क्यों है कैश की जगह डिजिटल करेंसी की जरूरत

आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? क्या तैयार है इंडिया

कागज के नोट छापने पर आरबीआई का बड़ा पैसा खर्च होता है. (फोटो- मनीकंट्रोल)

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 27, 2022, 12:23 IST

हाइलाइट्स

बैंकनोट की परिभाषा और दायरे को बढ़ाने की आवश्यकता.
वीडीए (VDAs) से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा.
कोई भी VDA भारतीय या विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हैं.

नई दिल्ली. अक्टूबर 2021 की बात है. तब भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार को एक खास प्रपोजल दिया था. इसके अनुसार, भारत सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के इस्तेमाल से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यस्थाओं में से एक बनने के पथ पर आगे बढ़ेगा. सेंट्रल बैंक ने आरबीआई एक्ट, 1934, के “बैंकनोट” की परिभाषा के दायरे को बढ़ाने और पैसे को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में उतारने की सिफारिश की थी.

अब राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा है कि आरबीआई यूज केसेस को परख रहा है और चरणबद्ध तरीके से सीबीडीसी को लाने की योजना पर काम कर रहा है ताकि कोई दिक्कत न हो. देखा जाए तो CBDC (Central Bank Digital Currency) एक अच्छा ऑप्शन है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. परंतु यहां सवाल यह है कि क्या भारत को सच में कैश की जगह किसी अन्य विकल्प की जरूरत है?

क्या मोदी कम इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना कर पाएंगे भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलन?

PM मोदी और जिनपिंग

  • बीजिंग/ नई दिल्ली,
  • 11 मई 2015,
  • (अपडेटेड 11 मई 2015, 7:58 PM IST)

भारत और चीन के बीच व्यापार के मामले में चीन का पलड़ा लगातार भारी हो रहा है. क्या मोदी कम कर पाऐंगे इस असंतुलन को?

चीन आखिर भारत का सबसे बड़ा निर्यातक क्यों बन गया है? भारत अपनी उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ऐसे कौन-से कदम उठाए, जिससे वह चीन से मुकाबला करने लगे? चीन के बारे में ऐसे सवाल कोई नए नहीं हैं. वह दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है जो अपने यहां बनाए आधे से इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना ज्यादा माल का निर्यात करता है.

अप्रैल से दिसंबर 2014 के बीच चीन से आयात 46 अरब डॉलर को छू गया था जो भारत के कुल आयात के 13 फीसदी से ज्यादा था और भारत के दूसरे नंबर के निर्यातक संयुक्त अरब अमीरात से आए माल का दोगुना था. भारत में चीन से निर्यात का बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का है. इसकी तुलना में भारत से चीन को निर्यात अप्रैल से दिसंबर 2014 के बीच सिर्फ 9 अरब डॉलर का था. यानी फासला 37 अरब डॉलर का है. आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और चीन पर भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के कोर समूह के सदस्य अजित रानाडे कहते हैं, “भारत-चीन व्यापार में चीन का पलड़ा भारी होता जा रहा है.”

Rupee: डॉलर के मुकाबले लगातार इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना कमज़ोर हो रहा है रुपया, आपके लिए क्या समझना है जरूरी?

Rupee edges closer to 80

कमज़ोर होते रुपए के आर्थिक नुकसान क्या हैं?
भारतीय अर्थव्यवस्था एक आयात आधारित अर्थव्यवस्था है. हमेशा से ही निर्यात के मुकाबले आयात का इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना हिस्सा ज्यादा रहा है. इसलिए गिरते रुपए का पहला नुकसान तो यह होगा कि भारत के इंपोर्ट बिल पर पहले की तुलना में अत्यधिक भार बढ़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आयेगी. पिछले 8 वर्षों में भारत के लिए अप्रत्याशित विदेशी मुद्रा भंडार एक बड़ी कामयाबी रही है. लेकिन पहले ही निवेशकों के जरिए भारत से पैसे बाहर निकालने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार पर नकरात्मक इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना असर पड़ रहा था और अब कमज़ोर होते रुपए के रुप में दोहरी मार पड़ेगी.

चीन से बढ़ता आयात कब, कैसे रुकेगा

एक, देश का व्यापार घाटा कम होगा और विदेशी मुद्रा पर बोझ भी इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना घटाया जा सकेगा। दूसरे, देश में उन उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में तो वृद्धि होगी ही, रोजगार निर्माण में भी सफलता मिलेगी। भारत डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत भी आयात शुल्क 40 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है, जबकि हमारे आयात शुल्क10 प्रतिशत के आसपास हैं…

वर्ष 2021 के पहले नौ महीनों में जहां भारत में चीन से आयात 68.46 अरब डालर थे, वहीं अब बढक़र वर्ष 2022 के पहले नौ महीनों में 89.66 अरब डालर हो चुके हैं। वर्ष 2021 के पूरे वर्ष में चीन से आयात 97.5 अरब डालर थे और अगर आयातों की यही गति जारी रही तो वे इस वर्ष 120 अरब डालर पहुंच जाएंगे। यूं तो आयात-निर्यात एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन चीन से बढ़ते आयात इस कारण चिंता का सबब बनते हैं, क्योंकि इससे व्यापार घाटा बढ़ता है और देश की विदेशी मुद्रा की देनदारी भी। यदि देखा जाए तो इस वर्ष के पहले नौ महीनों में चीन को कुल निर्यात मात्र 13.97 अरब डालर के थे यानी 75.69 अरब डालर का व्यापार घाटा। माना जा रहा है कि यह वर्ष पूर्ण होने तक चीन से व्यापार घाटा 100 अरब डालर तक पहुंच सकता है, जो एक रिकार्ड होगा। गौरतलब है कि चीन से बढ़ते आयातों और उसके कारण भारत की चीन पर बढ़ती निर्भरता के मद्देनजर सरकार ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत विभिन्न उपाय अपनाए। सर्वप्रथम 14 उद्योगों को चिन्हित किया गया, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण, थोक दवाएं, टेलिकॉम उत्पाद, खाद्य उत्पाद, एसी, एलईडी, उच्च क्षमता सोलर पीवी मॉड्यूल, ऑटोमोबाइल और ऑटो उपकरण, वस्त्र उत्पाद, विशेष स्टील, ड्रोन इत्यादि शामिल थे। बाद में सेमी कंडक्टर को भी इसमें जोड़ा गया। ये वो उद्योग थे जो अधिकांशत: पिछले 20 वर्षों में चीन से बढ़ते आयातों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में पिछडऩे के कारण बंद हो गए थे अथवा बंदी के कगार पर थे। चीन के द्वारा हिंसक कीमतों पर डंपिंग, चीन सरकार की निर्यात सब्सिडी और तत्कालिक सरकार की असंवेदनशील नीति के तहत आयात शुल्कों में लगातार कमी ने चीनी आयातों को भारत में स्थान बनाने में सहयोग दिया।

इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना

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रूस-चीन सोचते रह गए लेकिन भारत ने कर दिखाया, अमेरिका डॉलर को पछाड़कर भारतीय रुपया बनने जा रहा इंटरनेशल करेंसी; जानें कैसे

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बिज़नेस न्यूज़ डेस्क - जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण संकट में है, तब भारत ने एक ऐसा बड़ा काम शुरू किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना आगे चलकर सही मायने में दुनिया की दूसरी महाशक्ति के रूप में स्थापित होगा। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की पहल शुरू की है, जिसे अच्छा रिस्पॉन्स भी मिलना शुरू हो गया है। अगर यह पहल सफल होती है तो अमेरिकी डॉलर के अलावा रुपया दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन जाएगा। जिसके बाद आप भारतीय रुपये से दुनिया में कहीं भी खरीदारी कर सकेंगे। सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर की किल्लत से जूझ रहे श्रीलंका ने यहां स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट शुरू किया है ऐसे खातों को वोस्त्रो खाते भी कहा जाता है। इस खाते को खोलने के बाद श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से श्रीलंका में भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा के रूप में मान्यता देने इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा व्यापार को समझना का अनुरोध किया है। श्रीलंका ने आरबीआई से श्रीलंका सहित सार्क देशों में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया है।

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