधिकारी के माध्यम से फरीदाबाद में बड़े संस्थानों के विवाद को सफलतापूर्वक निपटाया जा रहा है। अधिवक्ता अहमद ने कहा कि कमर्शियल कोर्ट एक्ट 2015 की स्थापना इस लिए की गई है। ताकि न्यायलय मध्यस्थता व्यापारी में ज्यादा समय न लगे। इस नए कानून के मुताबिक धारा 12 ए के तहत एक्ट में प्रावधान है कि कमर्शियल कोर्ट एक्ट में अदालत में केस दायर करने से पहले दोनों पक्षों को मध्यस्थता प्रक्रिया में मिडिएशन सेंटर में जाना होगा। जो कि कानून के मुताबिक जरूरी है। यह प्रक्रिया काफ़ी सरल है। जिसमें समय और धन की बचत होती है।
मध्यस्थता कराने का झांसा दे रहा फर्जी एसएचओ गिरफ्तार
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। रोहिणी साउथ में पुलिस ने एक फर्जी एसएचओ को गिरफ्तार किया है जो दो पक्षों के बीच मध्यस्थता कराने का झांसा दे रहा था। गिरफ्तार आरोपी जयभगवान दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल था और पिछले महीने 31 अगस्त को ही सेवानिवृत्त हुआ है। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से वायरलेस सेट भी बरामद किया है।
डीसीपी प्रणव तयाल ने बताया कि राघव मुखीजा रोहिणी सेक्टर-16 में परिवार के साथ रहते हैं। पीड़ित ने कुछ समय पहले अपने जानकार प्रवीण को 50 हजार रुपये उधार दिए थे लेकिन वह लौटा नहीं रहा था। पीड़ित ने बताया कि शनिवार सुबह उसे किसी ने फोन किया और खुद को एसएचओ समयपुर बादली बताते हुए कहा कि वह प्रवीन से बात करके रुपये दिलवा देगा। राघव इस बात की पुष्टि करने के लिए समयपुर बादली थाने गया तो मालूम हुआ कि वहां एसएचओ कोई अन्य व्यक्ति है। इसके बाद राघव ने उस शख्स को फोन किया तो उसने खुद को रोहिणी साउथ का एसएचओ बताया। शक होने पर पीड़ित रोहिणी साउथ थाने पहुंच गया लेकिन वहां वह शख्स नहीं मिला। पीड़ित ने थाने के ड्यूटी अफसर और एसएचओ को पूरी बात बताई। इसके बाद फर्जी एसएचओ को खुद फोन कर मिलने का ठिकाना पूछा। पीड़ित के साथ दो पुलिसकर्मी हेडकांस्टेबल राकेश और कांस्टेबल जितेंद्र को भी फर्जी एसएचओ से मिलने के लिए भेजा गया।
मध्यस्थता की अवधारणा
एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र जिसे एडीआर भी कहा जाता है, एक गैर-प्रतिकूल तरीके से पार्टियों के बीच विवादों को हल करने का एक तरीका है। यह एक प्रभावी तरीका है क्योंकि यह विवाद समाधान के लिए अदालत के पास जाने की प्रक्रिया से बचने में मदद करता है। कुछ वर्षों में, वाणिज्यिक प्रकृति के मामलों में वृद्धि के कारण वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र काफी लोकप्रिय हो गया है। ज्यादातर कंपनियां कोर्ट जाने से बचती हैं और एडीआर का इस्तेमाल कर विवाद को हल करना पसंद करती हैं। यह लंबी कानूनी लड़ाई से बचने और समय बचाने के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र इस प्रकार हैं: -
भारत में मध्यस्थता की अवधारणा क्या है?
भारत में एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता की अवधारणा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 द्वारा शासित है। अधिनियम में निर्धारित तंत्र के अनुसार, या तो पक्ष या न्यायालय में मध्यस्थता न्यायाधिकरण नियुक्त करते हैं। आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश या पुरस्कार दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होगा और एक नागरिक डिक्री के समान न्यायालय में लागू करने योग्य होगा। भारत में प्रचलित मध्यस्थता कानून 1940 का मध्यस्थता और सुलह अधिनियम था जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया था और 1996 का मध्यस्थता और सुलह अधिनियम पारित किया गया था। यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून (UNCITRAL) अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता परिषद के मॉडल कानून पर आधारित था।
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