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गोरिल्ला देख गदगद हुए बच्चे, लिया ट्रेड फेयर का आनंद
बुलंदशहर, जेएनएन : शहर के नुमाईश मैदान में शुरू हुए ट्रेड फेयर में रविवार को काफी भीड़ रही। बच्चे गोरिल्ला देख गदगद हो गए। उन्होंने मेले का खूब मजा लिया। मेले में सजी विभिन्न राज्यों की वस्तुएं देखी और खरीदारी भी की। शनिवार को ट्रेड फेयर का उद्घाटन हुआ था। इस मेले का दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर है। हालांकि उद्घाटन वाले दिन तो खास भीड़ नहीं रही लेकिन रविवार को शाम होने से पहले ही लोग आने लगे थे। यहां उन्होंने सहारनपुर का फर्नीचर, मेरठ का आचार, हापुड़ का पापड़, आगरा का पेठा, बरेली का सुरमा, खुर्जा की पॉटरी, राजस्थानी और हरियाणवी व्यंजन के साथ असम, मणिपुर और गुजरात समेत कई प्रदेशों से आई दुकानों पर जाकर व्यंजनों का स्वाद लिया और वस्तुएं भी खरीदीं।
सबसे अधिक बच्चों की भीड़ गोरिल्ला व डायनासोर देखने वालों की रही। दूसरी ओर लखनवी कुर्ते, गुजराती, पंजाबी व हरियाणवी सूट, लहेंगे व दुपट्टे आदि खरीदने में युवक-युवतियां भी व्यस्त नजर आए। ट्रेड फेयर के झूले भी आनंद पहुंचाने वाले लगे हैं। झूलों पर महिलाओं की खूब भीड़ लगी रही। बच्चों के खिलौनों की दुकान की सजावट भी देखते ही बन रही है। बच्चे इन दुकानों की ओर खूब आकर्षित हो रहे हैं। ट्रेड फेयर आयोजक दीपक जैन और नीरज जैन ने बताया कि इस बार के मेले में देखने, झूले, खाने व खरीदने के लिए सब कुछ बीते सालों से अलग है। रविवार से डायनासोर पार्क पूरी तरह खोल दिया गया है। खाने के स्टाल भी गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए लगवाए गए हैं। पहले दिन खासी भीड़ मेले में पहुंची है।
बिहार-झारखंड में माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी की संख्या 3000 से सिमटकर 500 तक पहुंची
बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ के इलाके में माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी के सदस्यों की संख्या सिमट कर 500 तक पहुंच गई है। दो दिसंबर 2000 में माओवादियों ने गुरिल्ला आर्मी का गठन किया था। उस दौरान.
बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ के इलाके में माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी के सदस्यों की संख्या सिमट कर 500 तक पहुंच गई है। दो दिसंबर 2000 में माओवादियों ने गुरिल्ला आर्मी का गठन किया था। उस दौरान बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी में 2500 -3000 गुरिल्ला आर्मी के सदस्य थे।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार माओवादियों के बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी में सदस्यों की संख्या 450-500 तक सिमट कर रह गई है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार हथियारों की संख्या 500 से 600 तक रह गई है। माओवादियों के बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी दंडकाराण्य कमेटी के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाली थी।
सुरक्षाबलों और पुलिस अभियान के बाद कमजोर हुए माओवादी :
सुरक्षाबलों और पुलिस के लगातार अभियान के बाद माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी के दस्ते के सदस्यों की संख्या कम हो गई है। बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ के कई इलाकों से माओवादियों का प्रभाव कम हो गया है। 2004 से क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? 2011 तक बिहार झारखंड में पीएलजीए की कारवाई में 1950 लोगों की जान गई थी। बाद में पुलिस और सुरक्षाबलों के दबाव और अभियान के कारण 2011 से 2015 तक लगभग 400 लोगों की जान गई। माओवादियों के बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी के कई बड़े माओवादी पकड़े या मुख्यधारा में शामिल हो गए। माओवादियों ने कई इलाकों में पोस्टर और बैनर लगा कर दो से आठ दिसंबर तक पीएलजीए के स्थापना सप्ताह मनाने की घोषणा की है। स्थापना सप्ताह को लेकर पुलिस ने अलर्ट भी जारी किया है।
कई बड़े हमलों को अंजाम दे चुकी है माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी :
माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी कई बड़े नक्सल हमलों को अंजाम दे चुकी है। जहानाबाद जेल ब्रेक, गारू में सांसद के काफिला पर हमला, भंडरिया में पुलिस हमला 13 जवान शहीद, कटिया मुठभेड़ 14 जवान शहीद, कालापहाड़ हमला सात जवान शहीद, हाल के दिनों में बिहार के डुमरिया में लैंड माइंस विस्फोट में 10 जवान शहीद हुए थे। बिहार, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ कमेटी की गुरिल्ला आर्मी का सुप्रीमो एक करोड़ का इनामी माओवादी देव कुमार सिंह उर्फ अरविन्द है। बिहार झारखंड सीमावर्ती इलाके की कमान 25 लाख के इनामी संदीप के पास है। कमेटी का प्रभाव बिहार झारखंड की सीमा और झारखंड-छत्तसगढ़ के क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? सीमावर्ती इलाके तक घट कर रह गया है।
Huawei US Sanctions: अमेरिकी ‘बमबारी’ के जवाब में हुवावे का ‘गुरिल्ला वॉर’ से जवाब
चीन की टेलीकॉम कंपनी हुवावे के फिर से उठ खड़ा होने के संकेत हैं। 2020 में अमेरिका ने इस कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिए थे। उसके बाद कई देशों ने अमेरिका का अनुकरण करते हुए इसे प्रतिबंधित किया। लेकिन एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने चीन के अंदर अपने कारोबार का नया नेटवर्क खड़ा कर लिया है।
वेबसाइट निक्कई एशिया की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक हुवावे ने उन चीनी कंपनियों के साथ मिल कर चिप उत्पादन की दिशा में अच्छी प्रगति कर ली है, जिन पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसी ही एक कंपनी क्वांगझाऊ स्थित जिन्हुआ इंटीग्रेटेड सर्किट कंपनी (जेएसआईसीसी) है। 2018 में इस कंपनी पर ट्रेड सीक्रेट्स चुराने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने प्रतिबंध क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? लगा दिए थे। लेकिन अब इस कंपनी ने फिर से चिप उत्पादन शुरू कर दिया है। कंपनी से जुड़े सूत्रों ने निक्कई एशिया से बातचीत में पुष्टि की कि यहां चिप हुवावे कंपनी के लिए बनाए जा रहे हैं।
प्रतिबंध लगाने के बाद हुवावे के लिए विदेशी कंपनियों से आधुनिक चिप खरीदना संभव नहीं रह गया था। उसके बाद हुवावे ने जेएचआईसीसी जैसी कंपनियों के साथ मिल कर पूरे चीन में चिप उत्पादन का नेटवर्क खड़ा करना शुरू किया। जेएचआईसीसी की फैक्टरी के पास ही चिप पैकेजिंग की सेवा देने वाली कंपनी कुलियांग इलेक्ट्रॉनिक्स इन दिनों अपने दूसरे कारखाने के निर्माण में जुटी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक हुवावे कंपनी को चिप की बढ़ी सप्लाई के कारण पैकेजिंग की जरूरत भी बढ़ गई है। इसी मांग को पूरा करने के लिए ये नया कारखाना लगाया जा रहा है।
अमेरिकी प्रतिबंध लगने के पहले हुवावे की होड़ एपल और सैमसंग जैसी कंपनियों से थी। तब अपने दूरसंचार उपकरणों के लिए हुवावे ताइवान की टीएसएमसी और जापान की सोनी जैसी कंपनियों से आधुनिक चिप खरीदती थी। 2019 में विदेश में स्मार्टफोन की बिक्री में हुवावे ने एपल को पीछे छोड़ दिया था। लेकिन 2020 में अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए। इसका हुवावे के कारोबार पर बहुत खराब असर पड़ा। दूरसंचार क्षेत्र पर नजर रखने वाली एजेंसी आईडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में हुवावे के राजस्व में 28.6 फीसदी की गिरावट आई और स्मार्टफोन बिक्री में वह दुनिया में दूसरे नंबर से गिर कर दसवें स्थान पर चली गई।
लेकिन अब संकेत हैं कि हुवावे ने कहानी पलट दी है। हुवावे के साथ कारोबार करने वाली एक कंपनी के अधिकारी ने निक्कई एशिया से कहा- ‘अगर अमेरिका की कार्रवाई बमबारी थी, तो हुवावे ने गुरिल्ला युद्ध जैसा तरीका अपना लिया है।’ जेएचआईसीसी और कुलियांग जैसी कई कंपनियां उसके चिप उत्पादन नेटवर्क में शामिल हो चुकी हैं। हुवावे ने इस कंपनियों में 55 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
जापानी बैंक नोमुरा के टेक एनालिस्ट डॉनी तेंग ने निक्कई एशिया से कहा- ‘अमेरिकी प्रतिबंध के साये को कैसे कम किया जाए, इसे हुवावे से बेहतर कोई और नहीं जानता। हमें इस बात की पक्की जानकारी है कि अब वह अपने चिप्स के साथ वापसी क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? की तैयारी में है। हालांकि हमें यह नहीं मालूम है कि स्थानीय उत्पादन नेटवर्क के साथ वह कितनी जल्दी और कितने उन्नत चिप का निर्माण कर पाएगी।’
इस बीच चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग की निगाहें हुवावे के ‘गुरिल्ला युद्ध’ पर टिकी हुई हैं। आज चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग की वही हालत हो गई है, जो 2020 में हुवावे की हुई थी। पिछले सात अक्तूबर को अमेरिका ने चीन के पूरे सेमीकंडक्टर उद्योग को प्रतिबंधित कर दिया। हुवावे ने प्रतिबंधों का जवाब खुद आविष्कार करने का रास्ता अपना कर दिया है। चीन की अन्य कंपनियां भी भविष्य में यही रास्ता अपना सकती हैं।
Maharashtra Crisis: एक तरफ शिवसेना, दूसरी ओर अघाड़ी गठबंधन; किसे बचाएंगे उद्धव?
Maharashtra Crisis: एक तरफ शिवसेना, दूसरी ओर अघाड़ी गठबंधन; किसे बचाएंगे उद्धव?
चित्रा त्रिपाठी
- नई दिल्ली ,
- 23 जून 2022,
- अपडेटेड 4:45 PM IST
महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच गुवाहाटी में जहां एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद बागी विधायकों ने वीडियो जारी कर शक्तिप्रदर्शन किया. वहीं मुंबई में शिवसेना का बाकी बचे विधायकों ने बैठक के बाद आरोप लगाया कि उनके साथी विधायकों को अगवा कर गुवाहाटी ले जाया गया है. सरकार गिराने की इस साजिश के पीछे बीजेपी है. विधायकों की बैठक में मौजूद संजय राउत ने कहा कि ये विधायकों को गुलाम बनाने की साजिश है. दूसरी तरफ, शिंदे गुट ने एक पत्र जारी कर उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि उन्हें कभी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जाता था. फंड के लिए दर-दर की ठोकर खानी पड़ती थी. यही नहीं अगर हिंदुत्व शिवसेना की विचारधारा है तो सिर्फ आदित्य ठाकरे को ही अयोध्या क्यों भेजा गया और क्यों बाकी विधायकों को मुंबई एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया?
On the one hand, the rebel MLAs released a video demonstrating their power. On the other hand, the remaining MLAs of Shiv Sena alleged that their fellow MLAs have been kidnapped and taken to Guwahati. Shiv Sena is accusing BJP of hatching this conspiracy to topple the government. Watch this full video.
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