विभिन्न देशों के लोग, जिनकी विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरें हैं, भिन्न रूप से आचरण करते हैं। जब विभिन्न सांस्कृतिक धरोहर से लोग एक कार्य स्थान में मिलते हैं, प्रबंधन के लिए विभिन्नता का प्रबंध करने की आवश्यकता होती हे।
सामाजिक - सांस्कृतिक परिवेश व्यावसायिक निर्णयों को कैसे प्रभावित करता है ? भारत में व्याप्त सामाजिक - सांस्कृतिक परिवेश के स्वभाव का संक्षिप्त चित्रण कीजिए।
प्रत्येक समाज की अपनी संस्कृति होती है जिसमें रीति-रिवाज, मूल्य, आचरण, विश्वास, आदतें, भाषाएँ तथा समाज के सदस्यों क॑ मध्य आदान-प्रदान की अन्य विधियाँ सम्मिलित हैं। किसी भी व्यावसायिक फर्म को जिसका उद्देश्य अपने उत्पादों तथा सेवाओं क॑ लिए किसी भी बाजार में बाजार विभक्तिकरण के आधार प्रवेश करना होता हैं, उस विशिष्ट समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की पूरी समझ विकसित करनी चाहिए तथा उसके बाद ही अपनी रणनीतियों को निर्धारित करना चाहिए।
सामाजिक परिवेश निर्मित करने वाले कारकों की एक लंबी सूची हे जिसमें सामाजिक संस्थान, सामाजिक प्रणालियाँ, सामाजिक वर्ग, सामाजिक मूल्य तथा आचरण बाजार विभक्तिकरण के आधार बाजार विभक्तिकरण के आधार सम्मिलित हैं। फल व्यावसायिक प्रबंधक इन विशेषताओं के महत्त्व को नकार नहीं सकता। किसी भी व्यवसाय का अस्तित्व अथवा विकास सामाजिक सोहार्द के बिना संभव नहीं है। विभिन्न देश, विभिन्न समय पर, विभिन्न तरीकों तथा माध्यमों से विभिन्न प्रकारों तथा सामाजिक सोहार्द को प्राप्त करते हैं। इस प्रकार सामाजिक-सांस्स्नतिक परिवेश समय, स्थान व तरीकों के अनुसार भिन्न होता है।
Principles and Practice of Marketing (विपणन का व्यवहार एवं सिद्धान्त)
इकाई-2
उपभोक्ता व्यवहार-प्रकृति, क्षेत्र तथा महत्त्व, उपभोक्ता व्यवहार के आधार, बाजार विभक्तिकरण-अवधारणा तथा महत्त्व, बाजार विभक्तीकरण, संवर्द्धन- संवर्द्धन या प्रवर्तन के तरीके तथा मिश्रण, वैयक्तिक विक्रय।
इकाई-3
वस्तु या उत्पाद-उत्पाद/वस्तु विचार धारा, उपभोक्ता तथा औद्योगिक वस्तुएँ वस्तु नियोजन एवं विकास, वस्तु जीवन चक्र, पैकेजिंग/भूमिका तथा कार्य ब्राण्ड नाम एवं ट्रेडमार्क, मूल्य-विपणन में बाजार विभक्तिकरण के आधार मूल्य का महत्त्व, वस्तु के मूल्य को प्रभावित करने वाले घटक, मूल्य निर्धारण के प्रकार तथा पद्धति/तरीके।
इकाई-4
वितरण माध्यम-भूमिका एवं अवधारणा, वितरण माध्यम के प्रकार, वितरण माध्यम के चुनाव को प्रभावित करने वाले घटक, थोक एवं फुटकर वितरण, वस्तुओं का भौतिक वितरण, परिवहन एवं भण्डारण, रहतिया नियन्त्रण एवं आदेष प्रक्रिया।
Marketing Management (विपणन प्रबन्ध) For B.B.A. & M.B.A.
प्रस्तुत पुस्तक ‘विपणन प्रबन्ध’ (Marketing Management) विभिन्न पाठ्यक्रमों जैसे की बी.बी.ए (BBA), एम.बी.ए (MBA) आदि के विद्यार्थियों के लिए एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक है। यह पुस्तक संशोधन होने के पश्चात नवीन पाठ्यक्रम के अनुसार तैयार करी गई है। वर्तमान संस्करण का सृजन विषय-सामग्री, गुड़वत्ता तथा प्रस्तुतीकरण तीनों दृष्टि से अपनी विशेष पहचान चिन्हित्त करने के लिए प्रयासरत है । विद्यार्थियों की सहायता हेतु, पुस्तक की विषय-सामग्री सरल, सुबोध एवं बोधगम्य भाषा में दी गई है एवं उचित स्थान पर आवश्यक आंकड़े, उदहारण, सारिणी,आदि का उपयोग करा गया है। प्रत्येक अध्याय के सिद्धांतों को समझने के लिए एवं स्वयं का आंकलन करने के लिए अध्याय के अंत में विभिन्न विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं में पूछे गए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions), लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer बाजार विभक्तिकरण के आधार Type Questions) एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions) दिए गए हैं।
GYANGLOW
बाजार बाजार विभक्तिकरण के आधार विभाजन में लक्ष्य बाजार को छोटे समूहों में विभाजित करना शामिल है जो बाजार विभक्तिकरण के आधार समान विशेषताओं को साझा करते हैं, जैसे कि आयु, आय, व्यक्तित्व लक्षण, व्यवहार, रुचियां, आवश्यकताएं या स्थान।
इन खंडों का उपयोग उत्पादों, विपणन, विज्ञापन और बिक्री प्रयासों को अनुकूलित करने के लिए किया जा सकता है।
सेगमेंटेशन ब्रांडों को विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए रणनीति बनाने की अनुमति देता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि वे कुछ उत्पादों और सेवाओं के समग्र मूल्य को कैसे समझते हैं। इस तरह वे एक अधिक व्यक्तिगत संदेश को इस निश्चितता के साथ पेश कर सकते हैं कि इसे सफलतापूर्वक प्राप्त किया जाएगा।
अब जब आप जानते हैं कि बाजार विभाजन क्या है, तो आइए विभिन्न प्रकारों के बारे में बात करते हैं जो मौजूद हैं।
बाजार विभाजन का आधार
संगठनों को पुरुषों के लिए अलग-अलग मार्केटिंग रणनीतियों की आवश्यकता है जो स्पष्ट रूप से महिलाओं के मामले में काम नहीं करेगी।एक महिला पुरुषों बाजार विभक्तिकरण के आधार बाजार विभक्तिकरण के आधार के लिए बने उत्पाद को नहीं खरीदेगी और इसके विपरीत। सौंदर्य प्रसाधन, जूते, आभूषण और परिधान उद्योग जैसे कई उद्योगों में लिंग के अनुसार बाजार का विभाजन महत्वपूर्ण है।
बाजार विभक्तिकरण के आधार
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